गया: ज्ञान एवं मोक्ष की भूमि, धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर गया में हर वर्ष लाखों हिंदू, बौद्ध एवं जैन श्रद्धालु आते हैं. इनमें बड़ी संख्या उन श्रद्धालुओं की होती है, जो अपने पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना के साथ पिंडदान, स्नान एवं तर्पण के लिए यहां पहुंचते हैं. विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर (Vishnupad temple in Gaya) के निकट मोक्षदायिनी फल्गू नदी में सतही जल का प्रवाह बरसात के कुछ भाग को छोड़ कर शेष दिनों में नगण्य होने के कारण देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानी होती थी. इसके समाधान के लिए विष्णुपद मंदिर के पास फल्गू नदी में सालोंभर जल उपलब्ध कराने के लिए बिहार सरकार ने राज्य के पहले रबर डैम का निर्माण (Rubber dam ready in Falgu river) कराया है.
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फल्गू नदी में रबड़ डैम का निर्माण: इसका शिलान्यास मुख्यमंत्री ने पिछले 22 सितंबर को किया था. बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने बताया कि नवनिर्मित रबर डैम अब लोकार्पण के लिए तैयार है. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आठ सितंबर को रबर डैम का उद्घाटन कर जनता को समर्पित करेंगे. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, गया जी तीर्थ में स्वयं भगवान श्रीराम अपने परिवार के साथ पिता के निमित्त पिंडदान के लिए आए थे. कहा जाता है कि इस दौरान माता सीता से मिले श्राप के कारण फल्गू में सतही जल का प्रवाह नगण्य हो गया. लेकिन, अब रबर डैम के निर्माण से विष्णुपद मंदिर के पास फल्गू नदी में सालोभर जल उपलब्ध रहेगा.
जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने बताया कि बिहार में पहली बार परंपरागत कंक्रीट डैम के स्थान पर आधुनिक तकनीक पर आधारित रबर डैम का निर्माण कराया गया है, जिसका पर्यावरण पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा. योजना की पूरी रूपरेखा आईआईटी-रुड़की के विशेषज्ञों द्वारा स्थल निरीक्षण के उपरांत दिए गए परामर्श को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई थी.
योजना के तहत मंदिर के 300 मीटर निम्न प्रवाह में फल्गू नदी के बाएं तट पर 411 मीटर लंबा, 95.5 मीटर चौड़ा और 3 मीटर ऊंचा रबर डैम का निर्माण कराया गया है. इसमें फल्गू नदी के सतही एवं उप सतही जल प्रवाह को रोक कर जल का संचयन किया गया है और पानी के समय-समय पर प्रतिस्थापन के लिए बोरवेल की स्थापना की गई है. सतही जल के प्रवाह को रोकने के लिए 1031 मीटर लंबाई में शीट पाइल और 300 मीटर में डायफ्राम वॉल का प्रावधान किया गया है.
इसके साथ ही जल संसाधन विभाग द्वारा फल्गू नदी के दूसरे किनारे (दाएं तट) पर स्थित सीताकुंड की तरफ श्रद्धालुओं के पैदल जाने के लिए 411 मीटर लंबे स्टील ब्रिज का निर्माण और फल्गू के बाएं तट की तरफ एक, जबकि दाएं तट की तरफ दो घाटों का निर्माण भी कराया गया है.
झा ने कहा कि पवित्र सीताकुंड के बारे में मान्यता है कि माता सीता ने अपने ससुर दशरथ जी के लिए यहीं पिंडदान किया था. विष्णुपद मंदिर आने वाले श्रद्धालु पवित्र सीताकुंड के दर्शन के लिए भी जाते हैं. स्टील ब्रिज के निर्माण से सीताकुंड मंदिर तक पहुंचना भी सुगम हो गया है.
कब से शुरू हो रहा पितृ पक्ष 2022: पितृ पक्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष के पुर्णिमा से शुरू होता है. भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 10 सितंबर को है, ऐसे में पितृ पक्ष की शुरुआत 11 सिंतबर अश्विन माह के कृष्ण पक्ष के प्रतिपदा तिथि से हो रही है. इसका समापन 25 सितंबर को होगा. इस बीच पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए उनका तर्पण अवश्य करना चाहिए.
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