गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज में आदमी तो आदमी जानवर भी लू का शिकार (animals became victim of heat wave) हो रहे हैं. चिलचिलाती गर्मी में जहां लोग सूरज निकलने के बाद घरों से बाहर निकलना मुनासिब नहीं समझ रहे, वहीं पशुओं के लिए तो जैसे आफत आ गई है. खुले में विचरण कर पेट भरने वाले जानवर जैसे बकरी, गाय, भैंस, बैल आदि भी लू का शिकार हो रहे हैं. हीट स्ट्रोक से मवेशी भी नहीं बच पा रहे हैं. ऐसे में खेतों में घास चरने वाले पशु भी छायादार जगहों पर दिनभर सुस्ताते दिख जाते हैं. हीट स्ट्रोक के कारण सबसे ज्यादा बकरी जैसे छोटे जानवर प्रभावित हो रहे हैं. बकरियां तुरंत लू का शिकार हो जाती हैं.
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बकरी हो रही ज्यादा प्रभावितः हीट स्ट्रोक के बढ़ते खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन ने भी अलर्ट जारी कर दिया है. जिला पशु अस्पताल में बीमार मवेशियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. आलम यह है कि जिला पशु अस्पताल में रोजाना करीब 70 हीट स्ट्रोक से ग्रसित पशुओं का इलाज कराने उनके मालिक पहुंच रहे हैं. शहर के जंगलिया मुहल्ले से अपनी बकरी का इलाज कराने पहुंची एक महिला ने बताया कि गर्मी के कारण उनकी बकरी की हालत खराब हो गई. खेतों में चरना तो दूर, घर में छायादार जगह पर भी हरा चारा देने पर उसको मुंह तक नहीं लगा रही. गर्मी का झटका ऐसा लगा है कि पूरे दिन एक ही जगह बैठी रही.
लू के कारण खाना-पीना छोड़ देते हैं मवेशीः ग्रामीण क्षेत्र भी गर्मी के कहर से अछूता नहीं है. वहां भी अस्पतालों में भी 30 से 35 मरीज इस तरह के बीमारियों से ग्रसित पहुंच रहे हैं. उसके बाद कई प्रखंडो में तैनात टीभीओ भी घूम-घूम कर ऐसे मवेशियों का इलाज कर रहे हैं, जो चिलचिलाती धूप में लू का शिकार हो गए. हीट स्ट्रोक के कारण पशुओं के चाल सुस्त हो जाते हैं और वे खाना-पीना छोड़ देते हैं. इसके साथ ही जीभ बाहर निकाल कर कठिनाई से सांस लेते है. इस दौरान मुंह व नाक के पास झाग उत्पन्न होने के साथ आंख और नाक लाल हो जाती है. ह्नदय की धड़कन बढ़ने के साथ पशु चक्कर खाकर बेहोश होने लगते हैं.
समय से इलाज नहीं होने पर पशुओं की हो रही मौतः हीट स्ट्रोक की शिकार मवेशियों का अगर सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो पशुओं की असामयिक मौत भी हो सकती है. बता दें कि अप्रैल माह में दस वर्षों बाद इतना ज्यादा तापमान देखने को मिल रहा है. विगत दस दिनों से तापमान दिन प्रतिदिन बढ़ते हुए 44 डिग्री तक पहुंच गया है.इ धर एक सप्ताह के बीमार पशुओं के आकड़ो पर गौर किया जाय तो सिर्फ शहर के अम्बेडकर चौक पर स्थित पशु चिकित्सालय में प्रतिदिन 60 से 70 बीमार पशु पहुंच रहे हैं. जबकि थोड़ी बहुत कम वही स्थिति प्रखंडों की भी बनी हुई है. जिले में कुल मिलाकर 300 से 350 के ऊपर इस तरह के पशु अस्पतालों में आ रहे हैं. इन बीमार पशुओं के प्रोपर इलाज के बाद भी ठीक होने में पांच से छह दिन का समय लग रहा है.
ड्रिप के जरिए दें ग्लूकोज: हीट स्ट्रोक के शिकार पशुओं को पशु चिकित्सकों की सलाह अविलंब लेनी चाहिए. पशुओं को ग्लूकोज ड्रिप जरिए शरीर में चढ़ाना चाहिए. शंकर नस्ल की पशुओं को अधिक गर्मी सहने की क्षमता नहीं होती है. इस नस्ल के पशुओं को पशुशाला में रखना चाहिए. पशुओं की रखने की जगह बड़ी और हवादार हो. संभव हो तो वहां पंखा या कूलर लगा दिया जाए. अक्सर खुले में रखा हुआ पानी गर्म हो जाता है. पशु को इसे न पिलाएं, बल्कि ताजा पानी पिलाएं. पशु शल्य चिकित्सक डॉ ए होदा ने बताया कि हीट वेब के चलते पशुओं में 105 से लेकर 106 डिग्री सेल्सियस टेम्प्रेचर रह रहा है. इसके चलते उन्हें स्लाइडेशन व पारा जाइटिक के साथ इनडाईजेशन की भी समस्या बनी रह रही है.
"हीट वेव के चलते पशुओं में 105 से लेकर 106 डिग्री सेल्सियस टेम्प्रेचर रह रहा है. इसके चलते उन्हें स्लाइडेशन व पारा जाइटिक के साथ इनडाईजेशन की भी समस्या बनी रह रही है. शुओं को ग्लूकोज ड्रिप इंजेक्शन के माध्यम से शरीर में पहुंचाएं. शंकर नस्ल की पशुओं को अधिक गर्मी सहने की क्षमता नहीं होती है. पशुशालाओं का बड़ा और हवादार होना जरूरी है. इसके लिए पंखा व कूलर आदि व्यवस्था भी जरूर करें"- डॉ ए होदा शल्य पशु चिकत्सक