दरभंगाः 'जगदंब अहीं अवलंब हमर, हे माय अहां बिनु आस ककर' जैसे अनेक कालजयी मैथिली भक्ति गीतों के मशहूर गीतकार, कवि और साहित्यकार मैथिलीपुत्र प्रदीप को विद्यापति सेवा संस्थान की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई. दिवंगत कवि संस्थान के संस्थापकों में से एक थे. संस्थान के सदस्यों ने मैथिलीपुत्र प्रदीप के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए.
संस्थान ने मैथिलीपुत्र प्रदीप की एक आदमकद प्रतिमा उनके पैतृक गांव तारडीह ब्लॉक के कैथवार में लगाने की घोषणा भी की. मैथिलीपुत्र प्रदीप को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बिहार मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष कमलाकांत झा ने कहा कि मैथिलीपुत्र प्रदीप के निधन से सही मायने में मैथिली पुत्रविहीन हो गई है. उन्होंने कहा कि सरकारी सेवा में रहते हुए भी उन्होंने मैथिली भाषा में कालजयी रचनाएं की हैं वह इस भाषा की बड़ी सेवा है.
आदमकद प्रतिमा होगी स्थापित
वहीं, विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ. वैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि मैथिलीपुत्र प्रदीप ने मिथिला और उसके बाहर रह रहे साढ़े 7 करोड़ मैथिलों को अपनी कालजयी रचनाओं से एक सूत्र में बांधा. वे संस्थान के संस्थापकों में थे. संस्थान के सदस्य उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं. उन्होंने घोषणा की कि मैथिलीपुत्र प्रदीप के पैतृक गांव कैथवार में उनकी आदमकद संगमरमर की प्रतिमा स्थापित की जाएगी.
84 साल की आयु में निधन
बता दें कि मैथिलीपुत्र प्रदीप के नाम से मशहूर कवि, गीतकार और साहित्यकार प्रभु नारायण झा का शनिवार 30 मई को 84 साल की आयु में दरभंगा स्थित उनके बेलवागंज आवास पर निधन हो गया था. उनका जन्म 30 अप्रैल 1936 को दरभंगा जिले के तारडीह ब्लॉक के कैथवार गांव में हुआ था. वे सरकारी स्कूल के एक सेवा निवृत्त शिक्षक थे.