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जननायक को आदर्श मानते हैं सभी नेता फिर क्यों उपेक्षित है उनकी विरासत को संजोए ये संग्रहालय

बिहार की राजनीति में पिछड़े समाज से आने वाले एक व्यक्ति ने अपने ईमानदार छवि होने के कारण राज्य से निकलकर राष्ट्रीय पटल पर जननायक का दर्जा हासिल किया.

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Published : Jun 13, 2019, 3:34 AM IST

पटनाः बिहार के पक्ष और विपक्ष के नेता जननायक कर्पूरी ठाकुर को भले ही अपना आदर्श बताते हों. लेकिन उनकी याद में बनाया गया संग्रहालय की जिम्मेदारी लेने को शायद ही कोई पार्टी तैयार है.

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यादें

बिहार की राजनीति में पिछड़े समाज से आने वाले एक व्यक्ति ने अपने ईमानदार छवि होने के कारण राज्य से निकलकर राष्ट्रीय पटल पर जननायक का दर्जा हासिल किया. उनकी छोटी बड़ी निशानियों और धरोहरों को संजोएं पटना के वीवीआइपी इलाके देश रत्न मार्ग में बनाया गया कर्पूरी स्मृति संग्रहालय पूरी तरह से उपेक्षित है.

खास है जननायक का संग्रहालय
कर्पूरी स्मृति संग्रहालय में जननायक कर्पूरी ठाकुर के कपड़े कुर्ता, धोती, स्वेटर और उनका इस्तेमाल किया गया चश्मा, घड़ी, पेन और चाबी के गुच्छे भी सहेज कर रखे गए हैं. तो वहीं कई फोटो गैलरी भी हैं जहां उनके राजनैतिक जीवन से लेकर परिवारिक जीवन तक की तस्वीरे लगाई गई हैं.
संग्रहालय में समस्तीपुर गोली कांड और पटना में हुए बॉबी हत्याकांड के खिलाफ तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ सदन में लगाए गए अविश्वास प्रस्ताव के उस पत्र को भी गैलरी में लगाये गया है.

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म्यूजियम में रखी दुर्लभ फोटो

पर्यटकों की कमी
राज्य और देश में ईमानदारी के प्रतीक बने समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर के इस स्मृति संग्रहालय में पर्यटकों की सूची न के बराबर है. संग्रहालय में रखे गए विजिटर रजिस्टर के आधार पर पिछले चार महीनों में यहां आने वालों का आंकड़ा सौ भी पार नहीं कर पाया.

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फोटो

क्या कहते हैं संग्रहालयध्यक्ष
संग्रहालय के अध्यक्ष सुनील कुमार चुन्नी भी मानते हैं कि यहां आने वालों की संख्या कम है. इसका कारण बेहतर तरीके से प्रचार प्रसार का नहीं होना है. सुनील कुमार चुन्नी का दावा है कि जल्द ही पर्यटन विभाग से मिलकर इसको डेवलप किया जाएगा. ताकि जननायक की इस विरासत को लेकर लोगों का झुकाव बढ़े. साथ ही यहां जो कमियां है विभाग की ओर से उन्हें दूर करने का काम किया जा रहा है.

संग्रहालय की अनदेखी

कैसे बचे ये विरासत
बहरहाल राज्य में तीन दशक से कर्पूरी ठाकुर के शिष्य रहे लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान और सुशील मोदी सत्ता के शिर्ष पर बने है. लेकिन कर्पूरी के सपने आज भी अधूरे ही हैं. हर साल जननायक की जयंती पर राजनेता खुद को उनका वारिस तो घोषित करते हैं लेकिन उनकी विरासत को सहेजने की जिम्मेदारी नहीं लेते.

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कर्पुरी ठाकुर के कपड़े

पटनाः बिहार के पक्ष और विपक्ष के नेता जननायक कर्पूरी ठाकुर को भले ही अपना आदर्श बताते हों. लेकिन उनकी याद में बनाया गया संग्रहालय की जिम्मेदारी लेने को शायद ही कोई पार्टी तैयार है.

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यादें

बिहार की राजनीति में पिछड़े समाज से आने वाले एक व्यक्ति ने अपने ईमानदार छवि होने के कारण राज्य से निकलकर राष्ट्रीय पटल पर जननायक का दर्जा हासिल किया. उनकी छोटी बड़ी निशानियों और धरोहरों को संजोएं पटना के वीवीआइपी इलाके देश रत्न मार्ग में बनाया गया कर्पूरी स्मृति संग्रहालय पूरी तरह से उपेक्षित है.

खास है जननायक का संग्रहालय
कर्पूरी स्मृति संग्रहालय में जननायक कर्पूरी ठाकुर के कपड़े कुर्ता, धोती, स्वेटर और उनका इस्तेमाल किया गया चश्मा, घड़ी, पेन और चाबी के गुच्छे भी सहेज कर रखे गए हैं. तो वहीं कई फोटो गैलरी भी हैं जहां उनके राजनैतिक जीवन से लेकर परिवारिक जीवन तक की तस्वीरे लगाई गई हैं.
संग्रहालय में समस्तीपुर गोली कांड और पटना में हुए बॉबी हत्याकांड के खिलाफ तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ सदन में लगाए गए अविश्वास प्रस्ताव के उस पत्र को भी गैलरी में लगाये गया है.

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म्यूजियम में रखी दुर्लभ फोटो

पर्यटकों की कमी
राज्य और देश में ईमानदारी के प्रतीक बने समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर के इस स्मृति संग्रहालय में पर्यटकों की सूची न के बराबर है. संग्रहालय में रखे गए विजिटर रजिस्टर के आधार पर पिछले चार महीनों में यहां आने वालों का आंकड़ा सौ भी पार नहीं कर पाया.

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फोटो

क्या कहते हैं संग्रहालयध्यक्ष
संग्रहालय के अध्यक्ष सुनील कुमार चुन्नी भी मानते हैं कि यहां आने वालों की संख्या कम है. इसका कारण बेहतर तरीके से प्रचार प्रसार का नहीं होना है. सुनील कुमार चुन्नी का दावा है कि जल्द ही पर्यटन विभाग से मिलकर इसको डेवलप किया जाएगा. ताकि जननायक की इस विरासत को लेकर लोगों का झुकाव बढ़े. साथ ही यहां जो कमियां है विभाग की ओर से उन्हें दूर करने का काम किया जा रहा है.

संग्रहालय की अनदेखी

कैसे बचे ये विरासत
बहरहाल राज्य में तीन दशक से कर्पूरी ठाकुर के शिष्य रहे लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान और सुशील मोदी सत्ता के शिर्ष पर बने है. लेकिन कर्पूरी के सपने आज भी अधूरे ही हैं. हर साल जननायक की जयंती पर राजनेता खुद को उनका वारिस तो घोषित करते हैं लेकिन उनकी विरासत को सहेजने की जिम्मेदारी नहीं लेते.

patna
कर्पुरी ठाकुर के कपड़े
Intro:बिहार के पक्ष और विपक्ष के नेता कर्पूरी ठाकुर को भले ही अपना आदर्श बताते हो...वही उनके अधूरे सपनो की तरह ही उनके याद में बनाया गया स्मृति संग्रहालय भी है..लेकिन कोई कुछ नही कहता है..सब चुप रहते है।


Body:बिहार की राजनित में पिछड़े समाज से आने वाला एक व्यक्ति ने अपने ईमानदार छवि होने के कारण राज्य से निकलकर राष्ट्रीय पटल पर स्थापित होने वाले जननायक कर्पूरी ठाकुर की याद में पटना के वीवीआइपी इलाके देश रत्न मार्ग में बनाया गया संग्रहालय पूरी तरह से उपेक्षित है...इस संग्रहालय में संग्रहालयध्यक्ष,एक किरानी और एक चपरासी सहित दो संविदा कर्मियों के भरोसे पूरा संग्रहालय का काम चलाया जाता है।

कर्पूरी स्मृति संग्रहालय में जननायक कर्पूरी ठाकुर के कपड़े कुर्ता,धोती,स्वेटर और वंडी सहित उनका इस्तेमाल किया गया चश्मा,घड़ी,पेन और चाबी में गुच्छे भी सहेज कर रखा गया है..तो वही कई फोटो गैलरी भी है...जहां उनके राजनैतिक जीवन से लेकर परिवारिक जीवन तक कि तस्वीरे लगाई गई है...वही उन्होंने समस्तीपुर गोली कांड और पटना में हुए बॉबी हत्या कांड के खिलाफ तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ सदन में लगाए गए अविश्वास प्रस्ताव के उस पत्र को भी गैलरी में लगाये गए है।

राज्य और देश मे ईमानदारी के प्रतीक बने समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर के व्यक्तिव के बारे में जानने को लेकर लोगो की दिलचस्पी नही है..ऐसा हम नही कह रहे है..यह तो संग्रहालय में रखा विजिटर रजिस्टर बता रहा है....पिछले चार महीनो की बात करे तो यहां आने वालों का आंकड़ा सौ भी नही पहुँच पाया है।तो वही इस संग्रहालय के अध्यक्ष भी मानते है कि यहां आने वालों की संख्या कम होती है..इसका कारण बेहतर तरीके से प्रचार प्रसार का नही होना।


वही संग्रहालय के अध्यक्ष सुनील कुमार चुन्नी का दावा की जल्द ही पर्यटन विभाग मिलकर इसको डेवलप किया जाएगा..ताकि यहां को लेकर लोगो झुकाव बढ़े।साथ ही यहां जो कमियां है..उसे भी दूर करने का काम विभाग द्वारा किया जा रहा है।

बाईट----सुनील कुमार चुन्नी(संग्रहालयध्यक्ष, कर्पूरी स्मृति संग्रहालय)



Conclusion:बहरहाल राज्य में तीन दशक से कर्पूरी ठाकुर के शिष्य रहे लालू प्रसाद यादव,नीतीश कुमार ,रामविलास पासवान और सुशील मोदी सत्ता के शिर्ष पर बने है...लेकिन कर्पूरी के सपने आज भी अधूरे है।
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