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मुजफ्फरपुर: महात्मा गांधी के जीवन की झलकों के साथ सप्तक्रांति एक्सप्रेस दिल्ली रवाना

ट्रेन में गांधी की 150वीं जयंती पर उनके जीवन की झलक है. हर बोगी में गांधी के इतिहास और बचपन से लेकर दक्षिण अफ्रीका तक के सफर की शुरुआत को दिखाया गया है.

एलएचबी कोच से सुसज्जित सप्तक्रांति एक्सप्रेस हुई रवाना
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Published : Oct 2, 2019, 7:31 PM IST

मुजफ्फरपुर: रेलवे की ओर से एक अनोखी पहल की गयी है. मुजफ्फरपुर जंक्शन से आनंद विहार तक जाने वाली सप्तक्रांति एक्सप्रेस बुधवार को पहली बार एलएचबी कोच से सुसज्जित होकर रवाना हुई. इस ट्रेन की हर बोगी में गांधी के महात्मा बनने तक की झलक दर्शायी गई है. स्वतंत्रता सेनानी राम संजीवन ठाकुर ने हरी झंडी दिखाकर मुजफ्फरपुर जंक्शन से ट्रेन को रवाना किया.

muzaffarpur
स्वतंत्रता सेनानी राम संजीवन ठाकुर ने हरी झंडी दिखाकर सप्तक्रांति ट्रेन को किया रवाना

ट्रेन में 24 की जगह 22 कोच लगेंगे
ट्रेन में गांधी की 150वीं जयंती पर उनके जीवन की झलक है. हर बोगी में गांधी के इतिहास और बचपन से लेकर दक्षिण अफ्रीका तक के सफर की शुरुआत को दिखाया गया है. हर तीन दिन बाद मुजफ्फरपुर से चलने वाली इस ट्रेन में अब 24 की जगह 22 कोच लगेंगे. एलएचबी कोच की औसत स्पीड 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. जबकि आईसीएफ कोच की स्पीड 140 किलोमीटर प्रति घंटा तक ही होती है.

पहली बार एलएचबी कोच से सुसज्जित सप्तक्रांति एक्सप्रेस हुई रवाना

स्टेनलेस स्टील के है एलएचबी कोच के डिब्बे
एलएचबी कोच के डिब्बे स्टेनलेस स्टील के बने होते हैं, जबकि आईसीएफ कोच माइल्ड स्टील के बने होते हैं. एलएचबी कोच में डिस्क ब्रेक सिस्टम होता है जिससे ट्रेन को जल्दी रोका जा सकता है. वहीं दूसरी ओर आईसीएफ कोच में एयर ब्रेक और ट्रेड ब्रेक सिस्टम होता है. जिससे पूरी रफ्तार में दौड़ रही ट्रेन को रोकने में ज्यादा वक्त लगता है.

मुजफ्फरपुर: रेलवे की ओर से एक अनोखी पहल की गयी है. मुजफ्फरपुर जंक्शन से आनंद विहार तक जाने वाली सप्तक्रांति एक्सप्रेस बुधवार को पहली बार एलएचबी कोच से सुसज्जित होकर रवाना हुई. इस ट्रेन की हर बोगी में गांधी के महात्मा बनने तक की झलक दर्शायी गई है. स्वतंत्रता सेनानी राम संजीवन ठाकुर ने हरी झंडी दिखाकर मुजफ्फरपुर जंक्शन से ट्रेन को रवाना किया.

muzaffarpur
स्वतंत्रता सेनानी राम संजीवन ठाकुर ने हरी झंडी दिखाकर सप्तक्रांति ट्रेन को किया रवाना

ट्रेन में 24 की जगह 22 कोच लगेंगे
ट्रेन में गांधी की 150वीं जयंती पर उनके जीवन की झलक है. हर बोगी में गांधी के इतिहास और बचपन से लेकर दक्षिण अफ्रीका तक के सफर की शुरुआत को दिखाया गया है. हर तीन दिन बाद मुजफ्फरपुर से चलने वाली इस ट्रेन में अब 24 की जगह 22 कोच लगेंगे. एलएचबी कोच की औसत स्पीड 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. जबकि आईसीएफ कोच की स्पीड 140 किलोमीटर प्रति घंटा तक ही होती है.

पहली बार एलएचबी कोच से सुसज्जित सप्तक्रांति एक्सप्रेस हुई रवाना

स्टेनलेस स्टील के है एलएचबी कोच के डिब्बे
एलएचबी कोच के डिब्बे स्टेनलेस स्टील के बने होते हैं, जबकि आईसीएफ कोच माइल्ड स्टील के बने होते हैं. एलएचबी कोच में डिस्क ब्रेक सिस्टम होता है जिससे ट्रेन को जल्दी रोका जा सकता है. वहीं दूसरी ओर आईसीएफ कोच में एयर ब्रेक और ट्रेड ब्रेक सिस्टम होता है. जिससे पूरी रफ्तार में दौड़ रही ट्रेन को रोकने में ज्यादा वक्त लगता है.

Intro:पूर्व मध्य रेल के मुजफ्फरपुर जंक्शन से आनंदविहार को जाने वाली सप्तक्रांति एक्सप्रेस बुधवार को पहली बार एलएचबी कोच से सुसज्जित होकर मुजफ्फरपुर से रवाना हुई।Body:ट्रेन में गांधी जी की 150वीं जयंती पर उनके जीवनवृत्त की झलक है। सप्तक्रांति के हर बोगी में गांधी को महात्मा बनने तक के सफर को दर्शा रहा है। हर बोगी में गांधी के इतिहास, बचपन से लेकर दक्षिण अफ्रीका से शुरू हुए संघर्ष व भारत के आजादी से लेकर गांधी जी के मृत्यु के बारे में बताया जा रहा है। हर तीन दिन बाद मुजफ्फरपुर से खुलने वाली इस ट्रेन में 24 के स्थान पर 22 कोच लगेंगे। एलएचबी कोच की औसत स्पीड 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा होती है, जबकि आईसीएफ कोच की स्पीड 140 किलोमीटर प्रति घंटा तक ही होती है। एलएचबी कोच के डिब्बे स्टेनलेस स्टील के बने होते हैं, जबकि आईसीएफ कोच माइल्ड स्टील के बने होते हैं। एलएचबी कोच में डिस्क ब्रेक सिस्टम होता है, जिससे ट्रेन को जल्दी रोका जा सकता है। वहीं दूसरी ओर आईसीएफ कोच में एयर ब्रेक और ट्रेड ब्रेक सिस्टम होता है। इससे पूरी रफ्तार में दौड़ रही ट्रेन को रोकने में ज्यादा वक्त लगता है
Byte रेल यात्री 1,2Conclusion:वही मुज़फ़्फ़रपुर जक्शन से हरी झंडी दिखाकर स्वतंत्रता सेनानी राम संजीवन ठाकुर ने सप्तक्रांति ट्रेन को रवाना किया ।
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