गोपालगंज: एक ओर जहां देश में डिजिटल इंडिया की बात की जाती है. वहीं, आजादी के 72 साल गुजर जाने के बाद भी विजयीपुर प्रखंड के 13 पंचायत के लोगों को एक पुल तक नसीब नहीं है. लोग खुद के बनाए चचरी के पुल से आवागमन करते हैं. सबसे अधिक परेशानी स्कूल जाने वाले छोटे-छोटे बच्चों को होती है. जिसे पुल पार कराने के लिए उनके अभिभावक को साथ जाना पड़ता है.
ग्रामीणों ने बनाया चचरी का पुल
यहां के बच्चे रोज अपनी जान हथेली पर रखकर चचरी के पुल पार करते हैं. बरसात के दिनों में यह पुल भी नहीं रहता है. सिर्फ नाव के सहारे लोगों की जिंदगी कटती है. कई बार नाव हादसा हुआ है. कई बार चचरी पुल से बच्चे भी गिर गए हैं. इन घटनाओं में कई लोगों की मौत भी हो गई है. बावजूद इसके जिम्मेदारों की नींद नहीं खुली है.
किसी ने नहीं ली सुध
जिले के पश्चिमी छोर और यूपी-बिहार सीमा के खनुवा नदी के किनारे के लोग दशकों से इस परेशानी से जूझ रहे हैं. ग्रामीण यहां पुल बनाने की मांग जिला प्रशासन से लेकर सूबे के मुख्यमंत्री तक कर चुके हैं. लेकिन किसी ने अबतक इसकी सुध लेना मुनासिब नहीं समझा.
दर्जनों पंचायत के लोग इसी पुल पर हैं निर्भर
ग्रामीणों को समस्याओं से निजात दिलाने के लिए जनप्रतिनिधियों की तरफ से कई बार आश्वासन दिया गया. लेकिन किसी ने भी कोई पहल नहीं की. ग्रामीणों को रोजमर्रा के कामों से लेकर किसी के बीमार पड़ने पर भी इसी चचरी का सहारा लेना पड़ता है. इस खनुआ नदी पर पुल नहीं होने के कारण भरपुरा, बड़का कोटा, छोटका खुटाहां, बभनौली, नौका टोला, खेरवा टोला, बाबू टोला, मानकदी कवलाचक, गिरिडीह, नोनापाकर, चौमुखा, मटियारी, सुदामाचक, रतनपुरा समेत दर्जनों पंचायत के लोग इस पुल पर हीं निर्भर हैं.