ETV Bharat / state

आत्मसमर्पण कर चुके नक्लसियों ने कहा- सरेंडर के बाद भी सरकार ने पूरे नहीं किए वादे - government facilities

आत्मसमर्पण किये हुए इन नक्सलियों ने बताया कि वो लोग अनपढ़ थे. गांव के ही कुछ लोगों द्वारा शोषण किया जाता था. ऐसे में जब वो पुलिस से शिकायत करने जाते थे, तो वो भी उनकी बात नहीं सुनती थी.

आत्मसमर्पण किये हुए नक्सली
author img

By

Published : Apr 1, 2019, 10:05 AM IST

कैमूरः अधौरा प्रखंड के विनोवानगर केकुछ लोगअत्याचार औरशोषण से मजबूर होकर 1999-2000 में नक्सली संगठन से जुड़ गए थे.लगभग 2 वर्षों तक नक्सली संगठन में रहने के बाद इन लोगों ने 1 मार्च 2001 को तत्कालीनएसपी सुनील खोपड़े के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. उस वक्तसरकार ने इन लोगों सेआर्थिक मदद देने के कई वादे किए थे, लेकिन आज तक सरकार ने वादों को पूरा नहीं किया.आज यह लोग दर-ब-दर भटकने को मजबूर हैं.

दरअसल, 1 मार्च 2001 के तत्कालीन एसपी सुशील खोपड़े की कोशिशोंकीबदौलत4 नक्सलियों ने सरेंडर किया था.आत्मसमर्पण किये हुए अधौरा प्रखंड के विनोवानागर के नक्सली रामसूरत राम, देवमुनि राम, उमा राम और ललन राम उर्फ लोहा सिंह और सुभाष रामने बताया कि तत्कालीन एसपी सुशील खोपड़े ने परिवार वालों को समझाया था, परिवार वालोंके समझाने और एसपी के आश्वासन पर हमने सरेंडर कर दिया था. आत्मसमर्पण के वक्त सरकार ने कई वादे किए थे.सरकार ने कुछ वादे पूरे तो किए लोकिनसमय के साथ बाकी के किये गए वादों को सरकार पूरा नहीं कर सकी.

बयान देते पूर्व नक्सली

आज तक लड़ रहे हैं केस
इन लोगों की आर्थिक स्तिथि आज फिर सेखराब हो गई है.आलम यह है कि इनका परिवार कर्ज में डूब चुकाहै.आत्मसमर्पण किये हुए नक्सलियों ने बताया कि 2004 में उन्हें जेल से बेल मिलीथी. सरकार ने वादा किया था कि सरकारी वकील उपलब्ध कराएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आज भी भभुआ सिविल कोर्ट में सभी लोग केस लड़ रहेहैं और सभी नेप्राइवेट वकील रखा है. जिस वजह से आज भी इन्हें आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ता है.

2017 में हुई थीसमीक्षा बैठक
पूर्व नक्सलियों ने आगे बताया कि 2017 में तत्कालीन एसपी हरप्रीत कौर ने एक समीक्षा बैठक बुलाई थी. बैठक में जिले के आलाधिकारी भी मौजूद थे.वादा किया गया था कि 5 लाख का लोन रोजगार के लिए उपलब्ध कराया जाएगा, जो आज तक उपलब्ध नहीं कराया गया.बैठक में भूदान की जमीन को इनके नाम पर रेजिस्ट्रेशन करने की बात भी हुई थी,लेकिन आज तक जमीन का रजिस्ट्रेशन भी इनके नाम पर नहीं हो सका.

file photo
फाइल फोटो

क्यों गएनक्सली संगठन में
आत्मसमर्पण किये हुए इन नक्सलियों ने बताया कि वो लोग अनपढ़ थे.उस वक्तउनकी कोई नहीं सुनता था. गांव के ही कुछ लोगों द्वारा शोषण किया जाता था. ऐसे में जब वो पुलिस से शिकायत करने जाते थे, तो वो भीउनकी बात नहींसुनती थी. न सरकार के द्वारा कोई मदद मिलती थी न स्थानीय प्रशासन के द्वारा कोई सहायता, ऐसे में शोषण से तंग आकर इन लोगों ने कैमूर पहाड़ की तरफरुख कियाऔर संगठन को जॉइन कर लिया.

बहरहाल, आत्मसमर्पण किये हुए इन सभी नक्सलियों ने कहा कि अगरसरकार उस वक्तकिये गए सारे वादों के पूरा करतीहै तो उनकी जिंदगी पटरी पर आ सकती है.वो भी अपने बच्चों को पढ़ासकते हैं और अपने परिवार की जिन्दगी को रौशन कर सकते हैं.

कैमूरः अधौरा प्रखंड के विनोवानगर केकुछ लोगअत्याचार औरशोषण से मजबूर होकर 1999-2000 में नक्सली संगठन से जुड़ गए थे.लगभग 2 वर्षों तक नक्सली संगठन में रहने के बाद इन लोगों ने 1 मार्च 2001 को तत्कालीनएसपी सुनील खोपड़े के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. उस वक्तसरकार ने इन लोगों सेआर्थिक मदद देने के कई वादे किए थे, लेकिन आज तक सरकार ने वादों को पूरा नहीं किया.आज यह लोग दर-ब-दर भटकने को मजबूर हैं.

दरअसल, 1 मार्च 2001 के तत्कालीन एसपी सुशील खोपड़े की कोशिशोंकीबदौलत4 नक्सलियों ने सरेंडर किया था.आत्मसमर्पण किये हुए अधौरा प्रखंड के विनोवानागर के नक्सली रामसूरत राम, देवमुनि राम, उमा राम और ललन राम उर्फ लोहा सिंह और सुभाष रामने बताया कि तत्कालीन एसपी सुशील खोपड़े ने परिवार वालों को समझाया था, परिवार वालोंके समझाने और एसपी के आश्वासन पर हमने सरेंडर कर दिया था. आत्मसमर्पण के वक्त सरकार ने कई वादे किए थे.सरकार ने कुछ वादे पूरे तो किए लोकिनसमय के साथ बाकी के किये गए वादों को सरकार पूरा नहीं कर सकी.

बयान देते पूर्व नक्सली

आज तक लड़ रहे हैं केस
इन लोगों की आर्थिक स्तिथि आज फिर सेखराब हो गई है.आलम यह है कि इनका परिवार कर्ज में डूब चुकाहै.आत्मसमर्पण किये हुए नक्सलियों ने बताया कि 2004 में उन्हें जेल से बेल मिलीथी. सरकार ने वादा किया था कि सरकारी वकील उपलब्ध कराएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आज भी भभुआ सिविल कोर्ट में सभी लोग केस लड़ रहेहैं और सभी नेप्राइवेट वकील रखा है. जिस वजह से आज भी इन्हें आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ता है.

2017 में हुई थीसमीक्षा बैठक
पूर्व नक्सलियों ने आगे बताया कि 2017 में तत्कालीन एसपी हरप्रीत कौर ने एक समीक्षा बैठक बुलाई थी. बैठक में जिले के आलाधिकारी भी मौजूद थे.वादा किया गया था कि 5 लाख का लोन रोजगार के लिए उपलब्ध कराया जाएगा, जो आज तक उपलब्ध नहीं कराया गया.बैठक में भूदान की जमीन को इनके नाम पर रेजिस्ट्रेशन करने की बात भी हुई थी,लेकिन आज तक जमीन का रजिस्ट्रेशन भी इनके नाम पर नहीं हो सका.

file photo
फाइल फोटो

क्यों गएनक्सली संगठन में
आत्मसमर्पण किये हुए इन नक्सलियों ने बताया कि वो लोग अनपढ़ थे.उस वक्तउनकी कोई नहीं सुनता था. गांव के ही कुछ लोगों द्वारा शोषण किया जाता था. ऐसे में जब वो पुलिस से शिकायत करने जाते थे, तो वो भीउनकी बात नहींसुनती थी. न सरकार के द्वारा कोई मदद मिलती थी न स्थानीय प्रशासन के द्वारा कोई सहायता, ऐसे में शोषण से तंग आकर इन लोगों ने कैमूर पहाड़ की तरफरुख कियाऔर संगठन को जॉइन कर लिया.

बहरहाल, आत्मसमर्पण किये हुए इन सभी नक्सलियों ने कहा कि अगरसरकार उस वक्तकिये गए सारे वादों के पूरा करतीहै तो उनकी जिंदगी पटरी पर आ सकती है.वो भी अपने बच्चों को पढ़ासकते हैं और अपने परिवार की जिन्दगी को रौशन कर सकते हैं.

Intro:EXCLUSIVE


कैमूर।
अधौरा प्रखंड के विनोवानगर कुछ लोगों के ऊपर इतना अत्याचार, शोषण हुआ कि जब उनलोगों को कुछ नजर नही आया तो मजबूर होकर 1999-2000 में नक्सली संगठन से जुड़ गए थे। लगभग 2 वर्षो तक नक्सली संगठन में रहने के बाद इन लोगों ने 1 मार्च 2001 उस वक़्त के एसपी सुनील खोपड़े के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। उस वक़्त सरकार ने इन लोगों ने आर्थिक मदद के कई वादे किए थे लेकिन आज तक सरकार ने सभी वादों को पूरा नही किया और आज यह लोग दरबदर भटकने को दोबारा मजबूर हैं।


Body:आपको बतादें की 1 मार्च 2001 के तत्कालीन एसपी सुशील खोपड़े के प्रयासों के बदौलत सभी 4 नक्सलियों ने सरेंडर किया था। आत्मसमर्पण किये हुए अधौरा प्रखंड के विनोवानागर के नक्सली रामसूरत राम, देवमुनि राम, उमा राम और ललन राम उर्फ लोहा सिंह और सुभाष राम का भी जूठी राम ने बताया कि तत्कालीन एसपी सुशील खोपड़े ने परिवार वालों को समझाया था जिसके बाद जब यह लोग घर आये तो परिवार वालो ने समझाया और फिर एसपी और परिवार के आश्वासन पर सरेंडर कर दिया था। जिस वक्त आत्मसमर्पण किये हुए इन नक्सलियों ने सरकार ने कई वादे किए थे। सरकार ने कुछ वादे पूरे तो किये और समय के साथ फिर बाकी के किये गए वादों को सरकार पूरा नही कर सकी जिसके बाद इनलोगों की आर्थिक स्तिथ आज फिर से बहुत खराब हो गई हैं। आलम यह है कि इनका परिवार कर्ज में डूब4 हुआ हैं।

आत्मसमर्पण किये हुए नक्सलियों ने बताया कि 2004 में उन्हें जेल से बेल मिला था। सरकार ने वादा किया था कि सरकारी वकील उपलब्ध कराएंगे लेकिन ऐसा नही हुआ आज भी भभुआ सिविल कोर्ट में सभी केस लड़ते है और सभी नही प्राइवेट वकील रखा हैं। जिस वजह से आज भी आज भी इन्हें आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ता हैं।

आत्मसमर्पण किये हुए नक्सलियों ने बताया कि 2017 में तत्कालीन एसपी हरप्रीत कौर ने एक समीक्षा बैठक बुलाई थी। बैठक में जिले में आलाधिकारी भी मौजूद थे। वादा किया गया था कि 5 लाख का लोन रोजगार के लिए उपलब्ध कराया जाएगा जो आज तक उपलब्ध नही कराया गया। बैठक में भूदान की जमीन को इनके नाम पर रेजिस्ट्रेशन करने की बात भी हुई थी लेकिन आज तक जमीन का रजिस्ट्रेशन इनके नाम पर नही हो सका।


आखिर क्यों नक्सली संगठन में गए थे यह लोग
आत्मसमर्पण किये हुए इन नक्सलियों ने बताया कि वो लोग अनपढ़ थे। उस वक़्त उनकी कोई नही सुनता था। गांव के ही कुछ लोगो द्वारा शोषण किया जाता था। ऐसे में जब वो पुलिस से शिकायत करने जाते थे तो भी कोई नही उनकी बात को सुनता था। न सरकार के द्वारा कोई मदद मिलती थी न स्थानीय प्रशासन के द्वारा ऐसे में शोषण से तंग आकर इन लोगों ने कैमूर पहाड़ की तरफ का रुख किया और संगठन को जॉइन कर लिया।

आज के तारीख में आत्मसमर्पण किये हुए इन सभी नक्सलियों ने कहा कि यदि सरकार उस वक़्त किये गए सारे वादों के पूरा करती हैं। तो उनकी जिंदगी पटरी पर आ सकती हैं। और वो भी अपने बच्चों को पड़ा सकते हैं और अपने परिवार की जिन्दगी को रौशन कर सकते हैं।


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.