ETV Bharat / state

संदेश: दुर्गा पूजा पंडाल में जाम छलकाता 'शराबी'.. लोगों में सेल्फी लेने की मची होड़ - दुर्गा पूजा पंडाल बक्सर

बक्सर में दुर्गा पूजा पंडाल के मुख्य द्वार पर एक आदमी की प्रतिमा लगाई गई है. इसमें वह हाथों में शराब लिए नजर आ रहा है. उसके सामने अस्थि कलश भी रखा है और लोगों में सेल्फी लेने की होड़ मची हुई है. पढ़ें पूरी खबर...

पूजा पंडाल में लगाई गई शराबी की प्रतिमा
पूजा पंडाल में लगाई गई शराबी की प्रतिमा
author img

By

Published : Oct 14, 2021, 8:35 AM IST

Updated : Oct 14, 2021, 8:41 AM IST

बक्सरः बिहार इन दिनों नवरात्रि (Navratri) के रंगों में रंगा हुआ है. हर तरफ दुर्गा पूजा की धूम है. हर साल की भांति इस साल भी अलग-अगल थीम पर दुर्गा पूजा पंडाल (Durga Puja Pandal) बनाए गए हैं, जहां पोस्टर और प्रतिमा के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है. बक्सर जिले के सदर प्रखंड के कुल्हड़िया गांव में दुर्गा पूजा समिति सदस्यों के द्वारा पंडाल के मुख्य गेट के सामने भी ऐसी ही एक प्रतिमा बनाकर लोगों को खास संदेश दिया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- दुर्गा पूजा पंडालों में भारी भीड़ के बीच तस्वीरें चिंताजनक, कोरोना गाइडलाइन का नहीं हो रहा पालन

दरअसल, पूजा पंडाल के मुख्य गेट के सामने एक शराबी की प्रतिमा बनायी गई है. उसके एक हाथ में शराब की एक बोतल और दूसरे हाथ में शराब भरी ग्लास है. वहीं, ठीक उसके सामने कफन में लपेटकर एक अस्थि कलश रखा गया है. इसके माध्यम से शराब सेवन से मौत का संदेश दिया गया है. पंडाल के बाहर लगी यह प्रतिमा लोगों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है. दुर्गा पूजा पंडाल में घूमने वाले लोग एक बार इस प्रतिमा के साथ सेल्फी भी जरूर ले रहे हैं.

दरअसल, सूबे में शराबबंदी कानून लागू है. साल 2016 के अप्रैल महीने में यह कानून लागू हुआ. बिहार में इस मकसद से शराबबंदी को लागू किया गया कि इससे पारिवारिक कलह, घरेलू हिंसा, शोषण और गरीबी जैसी समस्याओं से निजात मिल सकेगी. लेकिन, बिडंवना है कि शराबबंदी होने के बाद भी सूबे में शराब के मामले लगातार मिल रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- CM नीतीश कुमार ने पटना के विभिन्न पंडालों में जाकर की मां दुर्गा की आराधना

बीते 5 साल में 2 लाख से ज्यादा लोगों को शराबबंदी कानून का उल्लंघन करते हुए पकड़ा गया है. लेकिन बावजूद इसके कोई भी दिन ऐसा नहीं बीतता है, जिस दिन राज्य के किसी ना किसी कोने से शराब की बरामदगी और शराबबंदी कानून उल्लंघन की खबरें सुर्खियां ना बनती हों.

दरअसल, सूबे के मुखिया नीतीश कुमार की पहल पर ही पंचायत स्तर तक शराब की दुकानें खोली गई थी. यही वजह रही कि 2005 से 2015 के बीच बिहार में शराब दुकानों की संख्या दोगुनी हो गई. शराबबंदी से पहले बिहार में शराब की लगभग 6 हजार दुकानें थीं और सरकार को इससे करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपये का राजस्व आता था. लेकिन 1 अप्रैल, 2016 को बिहार गुजरात, नागालैंड और मिजोरम के बाद देश का ऐसा चौथा राज्य बन गया, जहां शराब के सेवन और जमा करने पर प्रतिबंध लग गया.

इसे भी पढें-आज मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की हो रही है पूजा, मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

बक्सर के दुर्गा पूजा पंडाल में शराब की बोतल को हाथ में लिए आदमी (मूर्ति) न केवल इंसान के लिए शराब के हानिकारक होने को बता रहा है, बल्कि सूबे में शराबबंदी की हकीकत और सच्चाई भी बयां कर रहा है. एक नजर में बिहार में शराबबंदी कानून की सफलता और विफलता को बताने के लिए काफी है.

बक्सरः बिहार इन दिनों नवरात्रि (Navratri) के रंगों में रंगा हुआ है. हर तरफ दुर्गा पूजा की धूम है. हर साल की भांति इस साल भी अलग-अगल थीम पर दुर्गा पूजा पंडाल (Durga Puja Pandal) बनाए गए हैं, जहां पोस्टर और प्रतिमा के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है. बक्सर जिले के सदर प्रखंड के कुल्हड़िया गांव में दुर्गा पूजा समिति सदस्यों के द्वारा पंडाल के मुख्य गेट के सामने भी ऐसी ही एक प्रतिमा बनाकर लोगों को खास संदेश दिया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- दुर्गा पूजा पंडालों में भारी भीड़ के बीच तस्वीरें चिंताजनक, कोरोना गाइडलाइन का नहीं हो रहा पालन

दरअसल, पूजा पंडाल के मुख्य गेट के सामने एक शराबी की प्रतिमा बनायी गई है. उसके एक हाथ में शराब की एक बोतल और दूसरे हाथ में शराब भरी ग्लास है. वहीं, ठीक उसके सामने कफन में लपेटकर एक अस्थि कलश रखा गया है. इसके माध्यम से शराब सेवन से मौत का संदेश दिया गया है. पंडाल के बाहर लगी यह प्रतिमा लोगों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है. दुर्गा पूजा पंडाल में घूमने वाले लोग एक बार इस प्रतिमा के साथ सेल्फी भी जरूर ले रहे हैं.

दरअसल, सूबे में शराबबंदी कानून लागू है. साल 2016 के अप्रैल महीने में यह कानून लागू हुआ. बिहार में इस मकसद से शराबबंदी को लागू किया गया कि इससे पारिवारिक कलह, घरेलू हिंसा, शोषण और गरीबी जैसी समस्याओं से निजात मिल सकेगी. लेकिन, बिडंवना है कि शराबबंदी होने के बाद भी सूबे में शराब के मामले लगातार मिल रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- CM नीतीश कुमार ने पटना के विभिन्न पंडालों में जाकर की मां दुर्गा की आराधना

बीते 5 साल में 2 लाख से ज्यादा लोगों को शराबबंदी कानून का उल्लंघन करते हुए पकड़ा गया है. लेकिन बावजूद इसके कोई भी दिन ऐसा नहीं बीतता है, जिस दिन राज्य के किसी ना किसी कोने से शराब की बरामदगी और शराबबंदी कानून उल्लंघन की खबरें सुर्खियां ना बनती हों.

दरअसल, सूबे के मुखिया नीतीश कुमार की पहल पर ही पंचायत स्तर तक शराब की दुकानें खोली गई थी. यही वजह रही कि 2005 से 2015 के बीच बिहार में शराब दुकानों की संख्या दोगुनी हो गई. शराबबंदी से पहले बिहार में शराब की लगभग 6 हजार दुकानें थीं और सरकार को इससे करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपये का राजस्व आता था. लेकिन 1 अप्रैल, 2016 को बिहार गुजरात, नागालैंड और मिजोरम के बाद देश का ऐसा चौथा राज्य बन गया, जहां शराब के सेवन और जमा करने पर प्रतिबंध लग गया.

इसे भी पढें-आज मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की हो रही है पूजा, मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

बक्सर के दुर्गा पूजा पंडाल में शराब की बोतल को हाथ में लिए आदमी (मूर्ति) न केवल इंसान के लिए शराब के हानिकारक होने को बता रहा है, बल्कि सूबे में शराबबंदी की हकीकत और सच्चाई भी बयां कर रहा है. एक नजर में बिहार में शराबबंदी कानून की सफलता और विफलता को बताने के लिए काफी है.

Last Updated : Oct 14, 2021, 8:41 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.