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गौप्रचार वेदी, भीम गया वेदी और गदालोल वेदी में होता है पिंडदान, इनकी कहानी में छिपा है महत्व

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Published : Sep 25, 2019, 7:09 AM IST

Updated : Sep 25, 2019, 8:56 AM IST

गौप्रचार वेदी में ब्रह्मा जी ने यज्ञ किया था. उन्होंने यहां यज्ञ के दौरान गायों को जिस पर्वत पर रखा था, उसे गौचर वेदी कहा गया. ऐसे ही भीम गया और गदालोल के पीछे की कहानी है.

चल रहा है श्राद्ध कर्मकांड

गया: मोक्ष की नगरी गया में पितृपक्ष के 13वें दिन द्वादशी तिथि को भीम गया,गौ प्रचार,गदालोल इन तीन वेदियों पर श्राद्ध करने का विधान है. मंगला गौरी मंदिर के मुख्य रास्ता से भीम गया वेदी अक्षयवट वाले रास्ते मे गौप्रचार वेदी है. अक्षयवट के सामने गदालोल वेदी स्थित है, जहां पिंडदान किया जाता है.

सर्वप्रथम फल्गु नदी में स्नान तर्पण कर, भीम गया जो भस्म कूट पर्वत पर मंगला गौरी मंदिर के नीचे सीढ़ी के पास है, पर श्राद्ध करना चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि यहां भीमसेन ने बयां घुटना मोड़कर श्राद्ध किया था. उनके घुटने का चिन्ह आज भी यहां मौजूद है. भीम गया में श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पिंडदान करते पिंडदानी
पिंडदान करते पिंडदानी

गौ प्रचार वेदी पर श्राद्ध
गौ प्रचार वेदी में ब्रह्मा जी ने यज्ञ किया था. उन्होंने यहां यज्ञ के दौरान गायों को जिस पर्वत पर रखा था, उसे गौचर वेदी कहा गया. यहां पर्वत पर गायों के खुर के निशान आज भी हैं, यहां ब्रह्मा जी पंडा को सवा लाख गौ दान किया था. ऐसी मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को विष्णुलोक की प्राप्ति होती हैं. मान्यता हैं यहां ब्राह्मण को भोजन कराने से एक करोड़ ब्राह्मण भोजन कराने का फल मिलता है.

गया जी से खास रिपोर्ट- देखिए कैसे किया जा रहा पिंडदान

गदालोल वेदी पर श्राद्ध

  • गदालोल-लोल शब्द का अर्थ तालाब होता हैं. इस वेदी की कहानी है कि यहां गदा नाम का असुर पुराकाल में वज्र से दृढ़ तपस्वी एवं दान वीर था. देव कार्य के लिए ब्रह्माजी के मांगने पर उसने अपनी अस्थियां भी दान में दे दी थीं. उन्ही अस्थियों से विश्वकर्मा जी ने गदा बना स्वर्ग में रख दिया.
    गौ चर वेदी
    गौ चर वेदी
  • उसी काल मे हेति नाम का दैत्य बड़ा बलवान हुआ, उसने देवताओं को जीत कर स्वर्ग का राज्य छीन लिया. दैत्य हेति को मारकर राज्य दिलाने की विनती देवताओं ने भगवान विष्णु से की.
  • भगवान ने कहा कि हमे कोई ऐसा अस्त्र दो, जिससे उसे हम मार सके, क्योंकि उसने वरदान पा लिया है कि हम वर्तमान किसी अस्त्र से नहीं मरेंगे. तब देवताओं ने स्वर्ग में रखी वही गदा दे दी, भगवान ने उसी गदा से हेति को मार दिया. इसके बाद जिस स्थान पर वह गदा धोया गया, उसे गदालोल वेदी कहा गया है. गदाधर करने से भगवान भी गदाधर नाम से प्रसिद्ध हुए.
    चल रहा है श्राद्ध कर्मकांड
    चल रहा है श्राद्ध कर्मकांड
  • इस गदालोल वेदी में पिंडदान करने से तथा स्वर्ण पिवत्रीदान करने से पितरों को सदगति होती है.

गया: मोक्ष की नगरी गया में पितृपक्ष के 13वें दिन द्वादशी तिथि को भीम गया,गौ प्रचार,गदालोल इन तीन वेदियों पर श्राद्ध करने का विधान है. मंगला गौरी मंदिर के मुख्य रास्ता से भीम गया वेदी अक्षयवट वाले रास्ते मे गौप्रचार वेदी है. अक्षयवट के सामने गदालोल वेदी स्थित है, जहां पिंडदान किया जाता है.

सर्वप्रथम फल्गु नदी में स्नान तर्पण कर, भीम गया जो भस्म कूट पर्वत पर मंगला गौरी मंदिर के नीचे सीढ़ी के पास है, पर श्राद्ध करना चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि यहां भीमसेन ने बयां घुटना मोड़कर श्राद्ध किया था. उनके घुटने का चिन्ह आज भी यहां मौजूद है. भीम गया में श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पिंडदान करते पिंडदानी
पिंडदान करते पिंडदानी

गौ प्रचार वेदी पर श्राद्ध
गौ प्रचार वेदी में ब्रह्मा जी ने यज्ञ किया था. उन्होंने यहां यज्ञ के दौरान गायों को जिस पर्वत पर रखा था, उसे गौचर वेदी कहा गया. यहां पर्वत पर गायों के खुर के निशान आज भी हैं, यहां ब्रह्मा जी पंडा को सवा लाख गौ दान किया था. ऐसी मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को विष्णुलोक की प्राप्ति होती हैं. मान्यता हैं यहां ब्राह्मण को भोजन कराने से एक करोड़ ब्राह्मण भोजन कराने का फल मिलता है.

गया जी से खास रिपोर्ट- देखिए कैसे किया जा रहा पिंडदान

गदालोल वेदी पर श्राद्ध

  • गदालोल-लोल शब्द का अर्थ तालाब होता हैं. इस वेदी की कहानी है कि यहां गदा नाम का असुर पुराकाल में वज्र से दृढ़ तपस्वी एवं दान वीर था. देव कार्य के लिए ब्रह्माजी के मांगने पर उसने अपनी अस्थियां भी दान में दे दी थीं. उन्ही अस्थियों से विश्वकर्मा जी ने गदा बना स्वर्ग में रख दिया.
    गौ चर वेदी
    गौ चर वेदी
  • उसी काल मे हेति नाम का दैत्य बड़ा बलवान हुआ, उसने देवताओं को जीत कर स्वर्ग का राज्य छीन लिया. दैत्य हेति को मारकर राज्य दिलाने की विनती देवताओं ने भगवान विष्णु से की.
  • भगवान ने कहा कि हमे कोई ऐसा अस्त्र दो, जिससे उसे हम मार सके, क्योंकि उसने वरदान पा लिया है कि हम वर्तमान किसी अस्त्र से नहीं मरेंगे. तब देवताओं ने स्वर्ग में रखी वही गदा दे दी, भगवान ने उसी गदा से हेति को मार दिया. इसके बाद जिस स्थान पर वह गदा धोया गया, उसे गदालोल वेदी कहा गया है. गदाधर करने से भगवान भी गदाधर नाम से प्रसिद्ध हुए.
    चल रहा है श्राद्ध कर्मकांड
    चल रहा है श्राद्ध कर्मकांड
  • इस गदालोल वेदी में पिंडदान करने से तथा स्वर्ण पिवत्रीदान करने से पितरों को सदगति होती है.
Intro:गयाजी में पिंडदान के तेरहवाँ दिन द्वादशी तिथि को भीम गया,गौ प्रचार,गदा लोल इन तीन वेदियो पर श्राद्ध करने की विधि है। मंगलगौरी मंदिर के मुख्य रास्ता से भीम गया वेदी अक्षयवट वाले रास्ते मे गौ प्रचार वेदी है और अक्षयवट के सामने गदालोल वेदी है।


Body:सर्वप्रथम फल्गु नदी में स्नान तर्पण करके भीम गया जो भस्म कूट पर्वत पर मंगला गौरी मंदिर के नीचे सीढ़ी के पास है यहां भीमसेन ने बयां घुटना मोड़कर श्राद्ध किया था उनके घुटने का चिन्ह यहां आज भी है भीम गया में श्राद्ध करने से पितरों की तृप्ति होती है।

गो प्रचार वेदी ब्रह्मा जी द्वारा किया गया यज्ञ में गोदान किया गया। उन गायों को जिस पर्वत पर रखा गया वह गो प्रचार वेदी है। इस वेदी में पर्वत पर गायो के खुर के निशान आज भी है। यहां ब्रह्मा जी पंडा को सवा लाख गौ दान किये थे। गोप्रचार में पिंडदान करने से पितरों को विष्णुलोक की प्राप्ति होती हैं। मान्यता हैं गोप्रचार में ब्राह्मण को भोजन कराने से एक करोड़ ब्राह्मण भोजन कराने का फल मिलता हैं।

गौप्रचार वेदी के समीप मंगलगौरी देवी का मंदिर हैं जो देवी का स्तनपीठ हैं। यहां दर्शन पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

गदालोल-लोल शब्द का अर्थ तालाब होता हैं। गदनाम का असुर पुराकाल में वज्र से दृढ़ तपस्वी एवं दान वीर था।देव कार्य के लिए ब्रह्माजी के मांगने पर उसने अपनी अस्थियां भी दान में दे दी। उन्ही अस्थियों से विश्वकर्मा जी ने गदा का निर्माण कर स्वर्ग में रख दिया। उसी काल मे हेति नाम का दैत्य बड़ा बलवान हुआ, उसने देवताओं को जीत कर स्वर्ग का राज्य छीन लिया। दैत्य हेति को मारकर राज्य दिलाने की विनती देवताओं ने भगवान विष्णु से की। भगवान ने कहा कि हमे कोई ऐसा अस्त्र दो जिससे उसे हम मार सके,क्योंकि उसने वरदान पा लिया है कि हम वर्तमान किसी अस्त्र से नही मरे। तब देवताओं ने स्वर्ग में रखी वही गदा दे दी। भगवान ने उसी गदा से हेति को मार कर जिस स्थान पर वह गदा धोए वही गदालोल वेदी बना एवं गदाधर करने से भगवान भी गदाधर नाम से प्रसिद्ध हुए।

इस गदालोल वेदी में पिंडदान करने से तथा स्वर्ण पिवत्रीदान करने से पितरों को सदगति होती है।


Conclusion:
Last Updated : Sep 25, 2019, 8:56 AM IST
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