किशनगंज: चारों तरफ से नदियों से घिरे होने के कारण और नेपाल के तराई के इलाके में होने की वजह से प्रतिवर्ष दिघलबैंक प्रखंड, ठाकुरगंज प्रखंड, टेढागाछ प्रखंड, किशनगंज प्रखंड और कोचाधामन प्रखंड बाढ़ से प्रभावित होता है.
ये सभी प्रखंड महानंदा नदी के तट पर है. जिसके कारण सबसे ज्यादा इन प्रखंडो को बाढ़ का दंश झेलना पड़ता है. यहां महानंदा, डॉक, कनकई, बूढ़ी कनकई और रतुआ नदी प्रमुख नदियां हैं. जो किशनगंज से होकर गुजरती है. लेकिन महानंदा नदी से सबसे ज्यादा किशनगंज में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है.
तैयारी में जुटा जिला प्रशासन
पिछले 2-3 वर्षो में साल 2017 में महानंदा नदी के कारण आई बाढ़ से किशनगंज जिला मुख्यालय लगभग 10-15 फीट पानी में डूब गया था. प्रत्येक साल बाढ़ अपने आगोश में कई गांव को लेकर चली जाती है. वहीं इस वर्ष जिला प्रशासन बाढ़ से निपटने के लिए पहले से ही तैयारी में जुट गया है.
इसके लिए डीएम ने आपदा विभाग के साथ बैठक कर कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए हैं. जिसमें सबसे ज्यादा उन तटबंधो पर सुरक्षा कार्य करने के आदेश दिए गए हैं, जो महानंदा नदी से सटे हुए हैं.
बाढ़ राहत केन्द्र बनाने का आदेश
जिन जगहों से बाढ़ का पानी इलाके में फैलता है, वहां पर बोल्डर पिचिंग कार्य, सैंड बैग से तटबंधो को मजबूत करने और कटाव निरोधी कार्य करने का आदेश जारी किया गया है. बता दें इससे पहले जो भी इलाका बाढ़ की चपेट में आता था, वहां के लोग सड़क पर शरण लेते थे. लेकिन इस वर्ष सभी पंचायतों में बाढ़ राहत केन्द्र बनाने का आदेश दिया गया है. जहां पर बाढ़ पीड़ितों के रहने और खाने की व्यवस्था की जाएगी.
जलस्तर नापने की व्यवस्था
किशनगंज में एनडीआरएफ या एसडीआरएफ की कंपनी नहीं है. लेकिन आवश्यकता होने पर कटिहार या पूर्णिया जिले से एसडीआरएफ की टीम बुलाई जाती है. सभी प्रभावित पंचायतों में सरकारी नाव, नाविक और गोताखोर की व्यवस्था रखी जाती है. नदी के सबसे उंची छोड़ पर जलस्तर नापने की व्यवस्था की जाती है. जहां हर समय पुलिस और मजिस्ट्रेट की नियुक्ति रहती है. जलस्तर बढ़ने पर मजिस्ट्रेट जिला प्रशासन को सूचना देते हैं और जो नजदीकी इलाका होता है, उन्हें सुरक्षित स्थान पर भेज दिया जाता है.