खगड़ियाः एक समय था जब खगड़िया के एक भाग में ज्यादातर किसान पान की खेती किया करते थे. लेकिन मौजूदा समय मे गिने चुने किसान ही पान की खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है खेती में आने वाली परेशानी और सरकारी अनुदान का न मिलना. युवा वर्ग तो इस खेती से बिल्कुल ही मुंह मोड़ चुका है.
छोड़ चुके हैं परंपरागत खेती
जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर गौछारी गांव है. यंहा के कई परिवार आज भी दादा परदादाओं के जमाने से पान की खेती करते आ रहे हैं, लेकिन पान की खेती करने वाले किसानों की मानें तो खेती के लिए प्रयाप्त पूंजी के अभाव में अब वे अपनी परंपरागत खेती छोड़ चुके हैं.
पलायन कर रहे यहां के युवा
इस पेशे से जुड़ी नई पीढ़ी दिल्ली और मुम्बई में मजदूरी करने के लिए जाने को मजबूर है. पान की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि सरकार का सहयोग नहीं मिल रहा है. पान की खेती को बचाने के लिए सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है. इस खेती के लिए अगर सरकार ने कोई घोषणा की भी है तो उसका लाभ हमलोगों तक नहीं पहुंच पाता.
कैसे होती है पान की खेती
किसान देवकी प्रसाद चौरसिया ने बताया कि पान बेहद नाजुक होता है. इसकी खेती घांसफूस व लकड़ी के बनाय छज्जे के अंदर होती है. इसकी सिंचाई में काफी मेहनत करनी पड़ती है. किसान छेद किये हुए घड़े में पानी भरकर छज्जों के भीतर सिंचाई करते हैं. गर्मी के दिन में कम से कम तीन से चार बार ये प्रक्रिया चलती है.
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गिने चुने किसान ही करते है खेती
किसान देवकी प्रसाद चौरसिया का कहना है कि सरकार से ना अनुदान मिलता है और न ही कोई नई तकनीक से खेती करने के गुर बताए जाते हैं. वो लोग अब भी पुराने तौर तरीकों से खेती करते हैं. जिससे उत्पादन कम होता है. आज गिने चुने किसान ही पान की खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. इसका मुख्य कारण है पान का सही मूल्य ना मिलना और दूसरा सरकार के तरफ से पान की खेती को अनदेखा करना.
'धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी ये खेती'
वहीं, खेत में मौजूद किसान के पुत्र प्रभास कुमार से पूछा गया कि क्या आपको पान की खेती करने आती है तो उनका सीधा जवाब था नहीं. प्रभास कुमार ने कहा कि अब पहले जैसा लाभ तो मिलता नहीं और मेहनत बहुत ज्यादा लगती है. मेरे दादा परदादा ये खेती करते आये हैं. ये हमारी परम्परागत खेती रही है लेकिन अब लग रहा है कि ये खत्म हो जायेगी. प्रभास कुमार ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि इसके लिए एक पान निगम बनाया जाय. वरना पान खेती इसी तरह धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी.