लखीसराय: 'वे लोग मेरे पापा को खोज रहे थे...जब मैंने बोला पापा नहीं हैं, तो वे मेरे हाथ और कमर बांध कर मुझे ले गए. आगे ले जाकर एक काला कपड़ा पहना दिए.' यह बयान उस दीपक कुमार (Dealer Son Deepak Kumar Kidnapped) की है, जिसे नक्सलियों ने अगवा कर लिया था.
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नक्सलियों के चंगुल से छूटने के बाद अपनी दास्तान बताते हुए दीपक कुमार ने कहा कि मुझे डाउट था लेकिन क्लियर नहीं हो पा रहा था. दो सेकेंड बाद ही सभी लोग अंदर आ गए. वे लोग मेरे पापा को खोज रहे थे. मैं बोला कि पापा नहीं हैं. जब मैंने पूछा बताइये क्या बात है, तो बोलने लगे कि बताओ पापा कहा हैं... पापा कहा हैं. मैं उन लोगों से बोला की पांच मिनट टाइम दीजिए, पापा को मार्केट से बुला देते हैं. लेकिन वे लोग मेरा हाथ और कमर बांध दिए और अपने साथ ले गए.
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जब आगे मुसहरी तक गए तो एक काले रंग का पूरा ढका हुआ कपड़ा डाल दिए. उसके बाद फायरिंग की आवाज भी सुनाई दी. वे लोग मुझे दौड़ाते हुए ले गए थे. लगभग 6-7 घंटा लगातार चलते ही रहे. उसके बाद वहां हाथ-पैर, कमर बांध कर रखा. जब भी मैं कुछ बोलता तो मारने लग रहे थे.
डीलर के बेटे ने कहा कि वे लोग मेरे पापा को लेने आए थे. वे लोग हथियार से लैश होकर आए हुए थे. मैं भी क्या करता, जाना ही पड़ा. वे लोग मुझे कजरा के पहाड़ के पास छोड़ दिए. मेरा पूरा मुंह ढका रहता था इसलिए मुझे समय का पता नहीं चल सका. उधर से लौटते वक्त भी 7-8 घंटे लगातार चलता रहा. वे लोग रास्ते में बोले कि पीछे नहीं घुमना है... नहीं तो गोली मार देंगे. वे लोग बोले की तुम सीधे जाते रहो हम लोग तुम्हें यहां से देख रहे हैं. जब मैं आगे गया तो देखा कि एक गांव में लाइट जल रही है और वहां बहुभोज हो रहा था. जहां मैं एक बाइक वाले से पूछा कि कौन सी जगह, तो उन्होंने बताया कि कजरा. जिसके बाद मैं कजरा स्टेशन पहुंच पाया.
इस अपहरण के बाद से ही लखीसराय पुलिस कप्तान सुशील कुमार के द्वारा लगातार जंगलों में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा था. सर्च ऑपरेशन के दरमियान एक नक्सली को मार भी गिराया गया था. इसके बाद नक्सली बौखला गये. पुलिस द्वारा नक्सलियों के विरुद्ध की जा रही कार्रवाई का ही नतीजा है कि मजबूर होकर दीपक को रिहा करना पड़ा. दीपक की तलाश में पुलिस और एसटीएफ की टीम लगातार अभियान चला रही थी. ऐसे में दीपक को छिपाकर रखना उनके लिए मुश्किल हो गया था.
'अपहरण का मामला दर्ज होते ही सर्च ऑपरेशन चलाया गया. सर्च ऑपरेशन के दौरान एक नक्सली को भी मार गिराया गया था. जिसके पास से एके-47 बरामद किया गया. इस टीम में अमृतेश कुमार, सीआरपीएफ, बीएसएफ, बिहार पुलिस शामिल थी. लगातार सर्च ऑपरेशन चलाए जाने का ही नतीजा है कि दीपक की सकुशल रिहाई हो गई. दीपक को परिवार वालों को सौंप दिया गया है. -सुशील कुमार, पुलिस कप्तान
बता दें कि बिहार के लखीसराय जिले में बीते शनिवार को 15 से 20 की संख्या में नक्सलियों ने डीलर भागवत के 25 वर्षीय बेटे दीपक का अपहरण कर लिया था. वहीं, सोमवार की रात नक्सलियों ने दीपक को मुक्त कर दिया है. बता दें कि दीपक को पीरीबाजार के चौकड़ा राजपुर गांव से अगवा किया गया था. दीपक अपहरण के 48 घंटे के बाद सोमवार की रात करीब 11 बजे मुक्त होकर घर आ गया. अपहृत युवक के सकुशल लौटने से स्वजनों में खुशी है.
अपहृत के पिता भागवत प्रसाद ने बताया कि मेरे बेटे को कजरा के जंगलों में मुक्त किया गया है. दीपक किसी तरह कजरा स्टेशन तक पैदल चलकर पहुंचा. उसने किसी तरह घर वालों को सूचना दी. जिसके बाद उसे वहां से लाया गया. खाली पैर चलने की वजह से उसके पैर में फफोले हो गए हैं.
बता दें कि नक्सलियों की योजना स्थानीय डीलर भागवत महतो के अपरहण की थी लेकिन स्थिति कुछ ऐसी बनी कि नक्सली भागवत के 25 वर्षीय बेटे दीपक को ही उठा ले गए. दीपक के अपहरण के बाद पूरे गांव में सनसनी फैल गई थी. परिजनों ने तुरंत स्थानीय पुलिस को इसकी सूचना दी थी. सूचना के आधार पर थानाध्यक्ष ने टीम गठित कर दीपक की बरामदगी के लिए निकल पड़े थे. लेकिन रास्ते में ही पुलिसबलों की नक्सलियों के साथ मुठभेड़ हो गई. इस मुठभेड़ में एक नक्सली भी मारा गया.
पुलिस को कुछ हथियार भी मिले थे. नक्सली एके-47 से लैश थे. पुलिस को यह बेहद खतरनाक हथियार मिला. साथ ही कई अन्य हथियार भी बरामद किए गए हैं. यह मुठभेड़ चौखरा के नजदीक ही भगतपुर से सटे पहाड़ी के पास हुई. दरअसल, फूंक-फूंक कर आगे बढ़ रहे बाइक सवार सुरक्षाबलों को यह अंदेशा तो था ही नक्सली उन पर कभी भी अटैक कर सकते हैं और हुआ भी यही. नक्सलियों ने उन्हें निशाने पर ले लिया और दोनों तरफ से फायरिंग शुरू हो गई थी.
इस मुठभेड़ में मारे गए नक्सली की पहचान प्रमोद कोड़ा के रूप में की गई है. वहीं, अपने आप को कमजोर पड़ता देख नक्सली पीछे हट गए. एक नक्सली तो सुरक्षाबलों की नजरों से बचते-बचाते अंधेरे का फायदा उठाते हुए भाग खड़ा हुआ. मुठभेड़ में सुरक्षाबल के जवान बाल-बाल बच गए.