नई दिल्ली: भारत के होनहार ऑलराउंडरों में से एक अजीत अगरकर ने 1999-2000 बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT) के दौरान क्रिकेट इतिहास की किताबों में अपना नाम दर्ज कराया. लेकिन उन कारणों से नहीं, जिनके लिए वह जाना चाहते थे. अगरकर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगातार 5 बार शून्य पर आउट हुए, जिससे उस समय टेस्ट क्रिकेट में किसी भारतीय बल्लेबाज द्वारा लगातार सबसे अधिक शून्य पर आउट होने का दुर्भाग्यपूर्ण रिकॉर्ड बना, जिससे उन्हें दुर्भाग्यपूर्ण निकनेम 'बॉम्बे डक' मिला.
अजीत अगरकर ने 'बॉम्बे डक' उपनाम इसलिए अर्जित किया क्योंकि अगरकर मुंबई (पूर्व में बॉम्बे) से आते हैं, क्रिकेट प्रशंसकों और मीडिया ने लोकप्रिय मछली के व्यंजन के नाम और उनके कम स्कोर के सिलसिले पर मजाकिया तौर पर 'बॉम्बे डक' उपनाम दिया. अगरकर की विकेट लेने वाले खिलाड़ी डेमियन फ्लेमिंग, ब्रेट ली (दो बार), मार्क वॉ और ग्लेन मैकग्राथ थे.
This is Ajit Agarkar. He raised his bat not because he scored a century in Australia but scored a single after 7 consecutive ducks....
— Darshan Mehta (@darshanvmehta1) June 5, 2024
Guys....this is just info...no relation absolutely to INDI Alliance celebration on 4th June.#elections2024 #nda#india #modi pic.twitter.com/0bxhHsOFsn
यह सिलसिला एडिलेड में पहले टेस्ट के दौरान शुरू हुआ, जहां अगरकर दूसरी पारी में गोल्डन डक पर आउट हुए. मेलबर्न में भी यही सिलसिला जारी रहा, जहां उन्होंने दो और डक (गोल्डन डक) दर्ज किए. जब भारतीय टीम तीसरे और अंतिम टेस्ट के लिए सिडनी पहुंची, तो अगरकर पर बहुत दबाव था. दुर्भाग्य से वह अपनी किस्मत नहीं बदल सके, क्योंकि वह सिडनी टेस्ट की पहली पारी में गोल्डन डक और दूसरी पारी में दूसरी गेंद पर डक पर आउट हो गए.
आखिरकार अगरकर ने घरेलू मैदान पर दक्षिण अफ्रीका सीरीज के दौरान डक पर आउट होने के सिलसिले को तोड़ा था. हालांकि, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनका संघर्ष दो और पारियों तक जारी रहा, क्योंकि उन्होंने BGT 2001 सीरीज के लिए मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में पहले टेस्ट की पहली और दूसरी पारी में 12 गेंदों और 15 गेंदों पर डक दर्ज किए, जिससे उनका डक पर आउट होना ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगातार सात पारियों तक चला.
Old funny cricket gold!
— Rob Moody (@robelinda2) June 2, 2020
Raise your bat, son!
The " benefit match full toss" to give ajit agarkar a well deserved single....after a plethora of ducks...
the raise of the bat to the crowd said it all! pic.twitter.com/uS94zEe2yL
अगरकर को टेस्ट क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक भी रन बनाने में तीन साल लग गए थे. 2003-04 की सीरीज में भारत का सामना ऑस्ट्रेलिया से हुआ और वहां अगरकर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगातार सात बार शून्य पर आउट होने के बाद आखिरकार एक रन बनाया. चार मैचों की सीरीज के पहले ब्रिसबेन टेस्ट में अगरकर ने गेंद को गैप में धकेला, एक रन के लिए बेताब होकर दौड़े और अपना बल्ला उठाया, और दर्शकों को मजाकिया अंदाज में बधाई दी जैसे कि उन्होंने शतक बनाया हो.
उनके जश्न ने इस पल को एक हल्के-फुल्के, आत्म-हीन इशारे में बदल दिया, जिससे टीम के साथी और फैंस दोनों ही हंस पड़े. उस पारी में अगरकर 26 गेंदों पर 12 रन बनाने में सफल रहे, जिसमें एक चौका भी शामिल था. इस क्रम के बावजूद अगरकर का करियर शानदार रहा है. वह वनडे में भारत के सबसे भरोसेमंद ऑलराउंडरों में से एक बन गए, उन्होंने 250 से अधिक विकेट लिए और निचले क्रम में महत्वपूर्ण रन बनाए.
Story behind ajit agarkar's infamous nickname " bombay duck" pic.twitter.com/YmDNmeX1XD
— 90skid (@memorable_90s) October 14, 2021
वह अभी भी वनडे में किसी भारतीय द्वारा सबसे तेज अर्धशतक का रिकॉर्ड रखते हैं. उनके टेस्ट करियर में भी कई यादगार पल आए, जिसमें 2002 में लॉर्ड्स में लगाया गया यादगार शतक भी शामिल है, लेकिन क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर जैसे किसी खिलाड़ी के पास यह मौका नहीं है. इसलिए 'बॉम्बे डक' का सिलसिला क्रिकेट के सबसे अनोखे पलों में से एक है.