गया: जिला पदाधिकारी अभिषेक सिंह ने बच्चों को होने वाले बीमरी चमकी बुखार (एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) और जापानी बुखार (जैपनीज एन्सेफलाइटिस) से बचाव और सुरक्षा के संबंध में बैठक बुलायी. वहीं, इसे लेकर अधिकारियों और चिकित्सकों को मुस्तैद रहने के निर्देश दिए. उन्होंने बैठक में बचाव और इसे लेकर जागरूकता फैलाने को लेकर काफी जोर दिया.
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80 प्रतिशत बच्चों को लगाया जा चुका है टीका
बैठक में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने डीएम को बताया कि जिले के 80 प्रतिशत बच्चों को चमकी बुखार और जपानी बुखार से बचाने के लिए टीका लगाया जा चुका है. वहीं, बाकी बचे हुए 20 फिसदी बच्चों को चिन्हित कर उनकी सूची तैयार कर ली गयी है, जल्द ही उन्हें भी टीकाकृत कर दिया जाएगा.
उन्होंने बताया कि जिले में 15,000 डोज उपलब्ध है, यह टीका 9 माह के बच्चों को पहली खुराक और 16 से 24 माह के बच्चो को दूसरी खुराक दी जाएगी.
साल 2019 में 13 बच्चे चमकी बुखार से मरे थे
बैठक में बताया गया कि साल 2019 में एईएस यानी चमकी बुखार के 54 मामले मिले थे. जिसमें 13 बच्चो की मृत्यु हुई थी. जेई यानी जापानी बुखार के 12 मामलों में से 2 की मृत्यु हुई थी. वहीं, 2020 में जेई के 6 मामले पाए गए, जिनमे से 1 बच्चे की मृत्यु हो गयी थी.
वहीं, लू से बचाव को लेकर चिकित्सकों ने कहा कि अधिक गर्मी और तेज धूप के कारण शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. यह जानलेवा भी साबित हो सकता है. इसलिए लोग कम से कम 2 लीटर पानी रोजाना पिये.
बता दें कि गर्मी का मौसम आते ही छोटे बच्चे जापानी बुखार और चमकी बुखार की चपेट में आ जाते हैं. वहीं, ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी की वजह से कई बच्चों की जान भी चली जाती है.
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