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मुंगेर : पूर्व विधायक नीता चौधरी का पार्थिव शरीर पहुंचा कमरगामा, पूरे क्षेत्र में शोक

पूर्व विधायक नीता चौधरी जिंदगी की जंग हार गई. नई दिल्ली सफदरजंग अस्पताल में इलाज के क्रम में उनकी मौत हुई. वह 27 मई की रात गैस रिसाव से आग लगने के कारण बुरी तरह झुलस गई थी.

पूर्व विधायक नीता चौधरी का पार्थिव शरीर
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Published : Jun 4, 2019, 1:07 PM IST

मुंगेर: तारापुर की पूर्व विधायक नीता चौधरी 6 दिनों तक जीवन मौत की लड़ाई में अंततः रविवार को जिंदगी की जंग हार गई. सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टरों ने उनके मृत्यु की औपचारिक घोषणा की. इस मौके पर उनके पति विधायक डॉक्टर मेवालाल चौधरी भी मौजूद रहे. पूर्व विधायक की निधन की खबर से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है.

पूर्व विधायक नीता चौधरी का पार्थिव शरीर पहुंचा कमरगामा गांव

पूर्व विधायक नीता चौधरी का पार्थिव शरीर नई दिल्ली से हवाई जहाज द्वारा सोमवार को ही देर रात पटना लाया गया था. फिर पटना से उनके पार्थिव शरीर को कमरगामा गांव स्थित उनके आवास पर ले जाया गया. आज सुलतानगंज घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. वहीं, विधायक मेवालाल चौधरी पूरी तरह शोक में डूबे हुए हैं.

घटानाक्रम

आपको बता दें कि नीता चौधरी रसोई में काम करने के दौरान आग के चपेट में आने से बुरी तरह से झुलस गई थी. वहीं, उन्हें बचाने के क्रम में विधायक मेवालाल चौधरी के भी हाथ जल गया था. नीता चौधरी को इलाज के लिए आनन-फानन में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल भागलपुर ले जाया गया. जहां डॉक्टर ने जांच के बाद प्राथमिक उपचार कर उन्हें बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच पटना रेफर कर दिया. पीएमसीएच में डॉक्टरों ने उन्हें लगभग 93 पर्सेंट जला हुआ बताया और दिल्ली के लिए रेफर कर दिया. 28 मई को शाम को हवाई एंबुलेंस से उन्हें दिल्ली इलाज के लिए ले जाया गया. दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. जहां 2 जून को उनकी बिगड़ती स्थिति को देखकर वेंटिलेटर पर रखा गया लेकिन उसी दिन उनकी मृत्यु हो गई.

कार्यकर्ता हैं काफी दुखी

शुरू से ही सामाजिक कार्यों में रुचि रखने के कारण नीता चौधरी को दिल्ली में कई स्वयंसेवी संगठनों के लिए कार्य करती रहती थी. वह साल 2010 में तारापुर से विधायक बनी थी और क्षेत्र में काफी लोकप्रिय थी. तारापुर क्षेत्र के राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता पूर्व विधायक की मौत से काफी दुखी हैं.

मुंगेर: तारापुर की पूर्व विधायक नीता चौधरी 6 दिनों तक जीवन मौत की लड़ाई में अंततः रविवार को जिंदगी की जंग हार गई. सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टरों ने उनके मृत्यु की औपचारिक घोषणा की. इस मौके पर उनके पति विधायक डॉक्टर मेवालाल चौधरी भी मौजूद रहे. पूर्व विधायक की निधन की खबर से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है.

पूर्व विधायक नीता चौधरी का पार्थिव शरीर पहुंचा कमरगामा गांव

पूर्व विधायक नीता चौधरी का पार्थिव शरीर नई दिल्ली से हवाई जहाज द्वारा सोमवार को ही देर रात पटना लाया गया था. फिर पटना से उनके पार्थिव शरीर को कमरगामा गांव स्थित उनके आवास पर ले जाया गया. आज सुलतानगंज घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. वहीं, विधायक मेवालाल चौधरी पूरी तरह शोक में डूबे हुए हैं.

घटानाक्रम

आपको बता दें कि नीता चौधरी रसोई में काम करने के दौरान आग के चपेट में आने से बुरी तरह से झुलस गई थी. वहीं, उन्हें बचाने के क्रम में विधायक मेवालाल चौधरी के भी हाथ जल गया था. नीता चौधरी को इलाज के लिए आनन-फानन में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल भागलपुर ले जाया गया. जहां डॉक्टर ने जांच के बाद प्राथमिक उपचार कर उन्हें बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच पटना रेफर कर दिया. पीएमसीएच में डॉक्टरों ने उन्हें लगभग 93 पर्सेंट जला हुआ बताया और दिल्ली के लिए रेफर कर दिया. 28 मई को शाम को हवाई एंबुलेंस से उन्हें दिल्ली इलाज के लिए ले जाया गया. दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. जहां 2 जून को उनकी बिगड़ती स्थिति को देखकर वेंटिलेटर पर रखा गया लेकिन उसी दिन उनकी मृत्यु हो गई.

कार्यकर्ता हैं काफी दुखी

शुरू से ही सामाजिक कार्यों में रुचि रखने के कारण नीता चौधरी को दिल्ली में कई स्वयंसेवी संगठनों के लिए कार्य करती रहती थी. वह साल 2010 में तारापुर से विधायक बनी थी और क्षेत्र में काफी लोकप्रिय थी. तारापुर क्षेत्र के राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता पूर्व विधायक की मौत से काफी दुखी हैं.

Intro:जिंदगी की जंग हार गई पूर्व विधायक नीता चौधरी,
सफदरजंग अस्पताल नई दिल्ली में चल रहा था इलाज, इलाज के क्रम में हुई मौत ।
तारापुर थाना क्षेत्र के कमरगामा गांव में 27 मई की रात गैस रिसाव से आग लगने के कारण बुरी तरह झुलस गई थी।


Body:तारापुर की पूर्व विधायक नीता चौधरी 6 दिनों तक जीवन मौत की लड़ाई में अंततः रविवार को जिंदगी की जंग हार गई। दिन के लगभग 10:30 बजे उनके मृत्यु की औपचारिक घोषणा डॉक्टरो द्वारा की गई। उनके पति विधायक डॉक्टर मेवालाल चौधरी के बिहार निवास से सफदरजंग अस्पताल आने के बाद डॉक्टर ने उनके समक्ष मृत्यु की औपचारिक पुष्टि कर दी। पूर्व विधायक श्रीमती चौधरी के निधन की खबर से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। पूर्व विधायक श्रीमती नीता चौधरी का पार्थिव शरीर नई दिल्ली से हवाई जहाज द्वारा सोमवार को ही देर रात पटना लाया गया था। पटना से नीता चौधरी का पार्थिव शरीर कमरगामा गांव स्थित उनके आवास पर लाया गया। आज नीता चौधरी का  सुलतानगंज घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा । विधायक मेवालाल चौधरी पूरी तरह शोक में डूबे हुए हैं ।
आपको बता दें कि नीता चौधरी अपने पति के लिए दूध गर्म करने के लिए रसोई घर गई थी । जहां पर रसोई चूल्हा जलाते ही गैस रिसाव के कारण वहां आग भभक गयी। जिसकी चपेट में पूर्व विधायक नीता चौधरी भी आ गई। कपड़े में आग लगे अवस्था में चीखती हुई बाहर की ओर भागी जहां उनके पति विधायक मेवालाल चौधरी एवं सचिव अभिषेक कुमार आपस में बातचीत कर रहे थे। चीख सुनकर उन्हें बचाने के लिए तोशक कंबल चादर के साथ दौड़े  किसी तरह आग पर काबू भी पाया। बचाने के क्रम में विधायक मेवा लाल  चौधरी के भी हाथ जल गए ।  आनन-फानन में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल मायागंज भागलपुर ले जाया गया । जहां डॉक्टर ने जांच के बाद प्राथमिक उपचार कर उन्हें और बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच पटना के लिए रेफर कर दिया था । पीएमसीएच में डॉक्टरों ने उन्हें लगभग 93 परसेंट जला हुआ बताया और दिल्ली के लिए रेफर कर दिया। 28 मई को शाम को हवाई एंबुलेंस के द्वारा उन्हें दिल्ली इलाज के लिए ले जाया गया था । सफदरजंग अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा था । जहाँ  2 जून को बिगड़ती स्थिति में वेंटिलेटर पर रखा गया। लेकिन उसी दिन 10:30 बजे के आसपास उनकी मृत्यु हो गई और अंततः जिंदगी की जंग हार गई। 

नीता चौधरी छपरा जिला के जनता बाजार निवासी जगदीश प्रसाद की पुत्री थी। उनके चाचा डॉक्टर प्रसाद, भारत सरकार के कृषि विभाग में एडीजी के पद पर कार्यरत थे। नीता चौधरी की शादी तारापुर के वर्तमान विधायक मेवालाल चौधरी के साथ हुई थी. शादी के बाद नीता ने भागलपुर यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री प्राप्त कर दिल्ली में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी ।

शुरू से ही सामाजिक कार्यों में रुचि रखने के कारण वे दिल्ली में भी कई स्वयंसेवी संगठनों के लिए कार्य करती रहती थी। उनके पति डॉक्टर मेवालाल चौधरी राष्ट्रीय कृषि बागवानी मिशन के निदेशक भी रहे। नीता साल 2010 में तारापुर से विधायक बनी थी और क्षेत्र में काफी लोकप्रिय थीं। तारापुर क्षेत्र के राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता नीता चौधरी की मौत की सूचना पाकर काफी दुखी हैं ।




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