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मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार ने फिर उठाया सिर, वैशाली की एक बच्ची SKMCH में भर्ती

मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार का एक और नया मामला सामने आया है. वैशाली की 12 साल की बच्ची में एईएस (AES) की पुष्टि हुई है. बच्ची को एसकेएमसीएच (SKMCH) के पीकू वार्ड में भर्ती कराया गया है.

मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार ने फिर उठाया सिर
मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार ने फिर उठाया सिर
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Published : Sep 4, 2021, 2:31 PM IST

मुजफ्फरपुर: चमकी बुखार आम लोगों के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग के लिए अबूझ पहेली बन गया है. तापमान में गिरावट आने के बाद भी मामले बढ़ रहे हैं. अब सितंबर महीने में भी चमकी बुखार से जुड़े मामले सामने आने लगे हैं. जबकि इससे पूर्व चमकी बुखार से जुड़े मामले जुलाई के अंत तक आने बंद हो जाते थे. मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) में इस बार जुलाई तो दूर पूरे अगस्त और अब सितंबर में भी सामने आ रहे हैं. एक बच्ची में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) यानी एईएस (AES) की पुष्टि हुई है.

ये भी पढ़ें : मुजफ्फरपुर: उमस भरी गर्मी बढ़ने के साथ चमकी बुखार ने पकड़ा जोर, अलर्ट रहने का निर्देश

एसकेएमसीएच अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जेपी नारायण ने बताया कि ऐसा मौसम में हुए बदलाव की वजह से हो रहा है. जहां पहले लगातार बारिश हो रही है, फिर उसके बाद तेज गर्मी पड़ रही है. जिससे उमस भरी गर्मी और बारिश के बीच चमकी बुखार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. एसकेएमसीएच में चमकी बुखार जुड़ा नया मामला वैशाली से सामने आया है. 12 वर्षीय बच्ची आरती कुमारी में AES की पुष्टि हुई है.

देखें वीडियो

डॉ. जेपी नारायण ने बताया कि वैशाली की बच्ची की हालत हालत गंभीर बनी हुई है. फिलहाल पीड़ित बच्ची का इलाज एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में चिकित्सकों की गहन निगरानी में चल रहा है. बता दें कि इस वर्ष चमकी बुखार ( AES) पुष्टि के अब तक कुल 71 मामले सामने आए हैं. जिसमे एसकेएमसीएच अस्पताल में 68 मामले सामने आए हैं. इस साल अबतक 16 बच्चों की मौत भी हो चुकी है. वहीं 48 बच्चे ठीक हो कर घर जा चुके हैं

एसकेएमसीएच के अलावा मुजफ्फरपुर के केजरीवाल अस्पताल में भी चमकी बुखार से जुड़े 3 मामले सामने आए हैं. बता दें कि उत्तर बिहार के कई जिलों से एसकेएमसीएच अस्पताल में चमकी बुखार से जुड़े मामले इस वर्ष जनवरी महीने से ही आने शुरू हो गए थे. इस बार सितंबर महीने में भी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के मामले आ रहे हैं.

इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम को आम भाषा में दिमागी बुखार कहा जाता है. इसकी वजह वायरस को माना जाता है. इस वायरस का नाम इंसेफेलाइटिस वाइरस है. इस बीमारी के चलते शरीर में दूसरे कई संक्रमण हो जाते हैं. एईएस होने पर तेज बुखार के साथ मस्तिष्क में सूजन आ जाती है. इसके चलते शरीर का तंत्रिका तंत्र निष्क्रिय हो जाता है और रोगी की मौत तक हो जाती है.

इसे भी पढ़ें : मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार ने फिर उठाया सिर, 4 बच्चों को SKMCH में किया गया भर्ती

गर्मी और आद्रता बढ़ने पर यह बीमारी तेजी से फैलती है. इस बीमारी के वायरस खून में मिलने पर प्रजनन शुरू कर तेजी से बढ़ने लगते हैं. खून के साथ ये वायरस मरीज के मस्तिष्क में पहुंच जाते हैं. मस्तिष्क में पहुंचने पर ये वायरस वहां की कोशिकाओं में सूजन कर देते हैं. दिमाग में सूजन आने पर शरीर का तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है, जो मरीज की मौत का कारण बनता है.

बता दें कि मुजफ्फरपुर में दिमागी बुखार का पहला मामला 1995 में सामने आया था. वहीं, पूर्वी यूपी में भी ऐसे मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. इस बीमारी के फैलने का कोई खास पैमाना तो नहीं है, लेकिन अत्यधिक गर्मी और बारिश की कमी के कारण अक्सर ऐसे मामले में बढ़ोतरी देखी गई है.

मुजफ्फरपुर: चमकी बुखार आम लोगों के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग के लिए अबूझ पहेली बन गया है. तापमान में गिरावट आने के बाद भी मामले बढ़ रहे हैं. अब सितंबर महीने में भी चमकी बुखार से जुड़े मामले सामने आने लगे हैं. जबकि इससे पूर्व चमकी बुखार से जुड़े मामले जुलाई के अंत तक आने बंद हो जाते थे. मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) में इस बार जुलाई तो दूर पूरे अगस्त और अब सितंबर में भी सामने आ रहे हैं. एक बच्ची में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) यानी एईएस (AES) की पुष्टि हुई है.

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एसकेएमसीएच अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जेपी नारायण ने बताया कि ऐसा मौसम में हुए बदलाव की वजह से हो रहा है. जहां पहले लगातार बारिश हो रही है, फिर उसके बाद तेज गर्मी पड़ रही है. जिससे उमस भरी गर्मी और बारिश के बीच चमकी बुखार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. एसकेएमसीएच में चमकी बुखार जुड़ा नया मामला वैशाली से सामने आया है. 12 वर्षीय बच्ची आरती कुमारी में AES की पुष्टि हुई है.

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डॉ. जेपी नारायण ने बताया कि वैशाली की बच्ची की हालत हालत गंभीर बनी हुई है. फिलहाल पीड़ित बच्ची का इलाज एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में चिकित्सकों की गहन निगरानी में चल रहा है. बता दें कि इस वर्ष चमकी बुखार ( AES) पुष्टि के अब तक कुल 71 मामले सामने आए हैं. जिसमे एसकेएमसीएच अस्पताल में 68 मामले सामने आए हैं. इस साल अबतक 16 बच्चों की मौत भी हो चुकी है. वहीं 48 बच्चे ठीक हो कर घर जा चुके हैं

एसकेएमसीएच के अलावा मुजफ्फरपुर के केजरीवाल अस्पताल में भी चमकी बुखार से जुड़े 3 मामले सामने आए हैं. बता दें कि उत्तर बिहार के कई जिलों से एसकेएमसीएच अस्पताल में चमकी बुखार से जुड़े मामले इस वर्ष जनवरी महीने से ही आने शुरू हो गए थे. इस बार सितंबर महीने में भी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के मामले आ रहे हैं.

इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम को आम भाषा में दिमागी बुखार कहा जाता है. इसकी वजह वायरस को माना जाता है. इस वायरस का नाम इंसेफेलाइटिस वाइरस है. इस बीमारी के चलते शरीर में दूसरे कई संक्रमण हो जाते हैं. एईएस होने पर तेज बुखार के साथ मस्तिष्क में सूजन आ जाती है. इसके चलते शरीर का तंत्रिका तंत्र निष्क्रिय हो जाता है और रोगी की मौत तक हो जाती है.

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गर्मी और आद्रता बढ़ने पर यह बीमारी तेजी से फैलती है. इस बीमारी के वायरस खून में मिलने पर प्रजनन शुरू कर तेजी से बढ़ने लगते हैं. खून के साथ ये वायरस मरीज के मस्तिष्क में पहुंच जाते हैं. मस्तिष्क में पहुंचने पर ये वायरस वहां की कोशिकाओं में सूजन कर देते हैं. दिमाग में सूजन आने पर शरीर का तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है, जो मरीज की मौत का कारण बनता है.

बता दें कि मुजफ्फरपुर में दिमागी बुखार का पहला मामला 1995 में सामने आया था. वहीं, पूर्वी यूपी में भी ऐसे मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. इस बीमारी के फैलने का कोई खास पैमाना तो नहीं है, लेकिन अत्यधिक गर्मी और बारिश की कमी के कारण अक्सर ऐसे मामले में बढ़ोतरी देखी गई है.

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