कैमूरः गरीबी को हौंसले से पटकनी देकर बिहार की बेटी अन्नू गुप्ता ने कुश्ती में 'बिहार कुमारी' का खिताब जीता है. अन्नू गुप्ता बिहार कुश्ती में ऐसा नाम है जिसने अपने हौसले से अपने फैसले पर हक जताया और मुकाम भी हासिल किया. पेट्रोल बेचकर और पार्लर चलाकर इस खिलाड़ी ने कुश्ती में 13 गोल्ड मेडल जीते हैं.
आठवीं क्लास में पढ़ने के दौरान अन्नू ने जब अखाड़े से नाता जोड़ा तो घर में तुफान आ गया. मां ने कहा- बेटी है, कुश्ती कैसे लड़ेगी और पिता ने तो यहां तक कह दिया कि अपना फैसला बदल लो. भाई को भी ये स्वीकार नहीं था.
2016 में स्टेट कुश्ती का पहला गोल्ड मेडल मिला
कुश्ती खिलाड़ी अन्नू ने मन ही मन कहा- मैं नहीं, मेरी सफलता बोलेगी. तब से लेकर आज तक गरीबी और परिजनों के विरोध के बीच उसने अपने संकल्प को जिद में बदल दिया. सालों तक रियाज किया और वर्ष 2016 में स्टेट कुश्ती का पहला गोल्ड मेडल जीतने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. आठवीं कक्षा की अन्नू का सफर कॉलेज कैम्पस तक पंहुच गया. दर्जन भर स्टेट कुश्ती के मेडल और सूबे की सर्वश्रेष्ठ महिला पहलवान 'बिहार कुमारी' का खिताब अन्नू की झोली में आ गया.
पहलवानी के लिए नहीं मिली कायदे की खुराक
अन्नू 12 बार नेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप में हिस्सा ले चुकी हैं. इस दौरान छह सालों से गरीबी के मोर्चे पर रोजाना संघर्ष जारी है. इनकी झोली मेडलों से भरी है. मगर पहलवानी के लिए कायदे की खुराक कभी नहीं मिली. अभ्यास भी खुद की बदौलत किया, क्योंकि कैमूर व्यायामशाला में बेटियों को प्रैक्टिस की अनुमति नहीं. घर में छोटी बहन के साथ रियाज कर बीते साल बिहार कुमारी का खिताब जीता और सूबे में कैमूर का डंका बजाया. यह बेमिसाल पहलवान दुर्गावती प्रखंड के आदर्श ग्राम नुआंव के भगवान साह की बेटी है.
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पैसों के लिए ब्यूटी पार्लर भी चलाती हैं अन्नू
अन्नू ने इसी हफ्ते कैमूर केसरी का खिताब भी जीता है. जिसके बाद चमचमाती सुनहरी गदा इनके कंधे की शोभा बनी. इतना ही नहीं इनकी मेहनत को देखते हुए इन्हें शास्वत पुरस्कार भी दिया गया. लेकिन घर पर रोटी के जुगाड़ में ब्यूटी पार्लर चलाना और घर के सामने वाली सड़क पर पेट्रोल बेचने से मुक्ति नहीं मिली. अन्नू छह साल से इस काम में पूरे लगन से जुटी हैं. इसी कमाई से उनका पेट पलता है. पूछने पर सरकारी सिस्टम की शिकायत भी नहीं करती. बताती हैं कि सपना पूरा करने के लिए जो भी जरूरी है, अपने दम पर करने का निश्चय किया है.
माता-पिता को बेटी पर है गर्व
अन्नू कहती हैं- गरीब परिवार से हूं. खेती है नहीं, किराना दुकान से परिवार की गाड़ी पिता और भाई चलाते हैं. मैं उन पर भी बोझ नहीं बनना चाहती हूं. अन्नू जीबी कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष की छात्रा है. वीर कूंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा की कुश्ती चैंपियन हैं. अब माता- पिता को बेटी पर गर्व है. भाइयों को बहन पर नाज है. कॉलेज अपनी छात्रा की उपलब्धियों पर इतरा रहा है और समाज की दुआएं उसे मिल रही हैं.