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गया: रामायण सर्किट में सीता कुंड को शामिल नहीं करने पर लोगों में आक्रोश

रामायण सर्किट में गया के सीता कुंड को शामिल नहीं करने पर लोगों में आक्रोश है. लोगों का कहना है कि इसका वर्णन रामायण में किया गया है. दूर दराज से लोग यहां पिंड दान करने आते हैं. फिर भी सरकार इसे अनदेखा कर रही है.

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Published : Jul 12, 2019, 5:55 PM IST

रामायण सर्किट

गया: केंद्र सरकार द्वारा रामायण सर्किट में बिहार के तीन जिले सीतामढ़ी, बक्सर और दरभंगा को शामिल किया गया है, लेकिन गया के सीता कुंड को शामिल नहीं किया गया है. रामायण सर्किट में गया जिला को शामिल नहीं करने से लोगों में काफी आक्रोश है. गया के सीता कुंड के बारे में कहा जाता है कि भगवान राम, लक्ष्मण और सीताजी राजा दशरथ का पिंडदान करने यहां आये थे.

शहर वासियों में आक्रोश
सीता कुंड को रामायण सर्किट में शामिल नहीं करने पर गया वासी, पंडा समाज और राजनीतिक दलों में आक्रोश है. सीता कुंड के पंडा समाज के महर्षि मदन बाबा कहते हैं कि इस जगह का वर्णन रामायण में किया गया है. देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आते हैं. उन्होंने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द रामायण सर्किट में गया के सीता कुंड को भी शामिल किया जाए.

gaya
सीता कुंड

रामायण सर्किट में सीता कुंड को शामिल करने की मांग
कांग्रेस के मगध क्षेत्र के प्रवक्ता विजय कुमार मिठू ने बताया कि 9 जुलाई 2019 को राज्यसभा में केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने रामायण से जुड़े सभी मंदिर को रामायण सर्किट के तहत विकसित करने की घोषणा की है. इसमें बिहार राज्य का सीतामढ़ी, बक्सर और दरभंगा को जोड़ा गया है. लेकिन विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपना स्थान रखने वाले गया के सीता कुंड को नहीं जोड़ा गया है. सरकार इसे अनदेखा कर रही है.

पेश है रिपोर्ट

सनातन धर्म में गया का महत्व
गया को मोक्ष नगरी के रूप में जाना जाता है. इसका सनातन धर्म में बहुत महत्व है. सनातन धर्म के अनुयायी अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए गया में पिंडदान करते हैं. राम, लक्षमण और सीता भी राजा दशरथ के मृत्यु के एक वर्ष होने पर वार्षिक पिंडदान करने गया में आये थे.

गया: केंद्र सरकार द्वारा रामायण सर्किट में बिहार के तीन जिले सीतामढ़ी, बक्सर और दरभंगा को शामिल किया गया है, लेकिन गया के सीता कुंड को शामिल नहीं किया गया है. रामायण सर्किट में गया जिला को शामिल नहीं करने से लोगों में काफी आक्रोश है. गया के सीता कुंड के बारे में कहा जाता है कि भगवान राम, लक्ष्मण और सीताजी राजा दशरथ का पिंडदान करने यहां आये थे.

शहर वासियों में आक्रोश
सीता कुंड को रामायण सर्किट में शामिल नहीं करने पर गया वासी, पंडा समाज और राजनीतिक दलों में आक्रोश है. सीता कुंड के पंडा समाज के महर्षि मदन बाबा कहते हैं कि इस जगह का वर्णन रामायण में किया गया है. देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आते हैं. उन्होंने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द रामायण सर्किट में गया के सीता कुंड को भी शामिल किया जाए.

gaya
सीता कुंड

रामायण सर्किट में सीता कुंड को शामिल करने की मांग
कांग्रेस के मगध क्षेत्र के प्रवक्ता विजय कुमार मिठू ने बताया कि 9 जुलाई 2019 को राज्यसभा में केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने रामायण से जुड़े सभी मंदिर को रामायण सर्किट के तहत विकसित करने की घोषणा की है. इसमें बिहार राज्य का सीतामढ़ी, बक्सर और दरभंगा को जोड़ा गया है. लेकिन विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपना स्थान रखने वाले गया के सीता कुंड को नहीं जोड़ा गया है. सरकार इसे अनदेखा कर रही है.

पेश है रिपोर्ट

सनातन धर्म में गया का महत्व
गया को मोक्ष नगरी के रूप में जाना जाता है. इसका सनातन धर्म में बहुत महत्व है. सनातन धर्म के अनुयायी अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए गया में पिंडदान करते हैं. राम, लक्षमण और सीता भी राजा दशरथ के मृत्यु के एक वर्ष होने पर वार्षिक पिंडदान करने गया में आये थे.

Intro:केंद्र सरकार द्वारा रामायण सर्किट में बिहार के तीन जिला सीतामढ़ी बक्सर और दरभंगा को शामिल किया गया है। जबकि गया के सीता कुंड को शामिल नहीं किया गया है रामायण सर्किट में गया जिला को शामिल नहीं करने पर गयावासीयो में काफी आक्रोश है। गया के सीता कुंड के बारे में कहा जाता है भगवान राम,लक्षमण और सीताजी राजा दशरथ का पिंडदान करने आये थे।



Body:गया को मोक्ष नगरी का महत्व सनातन धर्म हैं। सनातन धर्म के अनुयायी अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलवाने के लिए पिंडदान करते हैं। राम,लक्षमण और माता सीता भी वनवास काल मे राजा दशरथ के मृत्यु का एक वर्ष होने पर वार्षिक पिंडदान करने गयाजी में आये थे। यहाँ एक घटना घटता हैं राम और लक्षमण पिंडदान का सामग्री लाने जाते है इसी बीच फल्गू नदी से राजा दशरथ का हाथ और आकाशवाणी होता हैं सीता पिंडदान का वक़्त निकल रहा है पिंडदान दे दो। सीता बालू का पिंडदान दे देती हैं। राम और लक्ष्मण के आने पर सीता सारी बात बताती हैं भगवान राम और लक्ष्मण को विश्वास नही होता , राम जी साक्ष्य मांगते हैं सीता माँ कहती हैं फल्गू से पूछ लीजिए ,फल्गू नदी झूठ बोल देती हैं। सीता माँ फल्गु नदी को सतत सलिला से अततः सलिला हो जाने का श्राप देती हैं। इस जगह Hand of dashrath भी कहा जाता है।

हैंड ऑफ दशरथ (सीता कुंड) को रामायण सर्किट में शामिल नही करने पर गया वासी, पंडा समाज और राजनीतिक दल में आक्रोश हैं। सीता कुंड के पंडा समाज के महर्षि मदन बाबा और दिनेश कुमार पांडेय उर्फ एमपी बाबा कहते है। इस जगह का उल्लेख रामायण में है। देश विदेश के श्रद्धालु राजा दशरथ को देखने आते हैं। लगता हैं केंद्र सरकार को यहां के बारे में जानकारी नही है। हम चाहते है अतिशीघ्र रामायण सर्किट में गया का सीता कुंड को शामिल किया जाए।

कांग्रेस के मगध क्षेत्र के प्रवक्ता विजय कुमार मिठू ने बताया 9 जुलाई 2019 को राज्यसभा में केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने रामायण से जुड़े मंदिर रामायण सर्किट के तहत विकसित करने की घोषणा की है जिसमें बिहार राज्य के सीतामढ़ी,बक्सर एवं दरभंगा को जोड़ा गया है परंतु विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपना स्थान रखने वाला गया के सीता कुंड को नहीं जोड़ने से गया वासियों में आक्रोश है । कांग्रेस पार्टी का मांग हैं जहां देश विदेश के श्रदालु आते हैं हैंड शॉप दशरथ को देखने उस जगह को केंद्र सरकार अनदेखी कर रही है अगर केंद्र सरकार उपेक्षा करेगी तो बहुत भारी पड़ेगा।


Conclusion:
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