कैमूर: जिले को प्रदेश का धान का कटोरा कहा जाता है. यहां धान की कटनी के बाद किसान फसलों के अवशेष जलाते हैं. डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने इस साल पराली जलाने पर न सिर्फ रोक लगा दी है, बल्कि ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की भी बात कही है.
एफआईआर दर्ज करने का आदेश
डीएम ने बिना रीपर वाले हार्वेस्टर को सीज कर एफआईआर दर्ज करने का आदेश भी जारी किया था. लेकिन, उनके सभी आदेशों की धज्जियां उड़ती नजर आ रहीं हैं. किसान पराली जला रहे हैं. लेकिम डीएम के आदेश के बावजूद कृषि विभाग मॉनिटरिंग नहीं कर रहा है. जिला मुख्यालय भभुआ से चंद किलोमीटर दूर मोकरी पंचायत में पराली जलाना आम बात हो गयी है.
पराली जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति प्रभावित- डीएम
डीएम के दिशा निर्देश पर कृषि विभाग की ओर से फसलों के अवशेषों के निपटारे के लिए किसानों को जागरूक करने के कई स्तर पर कार्यक्रम चलाए जा चुके हैं. डीएम ने बताया कि खेतों में पराली जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति भी खत्म होती है और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है.