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खगड़ियाः नई पीढ़ी का पान की खेती से हो रहा मोहभंग, झेल रहे सरकारी उदासीनता की मार

किसान के एक बेटे प्रभास कुमार ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि इसके लिए एक पान निगम बनाया जाये. वरना पान की खेती इसी तरह धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी.

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पान का खेत
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Published : Dec 10, 2019, 11:00 AM IST

Updated : Dec 10, 2019, 2:35 PM IST

खगड़ियाः एक समय था जब खगड़िया के एक भाग में ज्यादातर किसान पान की खेती किया करते थे. लेकिन मौजूदा समय मे गिने चुने किसान ही पान की खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है खेती में आने वाली परेशानी और सरकारी अनुदान का न मिलना. युवा वर्ग तो इस खेती से बिल्कुल ही मुंह मोड़ चुका है.

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पान के पत्ते

छोड़ चुके हैं परंपरागत खेती
जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर गौछारी गांव है. यंहा के कई परिवार आज भी दादा परदादाओं के जमाने से पान की खेती करते आ रहे हैं, लेकिन पान की खेती करने वाले किसानों की मानें तो खेती के लिए प्रयाप्त पूंजी के अभाव में अब वे अपनी परंपरागत खेती छोड़ चुके हैं.

पलायन कर रहे यहां के युवा
इस पेशे से जुड़ी नई पीढ़ी दिल्ली और मुम्बई में मजदूरी करने के लिए जाने को मजबूर है. पान की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि सरकार का सहयोग नहीं मिल रहा है. पान की खेती को बचाने के लिए सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है. इस खेती के लिए अगर सरकार ने कोई घोषणा की भी है तो उसका लाभ हमलोगों तक नहीं पहुंच पाता.

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खेतों में लगा पान

कैसे होती है पान की खेती
किसान देवकी प्रसाद चौरसिया ने बताया कि पान बेहद नाजुक होता है. इसकी खेती घांसफूस व लकड़ी के बनाय छज्जे के अंदर होती है. इसकी सिंचाई में काफी मेहनत करनी पड़ती है. किसान छेद किये हुए घड़े में पानी भरकर छज्जों के भीतर सिंचाई करते हैं. गर्मी के दिन में कम से कम तीन से चार बार ये प्रक्रिया चलती है.

ये भी पढ़ेंः भागलपुर: डॉल्फिन सेंचुरी पर मछली व्यवसायियों का कब्जा, प्रशासन नहीं ले रहा कोई सूध

गिने चुने किसान ही करते है खेती
किसान देवकी प्रसाद चौरसिया का कहना है कि सरकार से ना अनुदान मिलता है और न ही कोई नई तकनीक से खेती करने के गुर बताए जाते हैं. वो लोग अब भी पुराने तौर तरीकों से खेती करते हैं. जिससे उत्पादन कम होता है. आज गिने चुने किसान ही पान की खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. इसका मुख्य कारण है पान का सही मूल्य ना मिलना और दूसरा सरकार के तरफ से पान की खेती को अनदेखा करना.

स्पेशल रिपोर्ट

'धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी ये खेती'
वहीं, खेत में मौजूद किसान के पुत्र प्रभास कुमार से पूछा गया कि क्या आपको पान की खेती करने आती है तो उनका सीधा जवाब था नहीं. प्रभास कुमार ने कहा कि अब पहले जैसा लाभ तो मिलता नहीं और मेहनत बहुत ज्यादा लगती है. मेरे दादा परदादा ये खेती करते आये हैं. ये हमारी परम्परागत खेती रही है लेकिन अब लग रहा है कि ये खत्म हो जायेगी. प्रभास कुमार ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि इसके लिए एक पान निगम बनाया जाय. वरना पान खेती इसी तरह धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी.

खगड़ियाः एक समय था जब खगड़िया के एक भाग में ज्यादातर किसान पान की खेती किया करते थे. लेकिन मौजूदा समय मे गिने चुने किसान ही पान की खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है खेती में आने वाली परेशानी और सरकारी अनुदान का न मिलना. युवा वर्ग तो इस खेती से बिल्कुल ही मुंह मोड़ चुका है.

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पान के पत्ते

छोड़ चुके हैं परंपरागत खेती
जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर गौछारी गांव है. यंहा के कई परिवार आज भी दादा परदादाओं के जमाने से पान की खेती करते आ रहे हैं, लेकिन पान की खेती करने वाले किसानों की मानें तो खेती के लिए प्रयाप्त पूंजी के अभाव में अब वे अपनी परंपरागत खेती छोड़ चुके हैं.

पलायन कर रहे यहां के युवा
इस पेशे से जुड़ी नई पीढ़ी दिल्ली और मुम्बई में मजदूरी करने के लिए जाने को मजबूर है. पान की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि सरकार का सहयोग नहीं मिल रहा है. पान की खेती को बचाने के लिए सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है. इस खेती के लिए अगर सरकार ने कोई घोषणा की भी है तो उसका लाभ हमलोगों तक नहीं पहुंच पाता.

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खेतों में लगा पान

कैसे होती है पान की खेती
किसान देवकी प्रसाद चौरसिया ने बताया कि पान बेहद नाजुक होता है. इसकी खेती घांसफूस व लकड़ी के बनाय छज्जे के अंदर होती है. इसकी सिंचाई में काफी मेहनत करनी पड़ती है. किसान छेद किये हुए घड़े में पानी भरकर छज्जों के भीतर सिंचाई करते हैं. गर्मी के दिन में कम से कम तीन से चार बार ये प्रक्रिया चलती है.

ये भी पढ़ेंः भागलपुर: डॉल्फिन सेंचुरी पर मछली व्यवसायियों का कब्जा, प्रशासन नहीं ले रहा कोई सूध

गिने चुने किसान ही करते है खेती
किसान देवकी प्रसाद चौरसिया का कहना है कि सरकार से ना अनुदान मिलता है और न ही कोई नई तकनीक से खेती करने के गुर बताए जाते हैं. वो लोग अब भी पुराने तौर तरीकों से खेती करते हैं. जिससे उत्पादन कम होता है. आज गिने चुने किसान ही पान की खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. इसका मुख्य कारण है पान का सही मूल्य ना मिलना और दूसरा सरकार के तरफ से पान की खेती को अनदेखा करना.

स्पेशल रिपोर्ट

'धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी ये खेती'
वहीं, खेत में मौजूद किसान के पुत्र प्रभास कुमार से पूछा गया कि क्या आपको पान की खेती करने आती है तो उनका सीधा जवाब था नहीं. प्रभास कुमार ने कहा कि अब पहले जैसा लाभ तो मिलता नहीं और मेहनत बहुत ज्यादा लगती है. मेरे दादा परदादा ये खेती करते आये हैं. ये हमारी परम्परागत खेती रही है लेकिन अब लग रहा है कि ये खत्म हो जायेगी. प्रभास कुमार ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि इसके लिए एक पान निगम बनाया जाय. वरना पान खेती इसी तरह धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी.

Intro:एक समय था जब खगडिय़ा एक भाग में ज्यादातर किसान पान की खेती क्या करते थे लेकिन आज के मौजूदा समय मे गिने चुने किसान ही पान की खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
देवकी प्रसाद चौरसिया
प्रभास कुमार
एनके सिंह पौधा सरंक्षण वैज्ञानिक


Body:एक समय था जब खगडिय़ा एक भाग में ज्यादातर किसान पान की खेती क्या करते थे लेकिन आज के मौजूदा समय मे गिने चुने किसान ही पान की खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।जिसका मुख्य कारण पान का सही मूल्य ना मिलना और दूसरा सरकार के तरफ से पान की खेती को अनदेखा करना।

जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर गौछारी गांव के है। यंहा के कई परिवार आज भी दादा परदादाओ से पान की खेती करते आ रहे हैं, लेकिन पान की खेती करने वाले किसानों की मानें तो खेती के लिए प्रयाप्त पूंजी के अभाव में अब वे अपनी परंपरागत खेती छोड़कर नई पीढ़ी दिल्ली और मुम्बई में मजदूरी करने के लिए जाने को मजबूर है।
पान की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि सरकार का सहयोग नही मिल रहा है। पान की खेती को बचाने के लिए की गई सरकार कोई कदम नही उठा रहीं है । इस खेती को बचाने के लिए अगर सरकार कोई घोषणा की भी होगी तो हमलोगों तक नही पहुच पता कोई भी लाभ। न हमलोगों को किसी प्रकार से सरकार से अनुदान मिलता है और न नई तकनीक से खेती करने के गुर बताएं जाते है हम लोग अब भी पुराने तौर तरीकों से खेती करते है जिससे अब सही उत्पादन का कम होता है

पान की खेती कैसे होती है इस बारे में पूछे जाने पर किसान देवकी प्रसाद चौरसिया ने बताया,
पान बेहद नाजुक होता है।इसकी खेती घासफूस व लकड़ी के बनाय छज्जे के अंदर होती है।इसकी सिंचाई में काफी मेहनत करनी पड़ती है।किसान छेद किये हुए घड़े में पानी भरकर छज्जों के भीतर सिंचाई करते है।गर्मी के दिन में कम से कम तीन से चार बार ये प्रक्रिया चलती है

पान के खेत मे मौजूद किसान देवकी प्रसाद के पुत्र प्रभास कुमार से पूछा गया कि क्या आपको पान की खेती करने आती है तो उनका सीधा जवाब था नही,क्यों नही इसका जवाब देते हुए प्रभास कुमार ने कहा कि अब पहले जैसा लाभ तो मिलता नही और मेहनत बहुत ज्यादा लगती है।हमारे दादा प्रदादा ये खेती करते आये है ये हमारी परम्परागत खेती रही है लेकिन अब लग रहा है कि ये खत्म हो जायेगी इसकी वजह सरकार भी है क्यों कि सरकार के तरफ से हमे कभी की नया तरीका नही सिखया जाता पान की खेती को किसी तरह का दर्जा नही मिला है ना ही कृषि दर्जा ना ही बागवानी का दर्जा मिला है। प्रभास कुमार ने सरकार से गुहार लगाते हुए की इसके लिए एक पान निगम बनाया जाय ।

बाइट-देवकी प्रसाद चौरसिया
बाइट-प्रभास कुमार
बाइट-एनके सिंह ,पौधा सरंक्षण वैज्ञानिक
(नोट-आधिकारिक बाइट में अम्बियन्स बहुत है क्यों कि अधिकारी बैठक में मौजूद थे और वंही बाइट लेना पड़ा)


Conclusion:
Last Updated : Dec 10, 2019, 2:35 PM IST
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