हैदराबाद: नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने मंगलवार को व्हाट्सएप पे (WhatsApp Pay) पर ऑनबोर्डिंग लिमिट हटा दी है. इस लिमिट के हटने के बाद व्हाट्सएप अपने भारतीय यूज़र्स को पूरी तरह से यूपीआई सर्विस दे सकेगा.
NPCI ने शुरुआत में यूपीआई सिस्टम की सिक्योरिटी और कैशलेस पेमेंट में आने वाली संभावित समस्याओं को ध्यान में रखते हुए व्हाट्सएप पे की ऑनबॉर्डिंग लिमिट फिक्स की थी. नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया का कहना था कि व्हाट्सएप पे को अपने यूपीआई यूज़र बेस का विस्तार स्टेपवाइज़ करना होगा. एनसीपीआई ने शुरुआत में व्हाट्सएप पे के लिए यूपीआई यूज़र बेस की सीमा को 100 मिलियन तक की सीमित कर दिया था.
WhatsApp Pay की ऑनबोर्डिंग लिमिट खत्म
अब एनसीपीआई ने व्हाट्सएप पे पर लगाई गई इस ऑनबोर्डिंग लिमिट को खत्म कर दिया है. NPCI ने कहा, "व्हाट्सएप पे सभी मौजूदा UPI दिशा-निर्देशों और सर्कुलर का पालन करता रहेगा, जो थर्ड पार्टी ऐप्स प्रोवाइडर्स (TPAPs) पर लागू होते हैं." थर्ड पार्टी डेटा के अनुसार, मेटा के इस प्लेटफॉर्म पर 500 मिलियन से भी अधिक भारतीय यूज़र्स मौजूद हैं.
इसके अलावा NPCI ने एक प्रस्तावित नियम को टाल दिया है, जिसमें किसी भी एक ऐप के UPI ट्रांजेक्शन शेयर को 30% पर सीमित करने का प्रस्ताव पेश किया गया था. इस प्रस्ताव को फिलहाल, 31 दिसंबर, 2026 तक स्थगित कर दिया है. UPI प्लेटफॉर्म हर महीने 13 अरब से अधिक ट्रांजेक्शन प्रोसेस करता है, जिसमें गूगल पे और फोनपे 85% से भी ज्यादा मार्केट शेयर को कंट्रोल करते हैं.
UPI ने इस साल जनवरी से नवंबर तक 15,547 करोड़ ट्रांजेक्शन्स किए हैं, जिनकी टोटल वैल्यू 223 लाख करोड़ रुपये थी. इससे साफ होता है कि भारत में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की संख्या और उनकी टोटल वैल्यू कितनी तेजी से बढ़ती जा रही है.
यूपीआई सर्विस को बढ़ावा दे रही NPCI
भारत में यूपीआई सर्विस की शुरुआत 2016 में हुई थी. उसके बाद से लोगों ने यूपीआई के जरिए कैशलेस ट्रांजैक्शन और डायरेक्ट यूपीआई ट्रांजैक्शन करना शुरू किया है. देखते ही देखते, भारत के करोड़ों लोग यूपीआई सर्विस का इस्तेमाल करने लगे. IIM और ISB के प्रोफेसर्स के द्वारा की गई स्टडी के अनुसार यूपीआई सर्विस ने भारत के 300 मिलियन यानी करीब 30 करोड़ लोग और 5 करोड़ व्यापारियों को बिना किसी रुकावट के डिजिटल ट्रांजैक्शन करने की सुविधा प्रदान की.
NPCI ने कहा कि वो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके खुदरा भुगतान (रिटेल पेमेंट्स) के सिस्टम में नए और बेहतर तरीके लाने पर काम कर रहे हैं. उनका लक्ष्य है कि भारत को एक पूरी तरह डिजिटल अर्थव्यवस्था में बदल दिया जाए. इसके लिए वह सुरक्षित और सस्ते पेमेंट्स सिस्टम्स को पूरे देश में लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि भारत पूरी तरह से एक डिजिटल देश बन सके.
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