किशनगंज: बिहार में पूर्ण शराबबन्दी लागू है. नशेड़ियों को नशा से मुक्ति दिलाने के लिए राज्य में जगह-जगह नशा मुक्ति केंद्र भी बनाए गए हैं. किशनगंज में भी सदर अस्पताल में नशा मुक्ति केंद्र लाखों रूपए खर्च कर बनाया गया है. लेकिन अबतक इसमें ताला लगा रहता है. इस कारण मरीज नहीं आते हैं.
बात करने पर अस्पताल के अधिकारी कहते हैं कि डॉक्टर नहीं रहने के कारण इलाज नहीं हो पाता है. आए दिन शराब और अन्य नशीली पदार्थो के साथ तस्कर पकड़े जा रहे हैं. नशे की हालत में नशेड़ी भी पकड़े जाते है. ऐसे लोगों के लिए ही नशा मुक्ति केंद्र खोले गए थे. लेकिन ऐसे लोग इसका फायदा नहीं उठा पा रहे है.
किशनगंज स्थित सदर अस्पताल में भी लाखों खर्च कर सभी सुविधाओं से लैस नशा मुक्ति केंद्र खोला गया. इसके लिए अलग से डॉक्टरों की व्यवस्था की गई. लेकिन किशनगंज का नशा मुक्ति केंद्र हमेशा बंद रहता है. किशनगंज में शराबियों और नशेड़ियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है.
बंगाल से नशा कर आते हैं लोग
बंगाल से सटे होने के कारण किशनगंज के शराबी बंगाल से शराब पीकर वापस आराम से चले आते हैं. सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन बताते हैं कि शुरुआत में किशनगंज का नशा मुक्ति केंद्र सुचारु रूप से चलता था. यहां मरीज भी आते थे और इलाज करा कर स्वस्थ होकर वापस जाते थे. लेकिन अब यहां से डॉक्टर का तबादला होने से इसकी हालत दयनीय हो गई है.
डॉक्टर्स की नहीं हो पा रही है तैनाती
इस केन्द्र पर डॉक्टर की तैनाती नहीं होने के कारण अब यह केंद्र बन्द पड़ा हुआ है. इसकी जानकारी सिविल सर्जन और विभाग के उच्चाधिकारियों को भी है. लेकिन अबतक किसी भी डॉक्टर की तैनाती नहीं हुई है. जिसके कारण यह नशा मुक्ति केंद्र बंद पड़ा है.