जमुई: आगामी 17 जुलाई से विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला शुरू होने वाला है. इस दौरान बाबा भोलेनाथ का नाम लेते हुए सैकड़ों कांवरिया वाहन रोजाना जमुई-देवघर मार्ग पर वटिया घाटी और जंगल के बीच स्थित 'चिरैन पुल' पार करेंगे. पर, सरकार की उदासीन रवैये से चिरैन पुल अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है
जमुई-देवघर मार्ग पर वटिया घाटी और जंगल के बीच स्थित जर्जर चिरैन पुल वर्षों से आजतक अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. सड़क दुर्घटना, लूट, छिनतई जैसी घटना इस पुल पर आम बात है. इस पुल को पार कर बाबाधाम देवघर पहुंचने वाले कांवरिया ने ईटीवी भारत से कहा कि अब सरकार पर भरोसा नहीं है. वर्षो से घोषणाएं सुनते आ रहे हैं. कांवरिया अपने परिवार के साथ बाबा भोलेनाथ का नाम लेकर जलाभिषेक करने देवघर पहुंचते हैं. इस दौरान दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है.
सैकड़ों कांवरिया वाहन रोजना जाते हैं देवघर
विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला एक माह तक चलता है. इसमें देश ही नहीं विदेशों से भी कांवरिया बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करने पहुंचते हैं. देश के कोने-कोने से लाखों कांवरिया बाबा भोलेनाथ के दरबार में पहुंच कर गंगा जल से जलाभिषेक कर पूजा अर्चना करते हैं. देवघर पहुंचने का व्यस्ततम मार्ग जमुई-देवघर मार्ग है. इस मार्ग से देश के विभिन्न राज्यों से आम वाहनों के साथ सैकड़ों कांवरिया वाहन रोजना देवघर जाते हैं.
भोलेनाथ का नाम लेकर कांवरिया करते हैं पुल पार
इस पुल को भयभीत आम यात्री और कांवरिया बाबा भोलेनाथ का नाम लेते-लेते पार करते हैं. इस जर्जर पुल का सरकार के उदासीन रवैये के कारण आजतक उद्धार नहीं हो सका. जबकि हरेक वर्ष श्रावणी मेले के पहले सरकार की ओर से घोषणा की जाती है कि कांवरियों की सुविधा के लिए काम किया जा रहा है. लेकिन जमीनी हकीकत ये जर्जर चिरैन पुल बयां कर रही है.
कांवरियाओं का क्या है कहना
लोगों ने बताया कि किसी जन प्रतिनिधि ने अब तक इस जर्जर पुल के लिए कोई काम नहीं करवाया. जबकि इस इलाके से कई बिहार सरकार में मंत्री भी बने. जमुई सांसद चिराग पासवान से आस जगी थी. लेकिन अपने पिछले पांच साल के कार्यकाल में सांसद ने भी इस पुल की ओर ध्यान नहीं दिया. अब तो लोगों का सरकार से भरोसा ही उठता जा रहा है, बस बाबा भोलेनाथ ही एक सहारा हैं.
श्रावणी मेला को लेकर नहीं दिख रही है व्यवस्था
जानकारी के अनुसार जमुई देवधर मार्ग पर वटिया घाटी और जंगल के बीच स्थित इस जर्जर चिरैन पूल पर यात्री कांवरिया सैंकड़ों सड़क दुर्घटना, लूट, छिनतई, अपराधियों के द्वारा मारपीट के शिकार हो चुके है. कइयों ने जान गंवाई है, मामला भी दर्ज हुआ लेकिन कारवाई नहीं हुई. थकहारकर लोग शिकार होने के बाद अब पुलिस के पचड़े में पड़ना नहीं चाहते. अपने नसीब को कोसते हुए अपने-अपने गंतव्य की ओर निकल जाते हैं. अब विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला शुरु होने वाला है. कांवरियों की सुरक्षा को लेकर सरकार प्रशासन की व्यवस्था कुछ नहीं दिख रही है.