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20 सालों से विस्थापन का दर्द झेल रहे लोगों को नहीं मिला सरकारी योजनाओं का लाभ

कटिहार के छिंटाबाड़ी के पास नहर किनारे बसे विस्थापितों का हाल बेहाल है. लगभग बीस साल बाद भी उन्हें किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल सका है.

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Published : Mar 4, 2019, 1:15 PM IST

विस्थापित हुए लोग

कटिहार: जिले के छिंटाबाड़ी के पास नहर किनारे बसे विस्थापितों का हाल बेहाल है. लगभग बीस साल पहले बाढ़ के कारण विस्थापित हुए हजारों लोग अबतक सराकरी मदद की राह देख रहे हैं. इन बीस सालों में सिर्फ उनके लिए वोटर आईडी कार्ड बनाए गए हैं, जिससे चुनाव में इनके वोट का इस्तेमाल किया जा सके.

नहीं मिला सरकार की किसी भी योजना का लाभ
स्थानीय लोगों का कहना है कि सभी नेता सिर्फ वोट के लिए ही आते है. चुनाव के वक्त हजारों वादे कर वोट लेकर जाते हैं. हकीकत में ऐसा कुछ नहीं होता. पिछले बीस सालों से यहां विस्थापन का दर्द झेल रहे है. सरकार की किसी भी योजना का लाभ हमें नहीं मिलता है. पीड़ितों की सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द उन्हे तमाम सुविधाएं मुहैया कराए.

विस्थापित हुए लोग

स्थानीय जनप्रतिनिधि सिर्फ इनके वोटो का करते हैं इस्तेमाल
वहीं स्थानीय राजद नेता ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले 15 सालों में ना तो नीतीश कुमार की सरकार ने और ना ही उनके स्थानीय विधायक ने इन विस्थापितों के लिए कोई काम किया. स्थानीय जनप्रतिनिधि सिर्फ इनके वोटो का उपयोग करते हैं लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं करते.

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कटिहार: जिले के छिंटाबाड़ी के पास नहर किनारे बसे विस्थापितों का हाल बेहाल है. लगभग बीस साल पहले बाढ़ के कारण विस्थापित हुए हजारों लोग अबतक सराकरी मदद की राह देख रहे हैं. इन बीस सालों में सिर्फ उनके लिए वोटर आईडी कार्ड बनाए गए हैं, जिससे चुनाव में इनके वोट का इस्तेमाल किया जा सके.

नहीं मिला सरकार की किसी भी योजना का लाभ
स्थानीय लोगों का कहना है कि सभी नेता सिर्फ वोट के लिए ही आते है. चुनाव के वक्त हजारों वादे कर वोट लेकर जाते हैं. हकीकत में ऐसा कुछ नहीं होता. पिछले बीस सालों से यहां विस्थापन का दर्द झेल रहे है. सरकार की किसी भी योजना का लाभ हमें नहीं मिलता है. पीड़ितों की सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द उन्हे तमाम सुविधाएं मुहैया कराए.

विस्थापित हुए लोग

स्थानीय जनप्रतिनिधि सिर्फ इनके वोटो का करते हैं इस्तेमाल
वहीं स्थानीय राजद नेता ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले 15 सालों में ना तो नीतीश कुमार की सरकार ने और ना ही उनके स्थानीय विधायक ने इन विस्थापितों के लिए कोई काम किया. स्थानीय जनप्रतिनिधि सिर्फ इनके वोटो का उपयोग करते हैं लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं करते.

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Intro:कटिहार

बाढ़ से विस्थापित लोगों का जीना हुआ हराम। किसी भी तरह के कोई सुविधा नहीं। नहीं मिल रहा है कोई भी सरकारी योजनाओं का लाभ। जनप्रतिनिधि द्वारा सिर्फ वोट लेने के लिए बना दिया गया है वोटर कार्ड। कटिहार के छिंटाबाड़ी स्थित नहर के पास बसे विस्थापितों का मामला।


Body:एक और सरकार ढकोसले वायदे करता हैं कि गरीबों के लिए सारी सुविधा दी जाएगी। रहने के लिए आवास दिए जाएंगे, शौचालय दिए जाएंगे, बिजली दी जाएगी, पानी दी जाएगी,गाँव को सड़कों से जोड़ दिए जाएंगे, फ्री स्वास्थ्य सेवाएं दिए जाएंगे, यानी कुल मिलाकर कहे तो सभी सरकारी योजनाओं का लाभ देंगे। लेकिन कटिहार के छिंटाबाड़ी के समीप नहर किनारे बसे विस्थापितों की हाल जानकर आप रो पड़ेंगे। 20 वर्ष पूर्व बाढ़ के कारण हजारों लोग विस्थापित हुए थे और लोग जहां-तहां बस गए थे उसी में से 500 से 800 लोग छिंटाबाडी के नहर किनारे आ बसे। इन 20 वर्षों में सिर्फ उनके लिए वोटर आईडी कार्ड बनाए गए हैं। जिससे चुनाव में जनप्रतिनिधि इनका वोट ले सके। यहां के लोगों के लिए कोई योजना नहीं पहुंच रही है। स्थानीय सांसद, विधायक मुखिया किसी का भी ध्यान इनके उपर नहीं गया।

ईटीवी की टीम इन लोगों की समस्या जानने पहुंचा तो स्थानीय लोगों के द्वारा बताया गया अभी तक इन्हें किसी भी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। ना बच्चों के लिए विद्यालय है न सड़क, ना पानी है ना शौचालय। आधुनिकता के दौर में जहां सरकार एक ओर गरीबों को फ्री गैस देने का काम कर रही है वही आज भी यहां के लोग चूल्हे पर खाना बनाने को मजबूर है। झोपड़ी के घर में रह रहे लोगों की माने तो बरसात में काफी तकलीफ होती है। वहीं चूल्हा से खाना बनाने के दौरान झोपड़ी में आग लग जाती है। इनकी मानें तो पिछले 20 वर्षों से सिर्फ चुनाव में वोट देने जाती है। स्थानीय जनप्रतिनिधि सिर्फ इनके वोटो का उपयोग करते हैं लेकिन कोई काम नहीं करते।


Conclusion:स्थानीय राजद नेता आशु पांडे की माने तो पिछले 15 वर्षों से बिहार में नीतीश कुमार की सरकार है लेकिन ना ही उनके द्वारा और ना ही स्थानीय विधायक के द्वारा कोई काम इन विस्थापितों के लिए किया। इन्होंने बताया 21वीं सदी में बिहार के कटिहार में आज ऐसे भी लोग जिनके पास न रहने को घर है, ना बदन पर सही से कपड़े ना बच्चों के लिए विद्यालय और नहीं कोई सरकारी योजनाओं का लाभ है। स्थानीय जनप्रतिनिधि सिर्फ इनके वोटो का उपयोग करते हैं लेकिन उनके समस्याओं का समाधान नहीं करते।
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