जमुईः कहते हैं हौसले बुलंद हो तो मुश्किलें खुद ब खुद आसान हो जाती है. कुछ ऐसा ही जिले के चंद्रमंडीह गांव में देखने को मिला. यहां कभी आर्थिक तंगी से परेशान मनोज मशरूम की खेती से अपना जीवन सवार रहे हैं. मनोज दास पूंजी के अभाव में किसी भी प्रकार का व्यवसाय नहीं कर पा रहे थे. इसी बीच कम पूंजी की व्यवस्था कर उन्होंने अपने घर पर ही मशरूम का व्यवसाय शुरू किया. इसमें उन्होंने अपनी पत्नी का सहयोग लिया और आज वह प्रतिमाह 35 से 45 हजार कमा कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहे हैं.
मशरूम की खेती
मशरूम की खेती से आज मनोज और उनके परिजनों की जिंदगी सवर गई है. चंद्रमंडी के मनोज दास ने करीब 2 साल पूर्व कृषि विभाग के एक अधिकारी के साथ राजगीर जा कर मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लिया था. इसके बाद से उनके मन में मशरूम की खेती करने की इच्छा जगी, लेकिन पूंजी के अभाव में कुछ दिनों तक यह नहीं हो पाया. मनोज ने हार नहीं मानी और 5 हजार रुपये का इंतजाम करके मशरूम की खेती शुरू कर दी.
पत्नी ने दिया साथ
मनोज ने राजगीर से बीज मंगा कर अपने घर पर ही मशरूम की खेती के लिए तैयारी शुरू की. इसमें उनकी पत्नी बबीता ने भी उनका बखूबी साथ दिया.
"नवंबर के दूसरे सप्ताह से मशरूम का उत्पादन अधिक होता है. हालांकि यह सालों भर उगता है लेकिन जाड़े के मौसम में इसका उत्पादन अधिक होता है. उत्पादित कच्चा मशरूम बाजार में 200 रुपये किलो और सूखा 800 रुपये किलो बिक जाता है."- मनोज, मशरूम किसान
खेती के लिए तैयारी
मनोज ने बताया कि एक कमरे में रस्सी की मदद से झुलानामा ढांचा खड़ा किया जाता है. ढांचे में चार खाने तैयार करने होते हैं. ढांचे के चारों और धान की पराली खड़ा की जाती है. ढांचे में पॉलिथीन की सीट बिछाई जाती है. सीट को भूसे से तैयार मटेरियल में कंपोस्ट मिलाकर बीज के साथ भरा जाता है और खेती शुरू हो जाती है.
'बेरोजगार कम पूंजी में कर सकते हैं अच्छी कमाई'
मशरूम किसान ने बताया कि इसकी खेती से उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है. उन्होंने बताया कि अन्य लोग भी मशरूम उत्पादन कर अपनी आमदनी अच्छी कर सकते हैं. मनोज ने कहा कि कम पूंजी में भी मशरूम की खेती की जा सकती है और अच्छी कमाई हो सकती है. अगर ठीक-ठाक मशरूम का उत्पादन हुआ तो 35 से 40 और पचास हजार तक भी कमाया जा सकता है. युवा बेरोजगार कम पूंजी में मशरूम की खेती कर अपने आप को आत्मनिर्भर कर सकते हैं.