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महिला दिवस स्पेशल: नारी तू कभी ना हारी...

हर साल 8 मार्च को दुनियाभर में महिला दिवस यानी खासतौर पर महिलाओं को समर्पित एक दिन सेलिब्रेट किया जाता है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं किसान चाची के बारे में. जिन्होंने महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है.

know kisan chachi success story
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Published : Mar 7, 2021, 5:14 PM IST

Updated : Mar 7, 2021, 5:38 PM IST

मुजफ्फरपुर: किसान चाची ने अपनी कठोर परिश्रम की बदौलत सफल कृषक बनने से लेकर पद्मश्री तक का सफर तय किया. मुजफ्फरपुर की सुदूरवर्ती इलाके सरैया की किसान चाची आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है. किसान चाची राजकुमारी देवी आज हजारों महिलाओं के लिए रोल मॉडल हैं.

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किसान चाची का सफर

यह भी पढ़ें- महिला दिवस स्पेशल: ये हैं बिहार की 'धाकड़ बेटी' स्वीटी कुमारी, 'स्कोरिंग मशीन' पुकारते हैं दोस्त

किसान चाची का सफर
राजकुमारी देवी ने गांव के पगडंडियों से निकल कर पहले साइकिल चाची फिर पूरे देश की किसान चाची बनने का सफर तय किया है. जीवन में कई उतार चढ़ाव देखे पर हार नहीं मानी. एक आम महिला ने खेतों से होते हुए पद्मश्री तक का सफर तय किया. आज राजकुमारी देवी अपने आचार निर्माण उसके मार्केटिंग से कई महिलाओं को स्वरोजगार भी उपलब्ध करा रहीं हैं.

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सफल कृषक बनने से लेकर पद्मश्री तक का सफर तय किया किसान चाची ने

यह भी पढ़ें- स्पेशल 26 : सागर रेलवे स्टेशन पर आसमान की बुलंदियां छू रहा महिलाओं का हौंसला

आत्मनिर्भरता की अदभुत मिसाल
महिला दिवस पर किसान चाची की कहानी आत्मनिर्भरता की अदभुत मिसाल पेश करती है. अपनी श्रमशक्ति और खेती से मिसाल पेश करने वाली राजकुमारी देवी की कहानी वाकई प्रेरणा देने वाली है. राजकुमारी देवी आज पूरे जिले में किसान चाची के नाम से मशहूर है. उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया. किसान चाची का यह सफर अब दूसरे महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन रहा है.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें- महिला दिवस स्पेशल: बेटी हो तो साधना जैसी! महज 19 साल में पैक्स अध्यक्ष बनकर पेश की मिसाल

किसान चाची की पूरी कहानी
किसान चाची राजकुमारी देवी की खेती से एक आत्मनिर्भर महिला बनने तक की कहानी पूरी संघर्ष से भरी हुई है. किसान चाची की शादी एक किसान परिवार में हुई थी उनके ससुराल में वैसे तो तंबाकू की खेती होती थी. लेकिन उन्होंने अपने प्रयासों से सब्जी और फल की खेती शुरु की. यही नहीं उन्होंने अचार और मुरब्बा बनाना शुरु किया. जिसमें उन्होंने अपने आस-पास की महिलाओं का भी सहयोग लिया. इसके बाद किसान चाची ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य शुरु किया.

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बिहार सरकार द्वारा साल 2006 में किसानश्री सम्मान दिया गया

इसके लिए वह अपने गांव के आस-पास के गांवों में महिलाओं को प्रशिक्षित करने के लिए जाती थीं. जब उन्हें ज्यादा दूर-दराज के गांव में जाने के लिए परेशानी होती तो उन्होंने साईकिल खरीदकर उसे चलाना सीखा और दूर-दूर जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण देने का कार्य किया. जिससे उन्हें समाज में एक नई पहचान मिलने लगी. धीरे-धीरे उनके प्रयासों की सराहना केवल बिहार ही नहीं बल्कि आज पूरे देश दुनिया मे की जाती है.

महिलाओं की शान
राजकुमारी देवी के प्रयासों के चलते उन्हें बिहार सरकार द्वारा साल 2006 में किसानश्री सम्मान दिया गया. और तभी से उन्हें किसान चाची के नाम से लोग जानने लगे. भारत सरकार द्वारा भी उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया. आज राजकुमारी देवी के द्वारा चालीस से अधिक समूह बनाये जा चुके हैं. जिसके अंतर्गत महिलाएं उद्यमी बनकर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हैं.

मुजफ्फरपुर: किसान चाची ने अपनी कठोर परिश्रम की बदौलत सफल कृषक बनने से लेकर पद्मश्री तक का सफर तय किया. मुजफ्फरपुर की सुदूरवर्ती इलाके सरैया की किसान चाची आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है. किसान चाची राजकुमारी देवी आज हजारों महिलाओं के लिए रोल मॉडल हैं.

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किसान चाची का सफर

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किसान चाची का सफर
राजकुमारी देवी ने गांव के पगडंडियों से निकल कर पहले साइकिल चाची फिर पूरे देश की किसान चाची बनने का सफर तय किया है. जीवन में कई उतार चढ़ाव देखे पर हार नहीं मानी. एक आम महिला ने खेतों से होते हुए पद्मश्री तक का सफर तय किया. आज राजकुमारी देवी अपने आचार निर्माण उसके मार्केटिंग से कई महिलाओं को स्वरोजगार भी उपलब्ध करा रहीं हैं.

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सफल कृषक बनने से लेकर पद्मश्री तक का सफर तय किया किसान चाची ने

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आत्मनिर्भरता की अदभुत मिसाल
महिला दिवस पर किसान चाची की कहानी आत्मनिर्भरता की अदभुत मिसाल पेश करती है. अपनी श्रमशक्ति और खेती से मिसाल पेश करने वाली राजकुमारी देवी की कहानी वाकई प्रेरणा देने वाली है. राजकुमारी देवी आज पूरे जिले में किसान चाची के नाम से मशहूर है. उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया. किसान चाची का यह सफर अब दूसरे महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन रहा है.

देखें रिपोर्ट

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किसान चाची की पूरी कहानी
किसान चाची राजकुमारी देवी की खेती से एक आत्मनिर्भर महिला बनने तक की कहानी पूरी संघर्ष से भरी हुई है. किसान चाची की शादी एक किसान परिवार में हुई थी उनके ससुराल में वैसे तो तंबाकू की खेती होती थी. लेकिन उन्होंने अपने प्रयासों से सब्जी और फल की खेती शुरु की. यही नहीं उन्होंने अचार और मुरब्बा बनाना शुरु किया. जिसमें उन्होंने अपने आस-पास की महिलाओं का भी सहयोग लिया. इसके बाद किसान चाची ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य शुरु किया.

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बिहार सरकार द्वारा साल 2006 में किसानश्री सम्मान दिया गया

इसके लिए वह अपने गांव के आस-पास के गांवों में महिलाओं को प्रशिक्षित करने के लिए जाती थीं. जब उन्हें ज्यादा दूर-दराज के गांव में जाने के लिए परेशानी होती तो उन्होंने साईकिल खरीदकर उसे चलाना सीखा और दूर-दूर जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण देने का कार्य किया. जिससे उन्हें समाज में एक नई पहचान मिलने लगी. धीरे-धीरे उनके प्रयासों की सराहना केवल बिहार ही नहीं बल्कि आज पूरे देश दुनिया मे की जाती है.

महिलाओं की शान
राजकुमारी देवी के प्रयासों के चलते उन्हें बिहार सरकार द्वारा साल 2006 में किसानश्री सम्मान दिया गया. और तभी से उन्हें किसान चाची के नाम से लोग जानने लगे. भारत सरकार द्वारा भी उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया. आज राजकुमारी देवी के द्वारा चालीस से अधिक समूह बनाये जा चुके हैं. जिसके अंतर्गत महिलाएं उद्यमी बनकर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हैं.
Last Updated : Mar 7, 2021, 5:38 PM IST
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