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जैविक खेती के लिए जाना जाता है केडिया गांव, कई राज्यों से खेती के गुर सीखने आते हैं किसान - etv bharat news

जमुई के बरहट प्रखंड का केडिया गांव जैविक खेती के रूप में पहचान (organic farming in Jamui) बना चुका है. यहां के किसान सेहत को ध्यान में रखते हुए आज पूरी तरह से जैविक खेती कर रहे हैं. इस गांव में कई राज्यों से किसान खेती का गुर सीखने आ रहे हैं.

Farmers of Kedia village doing organic farming
जैविक खेती के लिए जाना जाता है केडिया गांव
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Published : Mar 19, 2022, 7:13 PM IST

जमुई: खेतों में रसायनिक उर्वरकों के अधिक प्रयोग से उत्पादों की गुणवत्ता काफी कम हो जाती है. इसके साथ ही इन उत्पादों का सेवन करने से लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ता है. जिसको ध्यान में रखते हुए जमुई के किसान केडिया गांव में जैविक खेती की ओर बढ़ चुके (Organic farming in Kedia Village) हैं. यहां के किसान पिछले 8 सालों से रसायनिक खाद का प्रयोग नहीं कर सभी के लिए नजीर पेश कर रहे हैं. कई राज्यों के किसान यहां जैविक खेती के गुर सीखने और समझने आते हैं.

ये भी पढ़ें- वित्त मंत्री ने जिस ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने पर दिया जोर, बिहार में गंगा किनारे पहले से फल-फूल रहा

जैविक खाद से खेती: बरहट प्रखंड का केडिया गांव किसानों के सीखने-समझने का स्थान बन चुका है. वर्तमान में केडिया गांव के दर्जनों किसान जैविक खाद से खेती करते हैं. यहां पर जौविक खेती के गुर सीखने लखीसराय, बेगूसराय, नवादा शेखपुरा, बांका, भागलपुर सहित कई प्रदेशों के किसान आते हैं.

जैविक खेती से केडिया गांव की पहचान: वहीं, केडिया गांव के किसान राजकुमार ने बताया कि वे 8 साल से जैविक खाद से खेती कर रहे हैं. यूरिया डीएपी खाद से कुछ दिनों के लिए फसल भले अच्छी होती है, लेकिन स्वास्थ्य और खेत को खोखला बना देती है. जैविक खाद से थोड़ी उपज प्रभावित होती है, लेकिन शुद्ध अनाज शरीर के लिए काफी उपयोगी है. जैविक खाद से उपजे अनाज की 20 से 25 प्रतिशत अधिक मिलती है. इसके साथ ही खेत की ताकत बढ़ती है और खेत खराब नहीं होता. जैविक खाद के कारण देश ही नहीं विदेश में भी उनके गांव का नाम है. जैविक खेती से केडिया गांव की पहचान होती है.

ये भी पढ़ें- पटना वीमेंस कॉलेज में छात्राओं को हाइड्रोपोनिक्स तकनीक की दी गई जानकारी

कई राज्यों से आते हैं लोग: स्थानीय प्रदीप कुमार तोमर ने बताया कि नमामि गंगे के तहत और परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत लोगों को जैविक खेती करने के लिए सरकार की योजना को धरातल पर लाने का काम वह लोग कर रहे हैं. लोगों को मोटिवेट करके जैविक खेती करने के लिए ट्रेनिंग और उपकरण की व्यवस्था करवायी जा रही है. केडिया गांव में जैविक खेती के लिए देश नहीं विदेशों से भी लोग घूमने आते हैं. अभी हाल ही में बेगूसराय से नमामि गंगे और परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत कुछ लोग जैविक खेती के गुर सीखने यहां आये थे.

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जमुई: खेतों में रसायनिक उर्वरकों के अधिक प्रयोग से उत्पादों की गुणवत्ता काफी कम हो जाती है. इसके साथ ही इन उत्पादों का सेवन करने से लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ता है. जिसको ध्यान में रखते हुए जमुई के किसान केडिया गांव में जैविक खेती की ओर बढ़ चुके (Organic farming in Kedia Village) हैं. यहां के किसान पिछले 8 सालों से रसायनिक खाद का प्रयोग नहीं कर सभी के लिए नजीर पेश कर रहे हैं. कई राज्यों के किसान यहां जैविक खेती के गुर सीखने और समझने आते हैं.

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जैविक खाद से खेती: बरहट प्रखंड का केडिया गांव किसानों के सीखने-समझने का स्थान बन चुका है. वर्तमान में केडिया गांव के दर्जनों किसान जैविक खाद से खेती करते हैं. यहां पर जौविक खेती के गुर सीखने लखीसराय, बेगूसराय, नवादा शेखपुरा, बांका, भागलपुर सहित कई प्रदेशों के किसान आते हैं.

जैविक खेती से केडिया गांव की पहचान: वहीं, केडिया गांव के किसान राजकुमार ने बताया कि वे 8 साल से जैविक खाद से खेती कर रहे हैं. यूरिया डीएपी खाद से कुछ दिनों के लिए फसल भले अच्छी होती है, लेकिन स्वास्थ्य और खेत को खोखला बना देती है. जैविक खाद से थोड़ी उपज प्रभावित होती है, लेकिन शुद्ध अनाज शरीर के लिए काफी उपयोगी है. जैविक खाद से उपजे अनाज की 20 से 25 प्रतिशत अधिक मिलती है. इसके साथ ही खेत की ताकत बढ़ती है और खेत खराब नहीं होता. जैविक खाद के कारण देश ही नहीं विदेश में भी उनके गांव का नाम है. जैविक खेती से केडिया गांव की पहचान होती है.

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कई राज्यों से आते हैं लोग: स्थानीय प्रदीप कुमार तोमर ने बताया कि नमामि गंगे के तहत और परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत लोगों को जैविक खेती करने के लिए सरकार की योजना को धरातल पर लाने का काम वह लोग कर रहे हैं. लोगों को मोटिवेट करके जैविक खेती करने के लिए ट्रेनिंग और उपकरण की व्यवस्था करवायी जा रही है. केडिया गांव में जैविक खेती के लिए देश नहीं विदेशों से भी लोग घूमने आते हैं. अभी हाल ही में बेगूसराय से नमामि गंगे और परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत कुछ लोग जैविक खेती के गुर सीखने यहां आये थे.

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