गोपालगंज: जिले के थावे प्रखंड स्थित धतिगना पंचायत के विशंभरपुर गांव में पेड़ लगाने की अनोखी परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है. इस गांव के पूर्व मुखिया द्वारा यह परंपरा बनाई गई थी कि, जो भी व्यक्ति अपना घर इस गांव में बनाएगा वह एक पेड़ अपने घर के बाहर जरूर लगायेगा. इसके बाद से परंपरा आज भी कायम है.
विशंभरपुर गांव की यह परंपरा पर्यावरण संरक्षण की मिसाल पेश करते हुए लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना है. इस गांव के लोग सालों से पर्यावरण की रक्षा करने का संदेश दे रहे हैं. इस गांव में हर दरवाजे पर एक पेड़ लगाने की परंपरा साल 1952 से शुरू हुई. ऐसा नहीं है कि यहां पर पेड़ लगाने के लिए किसी पर दबाव बनाया जाता है. यहां लोग स्वेच्छा से पेड़ लगाते हैं. इस गांव की हरियाली किसी पहाड़ी इलाके से कम नहीं लगती. इसलिए इस गांव को लोग ग्रीन विलेज के नाम से भी जानते हैं.
50 के दशक में शुरू हुई ये परंपरा
इस गांव में प्रवेश करते ही सड़क किनारे हरे भरे पेड़ पौधे आपका मन मोह लेंगे. गांव की सड़कों पर कदम का पेड़, पीपल, अमरुद से लेकर नीम और अन्य कई तरह के पेड़ देखे जा सकते हैं. गर्मी की तपती दोपहरी और आग उगलते आसमान के बावजूद दोपहर में भी गांव के किसी भी चौराहे पर पेड़ के नीचे लोग बैठे मिल जाएंगे. आज इस गांव के लोग शांति से मिलजुल कर जीवनयापन कर रहे हैं. गांव के मुखिया ओमप्रकाश ने बताया कि उनके बाबा स्वर्गीय राम नारायण राय ने इस परंपरा की शुरुआत की थी. तब उन्होंने यह सोचा था कि पर्यावरण एक दिन हमारे लिए चुनौती साबित होगी. तभी उन्होंने अपने मन में यह विचार कर गांव वालों को इकट्ठा किया और एक पंचायत बिठाई. इसमें पेड़ लगाने की सलाह दी.
ग्रीन विलेज के रूप में मशहूर गांव
गांव के लोग उनके इस सलाह से प्रभावित हुए और सभी ने उनके इस सुझाव को सराहते हुए अपने घर के सामने पेड़ लगाने का संकल्प लिया. तब से लेकर आज तक जो भी अपना घर बनाता है, वह अपने घर के सामने या अपनी जमीन पर पेड़ जरूर लगाता है. ये परंपरा यूं ही चलती आ रही है. पंचायत के मुखिया ओम प्रकाश राय ने कहा कि उन्होंने अपने गांव और पंचायत को स्वस्थ पंचायत, स्वच्छ पंचायत बनाने का संकल्प लिया है. इसी संकल्प के अनुसार यह गांव जिले में सबसे पहले ओडीएफ घोषित किया गया. उन्हें गर्व है कि उनके पंचायत में आज ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं, जिससे पर्यावरण की रक्षा होती रहे.