दरभंगा: दरभंगा की बहादुर बेटी ज्योति के गांव के पास स्थित टेकटार गांव के दिव्यांग मो. जलालुद्दीन अंसारी एक पैर के बल साइकिल चलाने में माहिर है. जलालुद्दीन ने साइक्लिंग की कई प्रतियोगिताएं जीती हैं. बावजूद इसके, उसकी गरीबी ने उसकी कामयाबी को रोक रखा है. मीडिया में खबर दिखाए जाने के बाद जलालुद्दीन की मदद के लिए कई लोग आगे आए हैं.
मानव सेवा समिति स्वयंसेवी संगठन की पहल पर उमा कंपनी के एमडी कुमार मिहिर ने जलालुद्दीन के घर जाकर उसे 11 हजार रुपये की राशि का चेक सौंपा है. इसके साथ ही उसकी उसे अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया है. इस बाबत, कुमार मिहिर ने कहा कि जलालुद्दीन के भीतर प्रतिभा और अदम्य साहस है. बचपन में ही एक पैर गंवा देने के बावजूद इसने कभी हार नहीं मानी और साइक्लिंग में कई रिकॉर्ड कायम किए हैं. लेकिन इसकी गरीबी इसके आगे बढ़ने में बाधक बनी हुई है. उन्होंने कहा कि जलालुद्दीन को आगे बढ़ाने में हर संभव सहायता की जाएगी. अभी जलालुद्दीन को 11 हजार रुपये की राशि दी गई है ताकि इस पैसे से एक अच्छी साइकिल खरीद सके.
मिलेंगे मंत्री महेश्वर हजारी
वहीं, मानव सेवा समिति के सदस्य उज्जवल कुमार ने कहा कि जलालुद्दीन की मदद के लिए बिहार सरकार के मंत्री महेश्वर हजारी से बात हुई है. वो एक जून को बहादुर बेटी ज्योति से मिलने सिरहुल्ली आएंगे. उसी क्रम में जलालुद्दीन से भी मिलेंगे और इसकी मदद करेंगे. उन्होंने कहा कि महेश्वर हजारी ने बिहार सरकार की ओर से भी जलालुद्दीन के लिए हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है. अब जलालुद्दीन को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता है.
'देश के लिए गोल्ड मेडल लाना चाहता हूं'
ईटीवी भारत से बात करते हुए जलालुद्दीन ने अपनी ख्वाहिश बताई थी. उसने कहा था कि वो साइक्लिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया से बहन ज्योति की तरह मदद की मांग करता है. इसके साथ ही उसने कहा कि वो पैरा ओलंपिक में भाग लेना चाहता है. साथ ही उसका ख्वाब है कि वो देश के लिए गोल्ड मेडल लाए.
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महज 6 साल की उम्र में जलालुद्दीन ट्रेन की चपेट में आकर अपना एक पैर गंवा बैठा था. इसके बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी और साइक्लिंग की प्रैक्टिस करता रहा. उसने देश के कई शहरों में बड़ी-बड़ी प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की है. जलालुद्दीन ने सबसे बड़ा रिकॉर्ड वर्ष 2016 में लखनऊ के बाबू केडी सिंह स्टेडियम में 12 घंटों में 300 किमी साइकिल चला कर बनाया था. उसका चयन 2019 में इंडोनेशिया में हुई अंतरराष्ट्रीय साइक्लिंग चैंपियनशिप के लिए भी हुआ था लेकिन संसाधनों के अभाव में वह चयन के बावजूद वहां नहीं जा सका. जलालुद्दीन ने साइक्लिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया से भी मदद की गुहार लगाई है.