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भावुक होकर बोले कफील खान- बच्चों की हो रही मौत, घर में बैठ नहीं सकता - ईटीवी भारत बिहार

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए डॉ. कफील खान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने कहा कि अगर एक बच्चे की जिंदगी बचा लूंगा, तो मेरी जिंदगी संवर जाएगी. डॉ. कफील चुप नहीं बैठ सकते.

Exclusive Interview with Dr kafeel khan
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Published : Jun 21, 2019, 6:43 PM IST

Updated : Jun 22, 2019, 5:37 PM IST

मुजफ्फरपुरः उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर व आसपास के जिलों में एईएस (चमकी बुखार) से बच्चों की लगातार मौतें हो रही है. बीते 20 दिनों में एईएस के 479 मामले सामने आ चुके है. गुरुवार देर रात तक पांच और बच्चों की मौत एसकेएमसीएच में हो गई. मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 173 हो गया है.

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत के समय एक शख्स ने खूब सुर्खियां बनी थीं. उस दौरान उस शख्स पर आरोप लगे और जेल जाना पड़ा था. बेल पर रिहा हुआ अब मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल में चमकी बुखार से जान गंवाते बच्चों को लेकर एक बार फिर चर्चा में हैं.

Exclusive Interview with Dr kafeel khan
स्वास्थ्य कैंप में डॉ. कफील

दरअसल, बीआरडी अस्पताल से निलंबित डॉ. कफील खान इन दिनों मुजफ्फरपुर में हैं. डॉ. कफील खान मुजफ्फरपुर में क्या कर रहे हैं. तमाम सवालों को लेकर हमारे संवाददाता ने डॉ. कफील खान से बातचीत की.

सवाल: गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत के समय आप के नाम पर खूब सुर्खियां बनी थीं?
जवाब : सुर्खियों में योगी आदित्यनाथ लेकर आए थे. मैं खुद सुर्खियों में नहीं आया था. कहा जाता है कि एक भी बच्चे की अगर जिंदगी बचा लो, तो आपका जीवन सुधर जाता है. 150 बच्चों की मौत की खबर से सारा देश हिला हुआ है. ऐसे में अगर डॉक्टर कफील घर में बैठे रहें तो वो खुद इसे बर्दाश्त न कर पाएं. कोशिश ये है कि जो अपने बल पर किया जा सकता है वो किया जाए. एक अन्य घटना के तथ्य की जांच के लिए जब वो बहराइच गए तो फिर से योगी सरकार ने उन्हें जेल में भेज दिया. लेकिन हम इस बार एसडीए से प्रमिशन लेकर ये कैंप कर रहे हैं.

Exclusive Interview with Dr kafeel khan
बच्चों के साथ डॉ. कफील खान

सवाल: SKMCH अस्पताल का आपने दौरा किया, आपने क्या देखा?
जवाब: मुझे एहसास हुआ कि बीमारी से ज्यादा सरकारी तंत्र की विफलता की वजह से बच्चे मर रहे हैं. डॉक्टर और नर्सेज की भारी कमी है. एक-एक बेड पर तीन-तीन बच्चों का इलाज किया जा रहा है. यहां तक कि उचित दवाइयां तक नहीं हैं. वहां महज 4 सौ मरीजों पर 4 डॉक्टर हैं. आईसीयू की हालत बेहद खराब है. मरीजों के साथ जानवरों जैसा बर्ताव किया जा रहा है.

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डॉ. कफील का शिविर पोस्टर

सवाल: अस्पताल प्रशासन का कहना है कि उनके पास डॉक्टर्स की कमी नहीं हैं?
जवाब: ऐसा नहीं है. मेडिकल सुप्रीटेंडेंट से मैं खुद मिला हूं. उन्होंने स्वीकार किया है कि पटना और एम्स से कुछ डॉक्टर आ रहे हैं अभी आए नहीं हैं. साथ ही दवाइयों की भी कमी है. जिसको उपलब्ध कराने की कोशिश जारी है. डॉक्टर कफील ने दावा कि वो मेडिकल सुप्रीटेंडेंट का वीडियो भी दिखा सकता हूं, जिसमें उन्होंने इन सभी बातों का जिक्र किया है. साल 2014 में भी इन तमाम चीजों की कमी थी, जब कुल 328 बच्चों ने दम तोड़ा था. इस वक्त भी स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने दावा किया था कि सब व्यवस्था ठीक कर देंगे. लेकिन आज भी स्थित जस की तस बनी हुई है.

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मासूम के साथ डॉ. कफील

सवाल: सरकार को अब इस परिस्थिती में क्या करना चाहिए?
जवाब- मैं सीएम नीतीश कुमार और केंद्रीय स्वास्थ मंत्रालय से निवेदन करूंगा कि इतनी बड़ी तादाद में अचानक मरीजों की संख्या बढ़ गई है, जिनका इलाज एक जगह पर संभव नहीं है. हो सके तो एयर ऐंबुलेंस के जरिए इन बच्चों को जहां आप को सही लगे पटना, लखनऊ, दिल्ली शिफ्ट कर दें. क्योंकि यहां डॉक्टरों की कमी है, बेड की कमी है. लाख कोशिशों के बावजूद भी बच्चों की मौत लगातार हो रही है. तो ऐसे में दूसरे राज्यों की मदद लेनी चाहिए. जो गांव-गांव में बच्चे मर रहे हैं उन्हें तुरंत ट्रीटमेंट देकर बचाया जाए. साथ ही उन्होंने नीतीश सरकार से अनुरोध किया कि इस बीमारी को लेकर आप ने 2014 में जो भी वादे किए थे उसे जल्द से जल्द पूरा किया जाए.

Exclusive Interview with Dr kafeel khan
ईटीवी भारत के साथ बातचीत करते डॉ. कफील

इसके अलावा डॉ कफील खान ने बताया कि, 'जो कॉमन बच्चों की बीमारियां हैं जैसे डायरिया, निमोनिया या कोई अन्य बीमारी है, उसका इलाज वो कर रहे हैं और फ्री दवाई दे रहे हैं.' इससे पहले उन्होंने एसकेएमसीएच में बच्चों और परिजनों से मिलकर हालात का जायजा भी लिया.

डॉ. कफील हॉस्पिटल सुपरिटेंडेंट सुनील कुमार शाही से भी मिले थे. कफील कहते हैं कि हमारी टीम में कुल 6 डॉक्टर हैं. हमारी कोशिश है कि गांव के उन लोगों को जागरुक किया जाए, जहां अब तक सरकारी तंत्र नहीं पहुंच पाया है. ऐसे लोगों को ये जानकारी देना है कि आखिर चमकी बीमारी है क्या? या इसके क्या लक्षण हैं. अगर बताए गए लक्षण आपके बच्चे को दिख रहे हों तो उस स्थिति में क्या करें.

डॉ. कफील खान के साथ खास बातचीत

कौन हैं डॉ कफील खान?
11 अगस्त 2017 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी के कारण कई बच्चों की मौत हो गई थी. इस हादसे की जांच के लिए बनाई गई कमेटी ने नौ लोगों को जिम्मेदार माना था, जिसमें डॉ. कफील खान भी शामिल थे. डॉ कफील को लापरवाही का आरोप लगाकर सस्पेंड कर दिया था, इतना ही नहीं उन्हें गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया गया था. आठ महीने से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद 25 अप्रैल 2018 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिली और वह 28 अप्रैल की रात जेल से रिहा हुए.

डॉक्टर कफील खान को SC से राहत
जमानत पर छूटने के बाद डॉ. कफील ने अपने खिलाफ चल रही विभागीय कार्यवाही को जल्द पूर्ण करने के लिए कई बार मांग पत्र दिया. उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर हाईकोर्ट ने सात मार्च 2019 को आदेश दिया कि डॉक्टर कफील के खिलाफ चल रही जांच तीन महीने के अंदर पूरा किया जाए. तीन महीने की ये अवधि सात जून को पूरी हुई. लेकिन, अभी तक उनके खिलाफ विभागीय जांच पूरी होने के बारे में कोई खबर नहीं है.

क्या था BRD अस्पताल का सच?
डॉक्टर कफील खान, गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल हादसे के तुरंत बाद ये नाम रातों-रात फरिश्ते की तरह उभरा था. लेकिन कुछ ही दिन बाद ये नाम खलनायक बन गया. पहले कहा गया अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से मरते बच्चों को बचाने के लिए डॉक्टर कफील दोस्तों से मांगकर ऑक्सीजन सिलिंडर लाए. इसके अलावा भी जो कुछ कर सकते थे किया. वो भगवान नहीं, फरिश्ता हैं. इसके बाद कहा गया कि डॉक्टर कफील इस हादसे के जिम्मेदार लोगों में से थे. अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस चलाने के लिए वो अस्पताल से सिलिंडर निजी क्लीनिक पर ले जाते थे. जब अचानक से स्थिति बिगड़ गई तो वो गलती सुधारने की कोशिश कर रहे थे.

मुजफ्फरपुरः उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर व आसपास के जिलों में एईएस (चमकी बुखार) से बच्चों की लगातार मौतें हो रही है. बीते 20 दिनों में एईएस के 479 मामले सामने आ चुके है. गुरुवार देर रात तक पांच और बच्चों की मौत एसकेएमसीएच में हो गई. मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 173 हो गया है.

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत के समय एक शख्स ने खूब सुर्खियां बनी थीं. उस दौरान उस शख्स पर आरोप लगे और जेल जाना पड़ा था. बेल पर रिहा हुआ अब मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल में चमकी बुखार से जान गंवाते बच्चों को लेकर एक बार फिर चर्चा में हैं.

Exclusive Interview with Dr kafeel khan
स्वास्थ्य कैंप में डॉ. कफील

दरअसल, बीआरडी अस्पताल से निलंबित डॉ. कफील खान इन दिनों मुजफ्फरपुर में हैं. डॉ. कफील खान मुजफ्फरपुर में क्या कर रहे हैं. तमाम सवालों को लेकर हमारे संवाददाता ने डॉ. कफील खान से बातचीत की.

सवाल: गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत के समय आप के नाम पर खूब सुर्खियां बनी थीं?
जवाब : सुर्खियों में योगी आदित्यनाथ लेकर आए थे. मैं खुद सुर्खियों में नहीं आया था. कहा जाता है कि एक भी बच्चे की अगर जिंदगी बचा लो, तो आपका जीवन सुधर जाता है. 150 बच्चों की मौत की खबर से सारा देश हिला हुआ है. ऐसे में अगर डॉक्टर कफील घर में बैठे रहें तो वो खुद इसे बर्दाश्त न कर पाएं. कोशिश ये है कि जो अपने बल पर किया जा सकता है वो किया जाए. एक अन्य घटना के तथ्य की जांच के लिए जब वो बहराइच गए तो फिर से योगी सरकार ने उन्हें जेल में भेज दिया. लेकिन हम इस बार एसडीए से प्रमिशन लेकर ये कैंप कर रहे हैं.

Exclusive Interview with Dr kafeel khan
बच्चों के साथ डॉ. कफील खान

सवाल: SKMCH अस्पताल का आपने दौरा किया, आपने क्या देखा?
जवाब: मुझे एहसास हुआ कि बीमारी से ज्यादा सरकारी तंत्र की विफलता की वजह से बच्चे मर रहे हैं. डॉक्टर और नर्सेज की भारी कमी है. एक-एक बेड पर तीन-तीन बच्चों का इलाज किया जा रहा है. यहां तक कि उचित दवाइयां तक नहीं हैं. वहां महज 4 सौ मरीजों पर 4 डॉक्टर हैं. आईसीयू की हालत बेहद खराब है. मरीजों के साथ जानवरों जैसा बर्ताव किया जा रहा है.

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डॉ. कफील का शिविर पोस्टर

सवाल: अस्पताल प्रशासन का कहना है कि उनके पास डॉक्टर्स की कमी नहीं हैं?
जवाब: ऐसा नहीं है. मेडिकल सुप्रीटेंडेंट से मैं खुद मिला हूं. उन्होंने स्वीकार किया है कि पटना और एम्स से कुछ डॉक्टर आ रहे हैं अभी आए नहीं हैं. साथ ही दवाइयों की भी कमी है. जिसको उपलब्ध कराने की कोशिश जारी है. डॉक्टर कफील ने दावा कि वो मेडिकल सुप्रीटेंडेंट का वीडियो भी दिखा सकता हूं, जिसमें उन्होंने इन सभी बातों का जिक्र किया है. साल 2014 में भी इन तमाम चीजों की कमी थी, जब कुल 328 बच्चों ने दम तोड़ा था. इस वक्त भी स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने दावा किया था कि सब व्यवस्था ठीक कर देंगे. लेकिन आज भी स्थित जस की तस बनी हुई है.

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मासूम के साथ डॉ. कफील

सवाल: सरकार को अब इस परिस्थिती में क्या करना चाहिए?
जवाब- मैं सीएम नीतीश कुमार और केंद्रीय स्वास्थ मंत्रालय से निवेदन करूंगा कि इतनी बड़ी तादाद में अचानक मरीजों की संख्या बढ़ गई है, जिनका इलाज एक जगह पर संभव नहीं है. हो सके तो एयर ऐंबुलेंस के जरिए इन बच्चों को जहां आप को सही लगे पटना, लखनऊ, दिल्ली शिफ्ट कर दें. क्योंकि यहां डॉक्टरों की कमी है, बेड की कमी है. लाख कोशिशों के बावजूद भी बच्चों की मौत लगातार हो रही है. तो ऐसे में दूसरे राज्यों की मदद लेनी चाहिए. जो गांव-गांव में बच्चे मर रहे हैं उन्हें तुरंत ट्रीटमेंट देकर बचाया जाए. साथ ही उन्होंने नीतीश सरकार से अनुरोध किया कि इस बीमारी को लेकर आप ने 2014 में जो भी वादे किए थे उसे जल्द से जल्द पूरा किया जाए.

Exclusive Interview with Dr kafeel khan
ईटीवी भारत के साथ बातचीत करते डॉ. कफील

इसके अलावा डॉ कफील खान ने बताया कि, 'जो कॉमन बच्चों की बीमारियां हैं जैसे डायरिया, निमोनिया या कोई अन्य बीमारी है, उसका इलाज वो कर रहे हैं और फ्री दवाई दे रहे हैं.' इससे पहले उन्होंने एसकेएमसीएच में बच्चों और परिजनों से मिलकर हालात का जायजा भी लिया.

डॉ. कफील हॉस्पिटल सुपरिटेंडेंट सुनील कुमार शाही से भी मिले थे. कफील कहते हैं कि हमारी टीम में कुल 6 डॉक्टर हैं. हमारी कोशिश है कि गांव के उन लोगों को जागरुक किया जाए, जहां अब तक सरकारी तंत्र नहीं पहुंच पाया है. ऐसे लोगों को ये जानकारी देना है कि आखिर चमकी बीमारी है क्या? या इसके क्या लक्षण हैं. अगर बताए गए लक्षण आपके बच्चे को दिख रहे हों तो उस स्थिति में क्या करें.

डॉ. कफील खान के साथ खास बातचीत

कौन हैं डॉ कफील खान?
11 अगस्त 2017 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी के कारण कई बच्चों की मौत हो गई थी. इस हादसे की जांच के लिए बनाई गई कमेटी ने नौ लोगों को जिम्मेदार माना था, जिसमें डॉ. कफील खान भी शामिल थे. डॉ कफील को लापरवाही का आरोप लगाकर सस्पेंड कर दिया था, इतना ही नहीं उन्हें गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया गया था. आठ महीने से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद 25 अप्रैल 2018 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिली और वह 28 अप्रैल की रात जेल से रिहा हुए.

डॉक्टर कफील खान को SC से राहत
जमानत पर छूटने के बाद डॉ. कफील ने अपने खिलाफ चल रही विभागीय कार्यवाही को जल्द पूर्ण करने के लिए कई बार मांग पत्र दिया. उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर हाईकोर्ट ने सात मार्च 2019 को आदेश दिया कि डॉक्टर कफील के खिलाफ चल रही जांच तीन महीने के अंदर पूरा किया जाए. तीन महीने की ये अवधि सात जून को पूरी हुई. लेकिन, अभी तक उनके खिलाफ विभागीय जांच पूरी होने के बारे में कोई खबर नहीं है.

क्या था BRD अस्पताल का सच?
डॉक्टर कफील खान, गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल हादसे के तुरंत बाद ये नाम रातों-रात फरिश्ते की तरह उभरा था. लेकिन कुछ ही दिन बाद ये नाम खलनायक बन गया. पहले कहा गया अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से मरते बच्चों को बचाने के लिए डॉक्टर कफील दोस्तों से मांगकर ऑक्सीजन सिलिंडर लाए. इसके अलावा भी जो कुछ कर सकते थे किया. वो भगवान नहीं, फरिश्ता हैं. इसके बाद कहा गया कि डॉक्टर कफील इस हादसे के जिम्मेदार लोगों में से थे. अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस चलाने के लिए वो अस्पताल से सिलिंडर निजी क्लीनिक पर ले जाते थे. जब अचानक से स्थिति बिगड़ गई तो वो गलती सुधारने की कोशिश कर रहे थे.

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Last Updated : Jun 22, 2019, 5:37 PM IST
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