दरभंगा: जिले में आई भीषण बाढ़ ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. प्रतिदिन नए इलाके बाढ़ की चपेट में आ रहे हैं. लोगों की मुसीबत खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. बाढ़ से सबसे ज्यादा परेशान यहां के पशुपालक हैं. गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश करते ही उनके मवेशी का चारा पूरी तरह बर्बाद हो गया है. लोग मवेशी के साथ ऊंचे स्थान पर या फिर सड़क के किनारे खुले आसमान के नीचे अपना आशियाना बनाकर रह रहे हैं.
एक तरफ बाढ़ ने जहां लोगों का जीना मुहाल कर दिया है, वहीं पशुओं की भी हालत दिन-ब-दिन दयनीय होती जा रही है. बाढ़ में सबसे अधिक पशु चारा की किल्लत हुई है. पशुपालक किसी तरह पशुओं को जिंदा रखने का प्रयास कर रहे हैं. मवेशियों के लिए चारा इकट्ठा करने में काफी परेशानी हो रही है. इंसान तो किसी प्रकार अपना पेट भर लेते हैं, लेकिन यह बेजुबान पशु अपना दर्द किसको सुनाएं.
पशु चारा के लिए भटक रहे पशुपालक
दर्जनों पशुपालक इन दिनों घर छोड़कर सड़क किनारे रह रहे हैं. खुले आसमान के नीचे तंबू लगाकर लोगों ने पशुओं को रखा है. पशुपालकों का कहना है कि बाढ़ के पानी से गुजर कर चारे की व्यवस्था करनी पड़ती है. लेकिन वह भी नाकाफी साबित हो रहा है. ऐसे में पशुओं को भूखा रहना पड़ रहा है.
सरकार की ओर से कोई मदद नहीं
उन्होंने कहा कि घर में जो भूसा रखा था वो भी पानी में बह गया. किसी तरह पशु को लेकर घर से बाहर आ गए हैं. अब उनके लिए चारा लाना बड़ी समस्या है. दुकानदारों ने भी चारे की कीमत बढ़ी दी है. ऐसे में जो लोग गरीब हैं उनके लिए चारा खरीदना संभव नहीं है. सरकार की ओर से भी किसी प्रकार की कोई मदद नहीं की जा रही है.
क्या कहते हैं उप विकास आयुक्त
मामले पर उप विकास आयुक्त कारी प्रसाद का कहना है कि बाढ़ पीड़ितों के लिए प्रत्येक प्रखंड में समुदायिक किचेन चलाया जा रहा है. जहां पशुपालक एकत्रित हैं, वहां पशु चारा और चिकित्सा, दोनों की व्यवस्था की जा रही है. अभी तक पूर्वी क्षेत्र के घनश्यामपुर, तारडीह, मनीगाछी प्रखंड में ये सुविधा दी जा रही है. अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि जहां भी पशुपालक हैं, वहां जल्द से जल्द पशुचारा और चिकित्सा व्यवस्था बहाल की जाये.