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दरभंगा: बाढ़ के कारण परेशानियों का अंबार, जान जोखिम में डालकर करते हैं आवाजाही

बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि बाढ़ का पानी उनके घरों में घुस गया है. इससे लोगों को आने जाने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. बाढ़ पीड़ितों का आरोप है कि सरकार की तरफ से कोई मदद गांव वालों को नहीं मिल रही है.

जान जोखिम में डालकर कर रहे आवाजाही
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Published : Jul 18, 2019, 1:50 PM IST

दरभंगा: नेपाल से पानी छोड़े जाने के कारण राज्य की नदियों का जलस्तर काफी बढ़ गया है. कई जगहों पर तटबंध टूटने के कारण बाढ़ आ गई है. वहीं, बाढ़ आने के कारण जिले के कुशेश्वरस्थान के पूर्वी प्रखंड के क्षेत्र के लोगों की मुश्किल काफी बढ़ गई है. यहां के लोगों के आवागमन का एक मात्र साधन नाव ही बच गया है. उसकी भी भारी कमी है. जरूरत की हर चीजों को पूरा करने के लिए नाव का ही सहारा लेना पड़ता है. इससे हमेशा हादसे का डर बना रहता है.

जान जोखिम में डालकर कर रहे आवाजाही

बाढ़ पीड़ितों ने लगाया आरोप

बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि नदी में उफान आने के बाद बाढ़ का पानी उनके घरों में घुस गया है. लोगों को काफी परेशानी हो रही है. लोगों को आने जाने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. बाढ़ आने के बाद सरकार की तरफ से कोई मदद गांव वालों को नहीं मिल रही है. यहां आने जाने वालों के लिए नाव की भारी कमी है. लोग अपने पैसे से निजी नाव से आवागमन कर रहे हैं.

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नाव से पार करवाते वाहन

'आवागमन के लिए उपलब्ध है नाव'

मौके पर पहुंचे वरीय प्रभारी नदीम-उल गफ्फार सिद्धिकी ने बताया कि सभी गांव में आबादी के आवागमन के लिए नाव उपलब्ध करवाया गया है. बाढ़ को देखते हुए सरकारी स्तर पर अभी तक 22 नावें चलाई जा रही हैं. साथ ही निजी नाव भी उपलब्ध है. हमलोगों ने इस क्षेत्र में हो रही समस्या को लेकर सभी जनप्रतिनिधियों और सरकारी कर्मियों के साथ बैठक भी की है. उस बैठक के आधार पर जरूरत वाली जगहों पर नाव दिया जा रहा है.

दरभंगा: नेपाल से पानी छोड़े जाने के कारण राज्य की नदियों का जलस्तर काफी बढ़ गया है. कई जगहों पर तटबंध टूटने के कारण बाढ़ आ गई है. वहीं, बाढ़ आने के कारण जिले के कुशेश्वरस्थान के पूर्वी प्रखंड के क्षेत्र के लोगों की मुश्किल काफी बढ़ गई है. यहां के लोगों के आवागमन का एक मात्र साधन नाव ही बच गया है. उसकी भी भारी कमी है. जरूरत की हर चीजों को पूरा करने के लिए नाव का ही सहारा लेना पड़ता है. इससे हमेशा हादसे का डर बना रहता है.

जान जोखिम में डालकर कर रहे आवाजाही

बाढ़ पीड़ितों ने लगाया आरोप

बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि नदी में उफान आने के बाद बाढ़ का पानी उनके घरों में घुस गया है. लोगों को काफी परेशानी हो रही है. लोगों को आने जाने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. बाढ़ आने के बाद सरकार की तरफ से कोई मदद गांव वालों को नहीं मिल रही है. यहां आने जाने वालों के लिए नाव की भारी कमी है. लोग अपने पैसे से निजी नाव से आवागमन कर रहे हैं.

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नाव से पार करवाते वाहन

'आवागमन के लिए उपलब्ध है नाव'

मौके पर पहुंचे वरीय प्रभारी नदीम-उल गफ्फार सिद्धिकी ने बताया कि सभी गांव में आबादी के आवागमन के लिए नाव उपलब्ध करवाया गया है. बाढ़ को देखते हुए सरकारी स्तर पर अभी तक 22 नावें चलाई जा रही हैं. साथ ही निजी नाव भी उपलब्ध है. हमलोगों ने इस क्षेत्र में हो रही समस्या को लेकर सभी जनप्रतिनिधियों और सरकारी कर्मियों के साथ बैठक भी की है. उस बैठक के आधार पर जरूरत वाली जगहों पर नाव दिया जा रहा है.

Intro:नेपाल के जल अधिग्रहण क्षेत्र से तेज वर्षा होने के कारण कमला नदी के जलस्तर में आए उफान के चलते बाढ़ की राजधानी कहे जाने वाले कुशेश्वरस्थान के पूर्वी प्रखंड क्षेत्र के लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यहां के लोगों के आवागमन का साधन बस नाव ही सहारा रह गया है। कमला नदी के पश्चिमी तटबंध व पूर्वी तटबंध के गर्भ में बसे इटहर पंचायत के चौकिया बिशुनिया लक्ष्मीनिया पोखर मुसहरी सहित अन्य गांवों के लोगों का जीवन नाव पर ही टिकी हुई है। वहीं गांव के लोगों को एक टोले से दूसरे टोले तक जाने या फिर अपनी जरूरत के सामान लाने के लिए नाव का ही सहारा लेना पड़ रहा है। यहां तक कि यहां के लोग शौचालय के लिए भी नाव का उपयोग कर रहे है। जिसके चलते हमेशा हादसा का डर बना रहता है।


Body:दरअसल दरभंगा जिला में कमला नदी में उफान आने के बाद कई जगहों पर तटबंध टूट गया। जिसके कारण बाढ़ का पानी खेत खलियान होते हुए घरों में प्रवेश कर गया है। रोजमरा की जिंदगी के लिए लोगों को आने-जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मजबूरी के कारण लोग छोटी छोटी नाव पर साइकिल व नाव के बनावट के हिसाब से अधिक संख्या में चढ़कर अपनी जान को जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं। सफर करने वाले में खासकर महिलाएं और बच्चे भी देखे जा रहे हैं, जो किसी भी समय एक बड़ी घटना का सबब हो सकता है। बाढ़ प्रभावित इलाके के लोग सरकारी मदद को नाकाफी बताते हुए कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में नाव की भारी कमी है। जिसके कारण वे लोग रोजमर्रा के काम के लिए जान को जोखिम में डालकर आते जाते हैं।


Conclusion:वही मौके पर पहुंचे वरीय प्रभारी नदीमुल गफार सिद्धकी ने बताया कि सभी गांव में आबादी के आवागमन के लिए नाव उपलब्ध है। बाढ़ को देखते हुए सरकारी स्तर पर अभी तक 22 चलाई जा रही है और निजी नाव भी उपलब्ध है। आज हमलोग इसको लेकर एक बैठक भी की है, सभी जनप्रतिनिधियों व सरकारी कर्मियों के साथ। उसके आधार पर फिर से नए सिरे से जहां जहां आवश्यकता है वहां वहां नाव दे रहे हैं। ताकि लोगों को एक जगह से दूसरी जगह आवाजाही में किसी प्रकार की कठिनाई ना हो।

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देवेंद्र कुमार, बाढ़ पीड़ित
दिलीप राय, बाढ़ पीड़ित
नदीमुल गफार सिद्धकी, वरीय अधिकारी
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