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Jehanabad Sadar Hospital : अस्पताल की गुल हुई बत्ती, जेनरेटर भी खराब, आधे घंटे तक जिंदगी और मौत से जूझते रहे नवजात

Jehanabad Sadar Hospital जहानाबाद सदर अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. अस्पताल में एसएनसीयू वार्ड में बिजली गुल होने के चलते करीब 40 मिनट तक दस नवजात की जिंदगी आफत में आ गई. बाद में खराब जेनरेटर को ठीक कर चालू किया गया. उसके बाद बिजली सेवा बहाल हुई.

जहानाबाद सदर अस्पताल
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Published : Jan 25, 2023, 8:06 PM IST

जहानाबाद सदर अस्पताल

जहानाबाद: बिहार सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था (Health System In Bihar) को लेकर आये दिन कई तरह की दावा करती है लेकिन हकीकत कुछ और ही है. सरकार द्वारा करोड़ों रूपये खर्च किये जाने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है. कुछ ऐसा ही मामला जहानाबाद सदर अस्पताल से सामने आया है. इसे अस्पताल की लापरवाही कहें या कुछ और लेकिन इस तरह की घटना कभी भी भारी पड़ सकती है.

ये भी पढ़ें- ये है नालंदा का हाल, मरीज को नहीं मिली एंबुलेंस.. खाट पर पहुंचाया गया अस्पताल

अस्पताल में गुल हुई बत्ती: जहानाबाद सदर अस्पताल में हर दिन कुछ इस तरह की घटनाएं मरीज या मरीज के परिजनों के साथ होती है, जो सदर अस्पताल प्रबंधन पर सवाल खड़े करती है. बुधवार को अस्पताल में एसएनसीयू वार्ड में अचानक से बिजली गुल हो गई. फिर क्या था. बिजली कटते ही वार्ड में भर्ती मासूम बच्चों के लिए परेशानी शुरू हो गई. इस दौरान अस्पताल में मौजूद जेनरेटर को भी चलाने की कोशिश की गई, लेकिन खराब होने के चलते वह नहीं चल सका. इस बीच वार्ड में भर्ती करीब दस मासूम की जान पर बन गई. करीब 40 मिनट तक बच्चे बिना वार्मर के जिंदगी और मौत से जंग लड़ते रहे.

40 मिनट तक जिंदगी और मौत से जुझते रहे मासूम: गनीमत यह रही कि खराब जनरेटर को समय रहते ठीक कर लिया गया. अगर जल्दी ही जेनरेटर को ठीक नहीं किया जाता तो वार्ड में भर्ती बच्चों के लिए मुश्किल हो सकती थी. वार्ड के डॉक्टर ने भी बिजली कटने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि बच्चों को अगर समय रहते वार्मर नहीं दिया जाएगा तो फिर काफी दिक्कतें होंगी. अब सवाल उठता है कि बिजली की कोई वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई. जब अस्पताल में जेनरेटर था, उसे पहले से सुचारू रूप में क्यों नहीं रखा गया और सबसे बड़ा सवाल है कि अस्पताल के मैनेजर ने मामले पर संज्ञान क्यों नहीं लिया.

"लगभग आधा घंटा से जेनरेटर खराब है. लाईट कटी हुई है. ऑक्सीजन का सप्लाई बच्चे को जा रहा है. लेकिन हाईपोथेरेमिया में जा सकता है. हम तो यहां के प्रभारी को, अस्पताल के मैनेजर को, डिप्टी सुपरटेंडेंट को, सिविल सर्जन को भी फोन से सूचना दे दिए हैं. लाइट नहीं आएगी तो बच्चे हाइपोथेरेमिया में जा सकते हैं, दिक्कत हो जाएगी. अभी दस बच्चे एडमिट हैं. जेनरेटर नहीं काम कर रहा है आधा घंटा से. अभी तक तो बच्चे ठीक हैं, लेकिन कब तक रहेंगे ये कहा नहीं जा सकता है. थोड़ी देर और नहीं आएगी तो बच्चे को दिक्कत हो सकती है."- डॉ रजनीश गांधी, मेडिकल ऑफिसर, एसएनसीयू, जहानाबाद

जहानाबाद सदर अस्पताल

जहानाबाद: बिहार सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था (Health System In Bihar) को लेकर आये दिन कई तरह की दावा करती है लेकिन हकीकत कुछ और ही है. सरकार द्वारा करोड़ों रूपये खर्च किये जाने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है. कुछ ऐसा ही मामला जहानाबाद सदर अस्पताल से सामने आया है. इसे अस्पताल की लापरवाही कहें या कुछ और लेकिन इस तरह की घटना कभी भी भारी पड़ सकती है.

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अस्पताल में गुल हुई बत्ती: जहानाबाद सदर अस्पताल में हर दिन कुछ इस तरह की घटनाएं मरीज या मरीज के परिजनों के साथ होती है, जो सदर अस्पताल प्रबंधन पर सवाल खड़े करती है. बुधवार को अस्पताल में एसएनसीयू वार्ड में अचानक से बिजली गुल हो गई. फिर क्या था. बिजली कटते ही वार्ड में भर्ती मासूम बच्चों के लिए परेशानी शुरू हो गई. इस दौरान अस्पताल में मौजूद जेनरेटर को भी चलाने की कोशिश की गई, लेकिन खराब होने के चलते वह नहीं चल सका. इस बीच वार्ड में भर्ती करीब दस मासूम की जान पर बन गई. करीब 40 मिनट तक बच्चे बिना वार्मर के जिंदगी और मौत से जंग लड़ते रहे.

40 मिनट तक जिंदगी और मौत से जुझते रहे मासूम: गनीमत यह रही कि खराब जनरेटर को समय रहते ठीक कर लिया गया. अगर जल्दी ही जेनरेटर को ठीक नहीं किया जाता तो वार्ड में भर्ती बच्चों के लिए मुश्किल हो सकती थी. वार्ड के डॉक्टर ने भी बिजली कटने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि बच्चों को अगर समय रहते वार्मर नहीं दिया जाएगा तो फिर काफी दिक्कतें होंगी. अब सवाल उठता है कि बिजली की कोई वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई. जब अस्पताल में जेनरेटर था, उसे पहले से सुचारू रूप में क्यों नहीं रखा गया और सबसे बड़ा सवाल है कि अस्पताल के मैनेजर ने मामले पर संज्ञान क्यों नहीं लिया.

"लगभग आधा घंटा से जेनरेटर खराब है. लाईट कटी हुई है. ऑक्सीजन का सप्लाई बच्चे को जा रहा है. लेकिन हाईपोथेरेमिया में जा सकता है. हम तो यहां के प्रभारी को, अस्पताल के मैनेजर को, डिप्टी सुपरटेंडेंट को, सिविल सर्जन को भी फोन से सूचना दे दिए हैं. लाइट नहीं आएगी तो बच्चे हाइपोथेरेमिया में जा सकते हैं, दिक्कत हो जाएगी. अभी दस बच्चे एडमिट हैं. जेनरेटर नहीं काम कर रहा है आधा घंटा से. अभी तक तो बच्चे ठीक हैं, लेकिन कब तक रहेंगे ये कहा नहीं जा सकता है. थोड़ी देर और नहीं आएगी तो बच्चे को दिक्कत हो सकती है."- डॉ रजनीश गांधी, मेडिकल ऑफिसर, एसएनसीयू, जहानाबाद

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