मधुबनी: जिले में नदियां अपने उफान पर है. कमला बलान नदी का पानी मानो कहर बनकर टूटने पर आतुर है. ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी पानी घुस चुकी है. आस-पास लोग सहमे पड़े हैं. कई गांव इसके चपेट में हैं. कब कोई बड़ी दुर्घटना दस्तक न दे दे. जिला प्रशासन को सूचित भी किया जा चुका है लेकिन स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है.
ग्रामीणों का आरोप है कि इस बदहाली में न तो कोई जन प्रतिनीधि उनकी सुध ले रहा है और न ही जिला प्रशासन के कोई अधिकारी. लोग अपने बचाव में खुद लगे हुए हैं. ऊंचे स्थानों पर शरण लेकर कुछ देर के लिए हादसा तो टाला जा सकता है लेकिन सवाल है कि कब तक.
घर-द्वार छोड़कर ऊंचे स्थानों पर लोग ले रहे शरण
नेपाल के तराई क्षेत्रों में हो रही मूसलाधार बारिश के कारण कमला बलान नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. झंझारपुर में कमला बलान नदी खतरे के निशान से 1.95 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. जिससे कमला बलान नदी का बाढ़ का पानी गांव निचले इलाके गांव में घुस चुका है. लोग सुरक्षा के दृष्टिकोण से घर-द्वार छोड़कर उचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं.
गांवों में बाढ़ का पानी घुसने से सहमे लोग
जिलेबी के हरिना, भडुआर, मधेपुर प्रखंड के फटकी समेत कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस जाने से लोग काफी डरे-सहमे हैं. पिछले वर्ष की आई बाढ़ लोगों को याद सता रही है. लोग ऊंचे स्थानों पर शरण लिए प्लास्टिक टांग के जीवन यापन कर रहे हैं. लेकिन अभी तक कोई जनप्रतिनिधि या प्रशासन इन लोगों की सुध लेने नहीं पहुंचा है. अब देखना है जनप्रतिनिधि कब तक इस बार विस्थापितों का हाल जानने पहुंचते हैं. ऐसे में विस्थापितों में आक्रोश होना स्वाभाविक है.