ETV Bharat / bharat

अन्ना यूनिवर्सिटी यौन उत्पीड़न: तीन महिला IPS अधिकारियों की SIT करेगी मामले की जांच, हाईकोर्ट का आदेश - ANNA UNIVERSITY ASSAULT CASE

चेन्नई के अन्ना यूनिवर्सिटी परिसर में दो लोगों ने इंजीनियरिंग की छात्रा का यौन उत्पीड़न किया था. साथ ही उसके मित्र की पिटाई की थी.

SIT of 3 women IPS officers will investigate Anna University assault case and FIR leak incident Madras HC order
अन्ना यूनिवर्सिटी यौन उत्पीड़न: तीन महिला IPS अधिकारियों की SIT करेगी मामले की जांच, हाईकोर्ट का आदेश (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : 14 hours ago

चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने चेन्नई स्थित अन्ना यूनिवर्सिटी की छात्रा के यौन उत्पीड़न मामले की जांच के लिए तीन महिला आईपीएस अधिकारियों की विशेष समिति बनाने का आदेश दिया है. अधिवक्ता वरलक्ष्मी और मोहनदास ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर यौन उत्पीड़न मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग की थी. बीते 23 दिसंबर को अन्ना यूनिवर्सिटी की छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न की घटना हुई थी.

जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिल वी. लक्ष्मी नारायणन की बेंच ने शनिवार को मामले की सुनवाई की. तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश मुख्य अधिवक्ता ने कहा, "शिकायत दर्ज होने के बाद एफआईआर अपने आप वेबसाइट पर अपलोड हो जाती है. साइबर क्राइम पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि मामले में एफआईआर कैसे लीक हुई."

उन्होंने कहा, "एफआईआर लीक होने के मामले में 14 लोगों की पहचान की गई है और उन पर नजर रखी जा रही है. इस घटना में और कौन शामिल है? जांच की जा रही है. सेल फोन कंपनी से विशेष जानकारी मांगी गई है. पुलिस आयुक्त ने कहा कि प्रारंभिक जांच में केवल एक ही आरोपी था. आगे की जांच के बाद ही पता चलेगा कि और कौन जुड़ा है."

वहीं, अन्ना यूनिवर्सिटी की ओर से पेश हुए एक वकील ने कहा, "भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक समिति बनाई गई है. छात्रों और उनके अभिभावकों को परामर्श देने के लिए कदम उठाए गए हैं. पुलिस ने सुरक्षा बढ़ाने का आश्वासन दिया है."

मामले की सुनवाई करने वाले जजों ने पूछा, "भले ही यह पता लगाने की सुविधा है कि एफआईआर किसने डाउनलोड की है, लेकिन हम अपराधी को क्यों नहीं पकड़ सकते? पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने आने वाले लोगों में डर है. सरकारी अधिकारियों को ईमानदार और पारदर्शी होना चाहिए. ऐसा होने में क्या दिक्कत है? इसके विपरीत, यह नहीं कहा जाना चाहिए कि मीडिया ने मामले को गलत तरीके से पेश किया है. तमिलनाडु सरकार ने मामले की जांच करने में कोई समस्या नहीं बताई है. इसलिए, कोर्ट यह आदेश जारी करता है."

समाज में महिलाओं की सुरक्षा होनी चाहिए...
अदालत ने कहा, "जब कोई अपराध होता है, तो महिला पहली आरोपी होती है. पुरुष और महिला के बीच समानता होनी चाहिए. इस समाज में महिलाओं की सुरक्षा होनी चाहिए. केवल महिलाओं पर आरोप लगाने से अपराधी को फायदा होगा. महिलाओं का निजी तौर पर बात करना गलत नहीं है. यह उनका अधिकार है. कोई भी इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता. एक पुरुष होने के नाते महिलाओं को छूने का अधिकार नहीं है. इस समाज को महिलाओं का सम्मान करना सीखना होगा."

सुनवाई पूरी करते हुए अदालत ने अपने आदेश में कहा, "अन्ना यूनिवर्सिटी की छात्रा के यौन उत्पीड़न के मामले की जांच अब तीन महिला आईपीएस अधिकारियों की एक विशेष टीम करेगी. सरकार को पीड़ित छात्रा को 25 लाख रुपये का मुआवजा देना चाहिए. अन्ना यूनिवर्सिटी को छात्रा से कोई ट्यूशन फीस नहीं लेनी चाहिए. पुलिस आयुक्त को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ दर्ज मामलों में एफआईआर का खुलासा न हो."

यह भी पढ़ें- अन्ना विश्वविद्यालय में दो लोगों ने इंजीनियरिंग छात्रा का यौन उत्पीड़न किया, एक आरोपी गिरफ्तार

चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने चेन्नई स्थित अन्ना यूनिवर्सिटी की छात्रा के यौन उत्पीड़न मामले की जांच के लिए तीन महिला आईपीएस अधिकारियों की विशेष समिति बनाने का आदेश दिया है. अधिवक्ता वरलक्ष्मी और मोहनदास ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर यौन उत्पीड़न मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग की थी. बीते 23 दिसंबर को अन्ना यूनिवर्सिटी की छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न की घटना हुई थी.

जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिल वी. लक्ष्मी नारायणन की बेंच ने शनिवार को मामले की सुनवाई की. तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश मुख्य अधिवक्ता ने कहा, "शिकायत दर्ज होने के बाद एफआईआर अपने आप वेबसाइट पर अपलोड हो जाती है. साइबर क्राइम पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि मामले में एफआईआर कैसे लीक हुई."

उन्होंने कहा, "एफआईआर लीक होने के मामले में 14 लोगों की पहचान की गई है और उन पर नजर रखी जा रही है. इस घटना में और कौन शामिल है? जांच की जा रही है. सेल फोन कंपनी से विशेष जानकारी मांगी गई है. पुलिस आयुक्त ने कहा कि प्रारंभिक जांच में केवल एक ही आरोपी था. आगे की जांच के बाद ही पता चलेगा कि और कौन जुड़ा है."

वहीं, अन्ना यूनिवर्सिटी की ओर से पेश हुए एक वकील ने कहा, "भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक समिति बनाई गई है. छात्रों और उनके अभिभावकों को परामर्श देने के लिए कदम उठाए गए हैं. पुलिस ने सुरक्षा बढ़ाने का आश्वासन दिया है."

मामले की सुनवाई करने वाले जजों ने पूछा, "भले ही यह पता लगाने की सुविधा है कि एफआईआर किसने डाउनलोड की है, लेकिन हम अपराधी को क्यों नहीं पकड़ सकते? पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने आने वाले लोगों में डर है. सरकारी अधिकारियों को ईमानदार और पारदर्शी होना चाहिए. ऐसा होने में क्या दिक्कत है? इसके विपरीत, यह नहीं कहा जाना चाहिए कि मीडिया ने मामले को गलत तरीके से पेश किया है. तमिलनाडु सरकार ने मामले की जांच करने में कोई समस्या नहीं बताई है. इसलिए, कोर्ट यह आदेश जारी करता है."

समाज में महिलाओं की सुरक्षा होनी चाहिए...
अदालत ने कहा, "जब कोई अपराध होता है, तो महिला पहली आरोपी होती है. पुरुष और महिला के बीच समानता होनी चाहिए. इस समाज में महिलाओं की सुरक्षा होनी चाहिए. केवल महिलाओं पर आरोप लगाने से अपराधी को फायदा होगा. महिलाओं का निजी तौर पर बात करना गलत नहीं है. यह उनका अधिकार है. कोई भी इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता. एक पुरुष होने के नाते महिलाओं को छूने का अधिकार नहीं है. इस समाज को महिलाओं का सम्मान करना सीखना होगा."

सुनवाई पूरी करते हुए अदालत ने अपने आदेश में कहा, "अन्ना यूनिवर्सिटी की छात्रा के यौन उत्पीड़न के मामले की जांच अब तीन महिला आईपीएस अधिकारियों की एक विशेष टीम करेगी. सरकार को पीड़ित छात्रा को 25 लाख रुपये का मुआवजा देना चाहिए. अन्ना यूनिवर्सिटी को छात्रा से कोई ट्यूशन फीस नहीं लेनी चाहिए. पुलिस आयुक्त को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ दर्ज मामलों में एफआईआर का खुलासा न हो."

यह भी पढ़ें- अन्ना विश्वविद्यालय में दो लोगों ने इंजीनियरिंग छात्रा का यौन उत्पीड़न किया, एक आरोपी गिरफ्तार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.