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बक्सर नगर परिषद की अनदेखी, कूड़े के ढेर में तब्दील हुई विश्वामित्र की पावन नगरी - स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट

बक्सर में जीवनदायिनी गंगा नदी से महज 50 मीटर की दूरी पर नगर परिषद ने कूड़ा डंपिंग यार्ड बना दिया है. जिस कारण नगरवासियों का जीना दूभर हो गया है.

कूड़े का अंबार
कूड़े का अंबार
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Published : Sep 6, 2020, 1:13 PM IST

बक्सर: भारत सरकार का स्वच्छ भारत अभियान और बिहार सरकार की लोहिया स्वच्छता मिशन योजना बक्सर को स्वच्छ रखने में नाकाफी साबित हो रही है. शहर के पीपरपाती रोड, स्टेशन रोड, सत्यदेव मिल रोड, मुनीब चौक, जमुना चौक, सिंडिकेट नहर, बाईपास समेत शहर के सभी क्षेत्र में कूड़े का ढेर सड़कों पर जमा है. साफ-सफाई के नाम पर प्रत्येक दिन नगर परिषद के कर्मचारी सड़कों पर निकलते हैं. इसके बावजूद भी शहर से कूड़ा उठाव नहीं हो पा रहा है.

नगर परिषद एरिया की साफ-सफाई पर प्रत्येक माह नगर परिषद के अधिकारियों की ओर से 34 लाख ये खर्च किए जाते हैं. उसके बाद भी स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट में बक्सर देश का दूसरा सबसे गंदा शहर आता है. नगरवासी कई बार इसको लेकर वरीय अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं, बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती है.

नमामि गंगे योजना की उड़ रही धज्जियां
नमामि गंगे योजना की शुरुआत में ही यह गाइडलाइन जारी की गई थी कि किसी भी शहर या गांव में गंगा नदी से 1 किलोमीटर की दूरी पर कूड़ा डंपिंग यार्ड नहीं बनेगा. उसके बाद भी नगर परिषद के अधिकारियों की मनमानी कायम है. बक्सर को पहचा दिलाने वाले नाथ बाबा मंदिर से 40 मीटर दूर और गंगा नदी से मात्र 50 मीटर दूर शहर के सबसे पॉश इलाके में किला मैदान के पास कूड़ा डंपिंग यार्ड बना दिया गया.

रिहायशी इलाके में फैली गंदगी
रिहायशी इलाके में फैली गंदगी

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस मैदान से किया था संबोधन
आजादी की लड़ाई के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कई बार इस किले के मैदान से बक्सर वासियों को संबोधित करते हुए स्वच्छता का संदेश दिया था. उसके बाद भी नगर परिषद के अधिकारियों ने इस ऐतिहासिक किले के मैदान के पास कूड़ा डंपिंग यार्ड बना दिया. सदर डीएसपी, उप विकास आयुक्त का आवास होने के साथ ही साथ जिला अतिथि गृह, कई न्यायिक अधिकारियों के घर, जल संसाधन विभाग का कार्यालय और जिले का एकलौता खेल का मैदान भी है.

क्या कहते हैं नगर प्रबंधक
मामले पर सफाई देते हुए नगर प्रबंधक असगर अली ने कहा कि अब तक जिला प्रशासन के अधिकारियों को जमीन उपलब्ध कराने के लिए सैकड़ों पत्र भेजा गया है लेकिन कोई जवाब नहीं मिला है. जिला प्रशासन ने जमीन उपलब्ध नहीं कराई तो हम कूड़ा कहां फेकेंगे. जिस दिन हमें कूड़ा फेंकने की जगह मिल गई उस दिन बक्सर स्वच्छ शहरों की सूची में सबसे ऊपर होगा.

सभी को लेनी होगी जिम्मेदारी- विधायक
वहीं शहर में फैली गंदगी को लेकर जब सदर कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि अधिकारियों के साथ-साथ हम सभी को जिम्मेदारी लेनी होगी. एक व्यक्ति या संस्था के चाहने से कुछ नहीं होगा. बता दें कि केंद्रीय आवास एवं शहरी मंत्रालय की ओर से जारी किए गए स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट में बक्सर को देश का दूसरा सबसे गंदा शहर बताया गया है.

बक्सर: भारत सरकार का स्वच्छ भारत अभियान और बिहार सरकार की लोहिया स्वच्छता मिशन योजना बक्सर को स्वच्छ रखने में नाकाफी साबित हो रही है. शहर के पीपरपाती रोड, स्टेशन रोड, सत्यदेव मिल रोड, मुनीब चौक, जमुना चौक, सिंडिकेट नहर, बाईपास समेत शहर के सभी क्षेत्र में कूड़े का ढेर सड़कों पर जमा है. साफ-सफाई के नाम पर प्रत्येक दिन नगर परिषद के कर्मचारी सड़कों पर निकलते हैं. इसके बावजूद भी शहर से कूड़ा उठाव नहीं हो पा रहा है.

नगर परिषद एरिया की साफ-सफाई पर प्रत्येक माह नगर परिषद के अधिकारियों की ओर से 34 लाख ये खर्च किए जाते हैं. उसके बाद भी स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट में बक्सर देश का दूसरा सबसे गंदा शहर आता है. नगरवासी कई बार इसको लेकर वरीय अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं, बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती है.

नमामि गंगे योजना की उड़ रही धज्जियां
नमामि गंगे योजना की शुरुआत में ही यह गाइडलाइन जारी की गई थी कि किसी भी शहर या गांव में गंगा नदी से 1 किलोमीटर की दूरी पर कूड़ा डंपिंग यार्ड नहीं बनेगा. उसके बाद भी नगर परिषद के अधिकारियों की मनमानी कायम है. बक्सर को पहचा दिलाने वाले नाथ बाबा मंदिर से 40 मीटर दूर और गंगा नदी से मात्र 50 मीटर दूर शहर के सबसे पॉश इलाके में किला मैदान के पास कूड़ा डंपिंग यार्ड बना दिया गया.

रिहायशी इलाके में फैली गंदगी
रिहायशी इलाके में फैली गंदगी

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस मैदान से किया था संबोधन
आजादी की लड़ाई के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कई बार इस किले के मैदान से बक्सर वासियों को संबोधित करते हुए स्वच्छता का संदेश दिया था. उसके बाद भी नगर परिषद के अधिकारियों ने इस ऐतिहासिक किले के मैदान के पास कूड़ा डंपिंग यार्ड बना दिया. सदर डीएसपी, उप विकास आयुक्त का आवास होने के साथ ही साथ जिला अतिथि गृह, कई न्यायिक अधिकारियों के घर, जल संसाधन विभाग का कार्यालय और जिले का एकलौता खेल का मैदान भी है.

क्या कहते हैं नगर प्रबंधक
मामले पर सफाई देते हुए नगर प्रबंधक असगर अली ने कहा कि अब तक जिला प्रशासन के अधिकारियों को जमीन उपलब्ध कराने के लिए सैकड़ों पत्र भेजा गया है लेकिन कोई जवाब नहीं मिला है. जिला प्रशासन ने जमीन उपलब्ध नहीं कराई तो हम कूड़ा कहां फेकेंगे. जिस दिन हमें कूड़ा फेंकने की जगह मिल गई उस दिन बक्सर स्वच्छ शहरों की सूची में सबसे ऊपर होगा.

सभी को लेनी होगी जिम्मेदारी- विधायक
वहीं शहर में फैली गंदगी को लेकर जब सदर कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि अधिकारियों के साथ-साथ हम सभी को जिम्मेदारी लेनी होगी. एक व्यक्ति या संस्था के चाहने से कुछ नहीं होगा. बता दें कि केंद्रीय आवास एवं शहरी मंत्रालय की ओर से जारी किए गए स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट में बक्सर को देश का दूसरा सबसे गंदा शहर बताया गया है.

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