मुजफ्फरपुर: एनटीपीसी (NTPC) ने बिहार के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) स्थित कांटी थर्मल पावर स्टेशन (Kanti Thermal Power Station) के 110 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने वाली दो इकाइयों को बंद करने का फैसला किया है. इस घोषणा को लेकर अब सियासत शुरू हो गई है. विपक्ष जहां सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा है, वहीं सत्ता पक्ष का कहना है कि बिहार सरकार इस समस्या का समाधान कर लेगी.
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बिहार सरकार के पूर्व मंत्री इंजीनियर अजीत कुमार (Ajeet Kumar) ने बिहार सरकार की भूमिका और नीयत पर सवाल उठाते हुए इन दो उत्पादन इकाइयो के बंद होने के पीछे सीधे-सीधे राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि जिस पुरानी इकाई का हवाला देकर एनटीपीसी के अधिकारी बिजली उत्पादन में अधिक लागत बता रहे हैं, उसमें कोई सच्चाई नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार को जवाब देना चाहिए कि आखिर क्यों कांटी थर्मल पावर स्टेशन की इन दो इकाईयों को बंद किया जा रहा है.
वहीं, बिहार सरकार के भूमि सुधार और राजस्व मंत्री रामसूरत राय (Land Reforms and Revenue Minister Ramsurat Rai) ने दावा किया कि कोई भी प्लांट बंद नहीं होगा. उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले को गंभीरता से देख रही है. इस मसले को लेकर राज्य सरकार लगातार केंद्र के संपर्क में है.
"कोई संस्था बंद नहीं होगी, आप निश्चिंत रहें. जो भी समस्या होगी, ये सक्षम सरकार उसका निदान कर लेगी. कांटी थर्मल पावर बंद होना असंभव है. एनडीए की सरकार में 110 पर्सेंट बंद नहीं होगा, इसकी मैं गारंटी लूंगा"- रामसूरत राय, मंत्री, बिहार सरकार
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दरअसल, बिहार में बाढ़ और नवीनगर जैसे मेगा थर्मल के निर्माण के बाद से एनटीपीसी प्रबंधन और केंद्र सरकार बिहार में चल रहे छोटे पावर स्टेशन को बंद करने का घोषणा कर चुके हैं. जिसका सबसे ज्यादा असर मुजफ्फरपुर के बिजली संयंत्र पर पड़ने का अनुमान जताया जा रहा है. ऐसे में यह देखना अहम होगा कि भविष्य में कांटी थर्मल पावर प्लांट को लेकर किस तरह की पहल होती है, लेकिन फिलहाल एनटीपीसी प्रबंधन की तैयारियों को देखते हुए इस प्लांट में कार्यरत हजारों मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट के बादल जरूर गहरा गए हैं.