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बाढ़ में पशुओं के लिए चारा का इंतजाम करना बनी बड़ी चुनौती, मदद की आस में भटक रहे पशुपालक

दर्जनों पशुपालक इन दिनों घर छोड़कर सड़क किनारे रह रहे हैं. उनका कहना है कि बाढ़ के पानी से गुजर कर चारे की व्यवस्था करनी पड़ती है. लेकिन वह भी नाकाफी साबित हो रहा है. ऐसे में पशुओं को भूखा रहना पड़ रहा है.

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Published : Jul 24, 2019, 11:52 AM IST

बाढ़ ने बढ़ाई परेशानी

दरभंगा: जिले में आई भीषण बाढ़ ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. प्रतिदिन नए इलाके बाढ़ की चपेट में आ रहे हैं. लोगों की मुसीबत खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. बाढ़ से सबसे ज्यादा परेशान यहां के पशुपालक हैं. गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश करते ही उनके मवेशी का चारा पूरी तरह बर्बाद हो गया है. लोग मवेशी के साथ ऊंचे स्थान पर या फिर सड़क के किनारे खुले आसमान के नीचे अपना आशियाना बनाकर रह रहे हैं.

एक तरफ बाढ़ ने जहां लोगों का जीना मुहाल कर दिया है, वहीं पशुओं की भी हालत दिन-ब-दिन दयनीय होती जा रही है. बाढ़ में सबसे अधिक पशु चारा की किल्लत हुई है. पशुपालक किसी तरह पशुओं को जिंदा रखने का प्रयास कर रहे हैं. मवेशियों के लिए चारा इकट्ठा करने में काफी परेशानी हो रही है. इंसान तो किसी प्रकार अपना पेट भर लेते हैं, लेकिन यह बेजुबान पशु अपना दर्द किसको सुनाएं.

पशु चारा के लिए भटक रहे पशुपालक
दर्जनों पशुपालक इन दिनों घर छोड़कर सड़क किनारे रह रहे हैं. खुले आसमान के नीचे तंबू लगाकर लोगों ने पशुओं को रखा है. पशुपालकों का कहना है कि बाढ़ के पानी से गुजर कर चारे की व्यवस्था करनी पड़ती है. लेकिन वह भी नाकाफी साबित हो रहा है. ऐसे में पशुओं को भूखा रहना पड़ रहा है.

बाढ़ ने पशुपालकों का परेशानी बढ़ा दी है.

सरकार की ओर से कोई मदद नहीं
उन्होंने कहा कि घर में जो भूसा रखा था वो भी पानी में बह गया. किसी तरह पशु को लेकर घर से बाहर आ गए हैं. अब उनके लिए चारा लाना बड़ी समस्या है. दुकानदारों ने भी चारे की कीमत बढ़ी दी है. ऐसे में जो लोग गरीब हैं उनके लिए चारा खरीदना संभव नहीं है. सरकार की ओर से भी किसी प्रकार की कोई मदद नहीं की जा रही है.

क्या कहते हैं उप विकास आयुक्त
मामले पर उप विकास आयुक्त कारी प्रसाद का कहना है कि बाढ़ पीड़ितों के लिए प्रत्येक प्रखंड में समुदायिक किचेन चलाया जा रहा है. जहां पशुपालक एकत्रित हैं, वहां पशु चारा और चिकित्सा, दोनों की व्यवस्था की जा रही है. अभी तक पूर्वी क्षेत्र के घनश्यामपुर, तारडीह, मनीगाछी प्रखंड में ये सुविधा दी जा रही है. अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि जहां भी पशुपालक हैं, वहां जल्द से जल्द पशुचारा और चिकित्सा व्यवस्था बहाल की जाये.

दरभंगा: जिले में आई भीषण बाढ़ ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. प्रतिदिन नए इलाके बाढ़ की चपेट में आ रहे हैं. लोगों की मुसीबत खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. बाढ़ से सबसे ज्यादा परेशान यहां के पशुपालक हैं. गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश करते ही उनके मवेशी का चारा पूरी तरह बर्बाद हो गया है. लोग मवेशी के साथ ऊंचे स्थान पर या फिर सड़क के किनारे खुले आसमान के नीचे अपना आशियाना बनाकर रह रहे हैं.

एक तरफ बाढ़ ने जहां लोगों का जीना मुहाल कर दिया है, वहीं पशुओं की भी हालत दिन-ब-दिन दयनीय होती जा रही है. बाढ़ में सबसे अधिक पशु चारा की किल्लत हुई है. पशुपालक किसी तरह पशुओं को जिंदा रखने का प्रयास कर रहे हैं. मवेशियों के लिए चारा इकट्ठा करने में काफी परेशानी हो रही है. इंसान तो किसी प्रकार अपना पेट भर लेते हैं, लेकिन यह बेजुबान पशु अपना दर्द किसको सुनाएं.

पशु चारा के लिए भटक रहे पशुपालक
दर्जनों पशुपालक इन दिनों घर छोड़कर सड़क किनारे रह रहे हैं. खुले आसमान के नीचे तंबू लगाकर लोगों ने पशुओं को रखा है. पशुपालकों का कहना है कि बाढ़ के पानी से गुजर कर चारे की व्यवस्था करनी पड़ती है. लेकिन वह भी नाकाफी साबित हो रहा है. ऐसे में पशुओं को भूखा रहना पड़ रहा है.

बाढ़ ने पशुपालकों का परेशानी बढ़ा दी है.

सरकार की ओर से कोई मदद नहीं
उन्होंने कहा कि घर में जो भूसा रखा था वो भी पानी में बह गया. किसी तरह पशु को लेकर घर से बाहर आ गए हैं. अब उनके लिए चारा लाना बड़ी समस्या है. दुकानदारों ने भी चारे की कीमत बढ़ी दी है. ऐसे में जो लोग गरीब हैं उनके लिए चारा खरीदना संभव नहीं है. सरकार की ओर से भी किसी प्रकार की कोई मदद नहीं की जा रही है.

क्या कहते हैं उप विकास आयुक्त
मामले पर उप विकास आयुक्त कारी प्रसाद का कहना है कि बाढ़ पीड़ितों के लिए प्रत्येक प्रखंड में समुदायिक किचेन चलाया जा रहा है. जहां पशुपालक एकत्रित हैं, वहां पशु चारा और चिकित्सा, दोनों की व्यवस्था की जा रही है. अभी तक पूर्वी क्षेत्र के घनश्यामपुर, तारडीह, मनीगाछी प्रखंड में ये सुविधा दी जा रही है. अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि जहां भी पशुपालक हैं, वहां जल्द से जल्द पशुचारा और चिकित्सा व्यवस्था बहाल की जाये.

Intro:दरभंगा जिला में आई भीषण बाढ़ ने अपना कहर दिखाते हुए नित्य दिन नए इलाकों को अपने आगोश में ले रहा है। जिसके चलते लोगों को आए दिन नए-नए समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस बाढ़ की पानी से सबसे ज्यादा परेशान यहां के पशुपालक हो रहे हैं। क्योंकि गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश करते ही उनके मवेशी का चारा पूरी तरह बर्बाद हो गया है। ये लोग किसी प्रकार अपनी जान बचाते हुए मवेशी के साथ ऊंचे स्थान पर या फिर सड़क के किनारे खुले आसमान के नीचे अपना आशियाना बना कर रहे हैं। इंसान तो किसी प्रकार व्यवस्था कर अपना पेट भर लेते हैं, लेकिन यह बेजुबान पशु अपना दर्द किसको सुनाएं।


Body:दरअसल बाढ़ में जहां लोगों के जीवन को तार-तार कर दिया है। वहीं पशुओं की हालत दयनीय होती जा रही है। पशुपालक किसी तरह पशुओं को जिंदा रखने का प्रयास कर रहे हैं। बाढ़ में सबसे अधिक पशु चारा की किल्लत हुई है। क्योकि खेतों में लगी फसल बाढ़ के पानी में ने लील लिया है। जिससे पशुपालकों को चारा के लिए परेशानी झेलनी पड़ रही है। दर्जनों पशुपालक इन दिनों घर छोड़कर सड़क किनारे या फिर उसी स्थान पर खुले आसमान के नीचे पॉलिथीन के सहारे पशुओं के साथ जीवन जी रहे हैं।आलम यह है कि किसी तरह अपने लिए तो कमोबेश खाने का के लिए कुछ उपलब्ध हो जाता है। लेकिन पशुओं के लिए चारा कहां से लाएं यह मुश्किल साबित हो रहा है।


Conclusion:वहीं पशुपालकों का कहना है कि दूर पानी से गुजरते हुए जाकर चारा की व्यवस्था करना पड़ता है। लेकिन वह नाकाफी साबित हो रहा है, पशुओं को भूखा रहना पड़ रहा है। वहीं उन्होंने कहा कि घर में जो भूसा रखा था, वह डूब गया। किसी तरह पशु को लेकर घर से बाहर आ गए, अब उनके लिए चारा लाना समस्या है। साथ ही उन्होंने कहा कि सवेरे हम लोग चारा की खोज में निकलते हैं, पर दिन में थोड़ा बहुत चारा मिलता है, वही अपनी पशुओं को खिला रहे हैं सरकार द्वारा अभी तक चला की व्यवस्था नहीं की गई है।

वहीं उप विकास आयुक्त कारी प्रसाद ने कहा कि प्रत्येक प्रखंड में जहां हमारा समुदायिक कीचेन चल रहा है तथा जहां जहां पशुपालक लोग एकत्र हैं वहां पर पशु चारा और चिकित्सा दोनों की व्यवस्था की जा रही है। अभी तक तो पूर्वी क्षेत्रों में जो घनश्यामपुर, तारडीह, मनीगाछी प्रखंड है इन सभी क्षेत्रों में शुरू हुआ है। वही उन्होंने कहा कि पश्चिम के प्रखंड में दो-तीन दिनों से बाढ़ का पानी फैल रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि इधर के भी अधिकारी को निर्देश दिया गया है कि जहां जहां पशुपालक है वहां जल्द से जल्द पशुचारा और चिकित्सा व्यवस्था की व्यवस्था बहाल की जाये।

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कौशल्या देवी, पशुपालक
त्रिवेणी पासवान, पशुपालक
कारी प्रसाद, उप विकास आयुक्त दरभंगा
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