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डॉक्टरों की एक गलती और मरीजों पर 'ब्लैक फंगस' का खतरा, जानिए क्या कहते हैं सिविल सर्जन

बिहार में कोरोना से उबर चुके मरीजों पर ब्लैक फंगस का साया बना हुआ है. सूबे में अब तक इसके 20 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. JNMCH के सिविल ने बताया कि मरीजों में ऑक्सीजन सप्लाई के दौरान डॉक्टरों की सतर्कता से इस बीमारी से निपटा जा सकता है.

ब्लैक फंगस
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Published : May 15, 2021, 8:33 PM IST

Updated : May 15, 2021, 8:45 PM IST

भागलपुरः बिहार में कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फंगस ने भी कहर बरपाना शुरू कर दिया है. भागलपुर में ब्लैक फंगस से तीन मरीजों की मौत की खबर आ रही है. हांलाकि अब तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में ऑक्सीजन सपोर्ट पर इन मरीजों का इलाज चल रहा था. वहीं बिहार अब तक इसके 20 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. JNMCH में अभी भी करीब 10 ब्लैक फंगस के संदिग्ध मरीजों का इलाज चल रहा है, जिनकी रिपोर्ट आना बाकी है.

इसे भी पढ़ेंः 'ब्लैक फंगस' क्या है, कैसे पहचानें? एक्सपर्ट से जानिए हर सवाल का जवाब

क्या है ब्लैक फंगस?
म्यूकरमाइकोसिस (एमएम) को ब्लैक फंगस के नाम से जानते है. म्यूकरमाइकोसिस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. यह म्यूकर फफूंद के कारण होता है, जो आमतौर पर मिट्टी पौधों में खाद सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. यह फंगस साइनस दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है, और डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर यूनिटी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों (कैंसर या एचआईवी एड्स ग्रसित) के लिए यह जानलेवा भी हो सकती है. अभी के दौर में कोरोना के उबर चुके मरीजों पर इसका असर देखा जा रहा है.

ब्लैक फंगस से बचने के उपाय
ब्लैक फंगस से बचने के उपाय

"ऑक्सीजन के कारण यह बीमारी हो रही है. मरीजों को ऑक्सीजन सप्लाई के दौरान नल या साधारण पानी का इस्तेमाल किए जाने पर फंगस पनप रहा है. इस दौरान ध्यान रखना चाहिए कि साधारण या नल के पानी की जगह डिस्टिल्ड वाटर या स्टेरलाइज वाटर का इस्तेमाल किया जाए. गंदे पानी का इस्तेमाल करने पर फंगस होगा ही. वहीं डिस्टिल्ड वाटर के इस्तेमाल से फंगस मर जाता है. मेडिकल टीम की सतर्कता से इस बीमारी से निपटना जा सकता है."-डॉ उमेश शर्मा, सिविल सर्जन

डॉ उमेश शर्मा, सिविल सर्जन
डॉ उमेश शर्मा, सिविल सर्जन

इसे भी पढ़ेंः पटना: गर्दनीबाग अस्पताल के कूड़े में फेंकी मिली लाखों की दवाएं, जवाब देने से भाग रहे अधिकारी

म्यूकरमाइकोसिस से ग्रसित मरीजों में चेहरे में सामान्य तौर पर ये लक्षण देखे जा रहे हैं.

  • तेज सिर दर्द
  • नाक और साइनस ब्लॉक होने की समस्या
  • तालू के पास काले रंग के घाव
  • आंखों में दर्द और दृष्टि जाने का खतरा

भागलपुरः बिहार में कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फंगस ने भी कहर बरपाना शुरू कर दिया है. भागलपुर में ब्लैक फंगस से तीन मरीजों की मौत की खबर आ रही है. हांलाकि अब तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में ऑक्सीजन सपोर्ट पर इन मरीजों का इलाज चल रहा था. वहीं बिहार अब तक इसके 20 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. JNMCH में अभी भी करीब 10 ब्लैक फंगस के संदिग्ध मरीजों का इलाज चल रहा है, जिनकी रिपोर्ट आना बाकी है.

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क्या है ब्लैक फंगस?
म्यूकरमाइकोसिस (एमएम) को ब्लैक फंगस के नाम से जानते है. म्यूकरमाइकोसिस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. यह म्यूकर फफूंद के कारण होता है, जो आमतौर पर मिट्टी पौधों में खाद सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. यह फंगस साइनस दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है, और डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर यूनिटी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों (कैंसर या एचआईवी एड्स ग्रसित) के लिए यह जानलेवा भी हो सकती है. अभी के दौर में कोरोना के उबर चुके मरीजों पर इसका असर देखा जा रहा है.

ब्लैक फंगस से बचने के उपाय
ब्लैक फंगस से बचने के उपाय

"ऑक्सीजन के कारण यह बीमारी हो रही है. मरीजों को ऑक्सीजन सप्लाई के दौरान नल या साधारण पानी का इस्तेमाल किए जाने पर फंगस पनप रहा है. इस दौरान ध्यान रखना चाहिए कि साधारण या नल के पानी की जगह डिस्टिल्ड वाटर या स्टेरलाइज वाटर का इस्तेमाल किया जाए. गंदे पानी का इस्तेमाल करने पर फंगस होगा ही. वहीं डिस्टिल्ड वाटर के इस्तेमाल से फंगस मर जाता है. मेडिकल टीम की सतर्कता से इस बीमारी से निपटना जा सकता है."-डॉ उमेश शर्मा, सिविल सर्जन

डॉ उमेश शर्मा, सिविल सर्जन
डॉ उमेश शर्मा, सिविल सर्जन

इसे भी पढ़ेंः पटना: गर्दनीबाग अस्पताल के कूड़े में फेंकी मिली लाखों की दवाएं, जवाब देने से भाग रहे अधिकारी

म्यूकरमाइकोसिस से ग्रसित मरीजों में चेहरे में सामान्य तौर पर ये लक्षण देखे जा रहे हैं.

  • तेज सिर दर्द
  • नाक और साइनस ब्लॉक होने की समस्या
  • तालू के पास काले रंग के घाव
  • आंखों में दर्द और दृष्टि जाने का खतरा
Last Updated : May 15, 2021, 8:45 PM IST
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