दरभंगा: आदि कवि विद्यापति की स्मृति में मनाए जा रहे तीन दिवसीय 48वें मिथिला विभूति पर्व समारोह के दूसरे दिन मंच पर मिथिला की संस्कृति जीवंत हो उठी. कलाकारों ने कार्यक्रम में गीत-संगीत और नृत्य की एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दीं.
कलाकारों ने मंच पर बांधा समां
बाल कलाकारों से लेकर स्थापित कलाकारों ने मंच पर खूब समां बांधा. दर्शक रात भर झूमते रहे. दूसरे दिन के कार्यक्रम का उद्घाटन करने पहुंचे ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने कार्यक्रम को अद्भुत बताया.
बांसुरी वादन की प्रस्तुति
बाल कलाकारों की विद्यापति संगीत 'जय-जय भैरवी असुर भयाउनी' और सामा-चकेवा के गीत पर नृत्य ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी. कार्यक्रम में शहनाई से लेकर बांसुरी वादन तक की प्रस्तुति ने दर्शकों को रात भर बांधे रखा.
जीवंत संस्कृति की भूमि
महिला कलाकारों ने पारंपरिक मैथिली लोक गीतों से दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया. दूसरे दिन के कार्यक्रम का उद्घाटन करने पहुंचे ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने पिछले 48 साल से चले आ रहे इस कार्यक्रम को अद्भुत बताया.
कुलपति ने कहा कि मिथिला की भूमि धर्म-अध्यात्म और जीवंत संस्कृति की भूमि है. उन्होंने कहा कि पिछले 48 साल से बिना किसी सरकारी सहायता के इतना बड़ा कार्यक्रम आम लोगों की ओर से सफलता पूर्वक आयोजित किया जाता रहा है. यह बहुत बड़ी बात है.