ETV Bharat / state

पंचकोसी परिक्रमा यात्रा के चौथे दिन उद्दालक ऋषि के आश्रम छोटका उन्नाव पहुंचा श्रद्धालुओं का जत्था

बक्सर में 24 नवंबर से शुरू हुई पंचकोसी परिक्रमा यात्रा (Panchkosi Parikrama Yatra) के श्रद्धालुओं का जत्था शनिवार को उद्दालक ऋषि के आश्रम छोटका उन्नाव पहुंचा. जहां पूजा-पाठ के बाद यात्रा के अंतिम पड़ाव में भाग लेने के लिए चरित्रवन बक्सर पहुंच गए. जहां 28 नवम्बर को उत्तरायणी गंगा में स्नान कर लिट्टी चोखा का भोग लगाने के साथ यात्रा का समापन होगा.

Panchkosi Parikrama Yatra in buxar
पंचकोसी परिक्रमा यात्रा
author img

By

Published : Nov 27, 2021, 10:52 PM IST

बक्सर: अगहन मास के पंचमी से शुरू हुए विश्व प्रसिद्ध पांच दिवसीय पंचकोसी परिक्रमा यात्रा (World Famous Panchkosi Parikrama) के चौथे पड़ाव में श्रद्धालुओं का जत्था शनिवार को उद्दालक ऋषि के आश्रम छोटका उन्नाव पहुंचा. जहां उद्दालक सरोवर में आस्था की डुबकी लगायी और मंदिर में परिक्रमा कर खिचड़ी का भोग लगाने के साथ ही इस यात्रा के अंतिम पड़ाव में भाग लेने के लिए चरित्रवन बक्सर पहुंच गए. जहां रविवार को उत्तरायणी गंगा में स्नान करने के साथ ही लिट्टी-चोखा का भोग लगाएंगे. जहां 28 नवम्बर को उत्तरायणी गंगा में स्नान कर लिट्टी चोखा का भोग लगाने के साथ यात्रा का समापन होगा.

ये भी पढ़ें- बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र: अपराध, जहरीली शराब और यूनिवर्सिटी करप्शन पर सरकार को घेरने की तैयारी में विपक्ष

24 नवंबर से 5 दिवसीय पंचकोसी परिक्रमा यात्रा ( Panchkosi Parikrama Yatra ) की शुरुआत माता अहिल्या के आश्रम अहिरौली से श्रद्धालुओं ने किया था. जहां उत्तरायणी गंगा में स्नान (Bathing in Uttarayani Ganga) करने के बाद श्रद्धालु अहिल्या माता की मंदिर में पूजा पाठ कर पुआ पकवान का भोग लगाए. हालांकि इस साल उत्तरायणी गंगा के तट से लेकर मंदिर परिसर के चारों तरफ कचरे का अंबार लगा हुआ था. जिससे श्रद्धालुओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जिला प्रशासन के द्वारा न तो साफ सफाई की व्यवस्था करायी गयी और न ही नगर परिषद के अधिकारियों ने इस पर संज्ञान लिया. जिससे नारद मुनि के आश्रम नदाव से लेकर भार्गव ऋषि के आश्रम भभुअर एवं उद्दालक ऋषि के आश्रम उन्नाव और सरोवर से लेकर मंदिर परिसर तक कचरे का अम्बार लगा हुआ है.

देखें रिपोर्ट

जिला मुख्यालय से मात्र 2 किलोमीटर दूर मुफस्सिल थाना क्षेत्र में स्थित इस गांव का नाम उद्दालक ऋषि के द्वारा उन्नाव रखा गया था. जो कालांतर में दो भागों में बंट गया. जहां उद्दालक आश्रम है. उसे छोटका उन्नाव के नाम से जाना जाता है. इस गांव के रहने वाले लोगों की माने तो बसाव मठिया के महंत एवं कुछ राजनेताओं के द्वारा इस धार्मिक स्थल की पहचान मिटाकर, इस आश्रम को अंजना सरोवर पर स्थापित करने का षड्यंत्र किया जा रहा है. ग्रामीणों द्वारा लगाए गए इस आरोप को लेकर श्रद्धालुओ के जत्थे का नेतृत्व कर रहे गंगापुत्र लक्ष्मी नारायण जी महाराज से पूछा गया तो उन्होंने भी यह स्वीकार करते हुए कहा कि जहां उद्दालक सरोवर स्थित है. वहीं, भगवान राम अपने भ्राता लक्ष्मण एवं महर्षि विश्वामित्र के साथ पहुंचे थे. जिसका वर्णन वराह पुराण में है. जिसमें कहा गया है कि जब पूरे सृष्टि का विनाश होगा. उस समय भी 20 कोस में फैले इस सिद्धाश्रम का विनाश नहीं होगा. इस भूमि की वायु भी जिस प्राणी के शरीर को छुकर जाती है. उसके समस्त पापों का नाश हो जाता है.

बता दें कि विश्व प्रसिद्ध इस यात्रा को लेकर जिला प्रशासन की तैयारी नगण्य है. उद्दालक ऋषि सरोवर में चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. विश्व प्रसिद्ध इस सरोवर में न तो श्रद्धालुओं के स्नान करने के लिए कहीं घाट बनाया गया है और न ही साफ-सफाई की व्यवस्था है. चुनाव के समय सांसद, विधायक आकर बड़े-बड़े वादे करते हैं और भूल जाते हैं.

पूर्व मुखिया जेपी राम ने बताया कि यहां पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है. मुखिया फंड से हमने इसे बेहतर बनाने का प्रयास किया है, लेकिन वह ऊंट के मुह में जीरा के समान है. वहीं, ग्रामीणों ने बताया कि बसाओ मठिया के महंत के द्वारा साजिश के तहत इस आश्रम को कहीं और स्थापित करने की कोशिश की जा रही है. यहां पर साफ-सफाई की व्यवस्था नहीं है. जिससे श्रद्धालु खुद परेशान होकर यहां आना छोड़ दें. कई बार जिला अधिकारी से इस बात की लिखित शिकायत किया गया उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.

कागजों में राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन हरियाली में 61.11% अंक लाकर बक्सर पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है. जबकि सार्वजनिक जल संचयन संरचनाओं को चिह्निंत कर उसे अतिक्रमण मुक्त कराने में बक्सर के अधिकारी पूरे प्रदेश में दूसरे स्थान पर है, लेकिन हैरानी की बात है कि प्रशासनिक अधिकारियों के नाक के नीचे बाईपास नहर, से लेकर ठोरा नदी में खुद नगर परिषद के अधिकारी कूड़ा डंप करा रहे हैं. शहर के बीचोंबीच बसाव मठिया के पास सरकारी तालाब नहीं है. अंग्रेज कब्रिस्तान के पास सरकारी पोखरे पर विधायक एवं अन्य राजनेताओं ने बड़ी-बड़ी इमारत खड़ा कर लिया है. जिसे खाली कराना तो दूर प्रशासनिक अधिकारी नोटिस भेजने की हिम्मत भी नही जुटा पाते. इसके बाद यह दावा किया जा रहा है कि सरकार की शत प्रतिशत योजनाओं को जमीन पर उतार दिया गया है. यही कारण है कि दबंग धीरे-धीरे मठ मंदिर के जमीन पर कब्जा करते जा रहे हैं और प्रशासनिक अधिकारी गरीबों की झोपड़ी उजाड़कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं.

पंचकोसी परिक्रमा यात्रा को लेकर कहा जाता है कि त्रेता युग में भगवान राम (Lord Rama in Treta Yuga) अपने भ्राता लक्ष्मण और ऋषि विश्वामित्र के साथ बक्सर पधारे थे. उस समय बक्सर में ताड़का, सुबाहू, मारीच आदि राक्षसों का आतंक था. इन राक्षसों का वध कर भगवान राम ने ऋषि विश्वामित्र से यहां शिक्षा ग्रहण की थी. ताड़का राक्षसी का वध करने के बाद भगवान राम ने नारी हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए अपने भ्राता लक्ष्मण और ऋषि विश्वामित्र के साथ पंचकोसी की यात्रा प्रारम्भ की. वह पंचकोसी यात्रा के पहले पड़ाव में गौतम ऋषि के आश्रम अहिरौली पहुंचे. जहां पत्थर रूपी अहिल्या को अपने चरणों से स्पर्श कर उनका उद्धार किया और उत्तरायणी गंगा में स्नान कर पुआ पकवान खाया.

वहां से अपने इस यात्रा के दूसरे पड़ाव पड़ाव में नारद मुनि का आश्रम नदाव पहुंचे. जहां सरोवर में स्नान करने के बाद सत्तू और मूली का उन्होंने भोग लगाया. इसी तरह तीसरे पड़ाव में भार्गव ऋषि के आश्रम भभुअर, चौथे पड़ाव में उद्दालक ऋषि के आश्रम उनवास और यात्रा के पांचवे एवं अंतिम पड़ाव में चरित्र वन बक्सर में पहुंचकर उन्होंने लिट्टी चोखा का भोग लगाया. उस समय से ही लोग इस परंपरा का निर्वहन करते आए हैं. प्रत्येक साल अगहन महीने के पंचमी से इस यात्रा की शुरुआत होती है. जिसमें भाग लेने के लिए लाखों लोग बक्सर आते हैं.

ये भी पढ़ें- शीतकालीन सत्र में विपक्षी एकजुटता का दावा, बोली BJP- कांग्रेस बिहार में आरजेडी की पिछलग्गू बनने को तैयार

ऐसी ही विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

बक्सर: अगहन मास के पंचमी से शुरू हुए विश्व प्रसिद्ध पांच दिवसीय पंचकोसी परिक्रमा यात्रा (World Famous Panchkosi Parikrama) के चौथे पड़ाव में श्रद्धालुओं का जत्था शनिवार को उद्दालक ऋषि के आश्रम छोटका उन्नाव पहुंचा. जहां उद्दालक सरोवर में आस्था की डुबकी लगायी और मंदिर में परिक्रमा कर खिचड़ी का भोग लगाने के साथ ही इस यात्रा के अंतिम पड़ाव में भाग लेने के लिए चरित्रवन बक्सर पहुंच गए. जहां रविवार को उत्तरायणी गंगा में स्नान करने के साथ ही लिट्टी-चोखा का भोग लगाएंगे. जहां 28 नवम्बर को उत्तरायणी गंगा में स्नान कर लिट्टी चोखा का भोग लगाने के साथ यात्रा का समापन होगा.

ये भी पढ़ें- बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र: अपराध, जहरीली शराब और यूनिवर्सिटी करप्शन पर सरकार को घेरने की तैयारी में विपक्ष

24 नवंबर से 5 दिवसीय पंचकोसी परिक्रमा यात्रा ( Panchkosi Parikrama Yatra ) की शुरुआत माता अहिल्या के आश्रम अहिरौली से श्रद्धालुओं ने किया था. जहां उत्तरायणी गंगा में स्नान (Bathing in Uttarayani Ganga) करने के बाद श्रद्धालु अहिल्या माता की मंदिर में पूजा पाठ कर पुआ पकवान का भोग लगाए. हालांकि इस साल उत्तरायणी गंगा के तट से लेकर मंदिर परिसर के चारों तरफ कचरे का अंबार लगा हुआ था. जिससे श्रद्धालुओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जिला प्रशासन के द्वारा न तो साफ सफाई की व्यवस्था करायी गयी और न ही नगर परिषद के अधिकारियों ने इस पर संज्ञान लिया. जिससे नारद मुनि के आश्रम नदाव से लेकर भार्गव ऋषि के आश्रम भभुअर एवं उद्दालक ऋषि के आश्रम उन्नाव और सरोवर से लेकर मंदिर परिसर तक कचरे का अम्बार लगा हुआ है.

देखें रिपोर्ट

जिला मुख्यालय से मात्र 2 किलोमीटर दूर मुफस्सिल थाना क्षेत्र में स्थित इस गांव का नाम उद्दालक ऋषि के द्वारा उन्नाव रखा गया था. जो कालांतर में दो भागों में बंट गया. जहां उद्दालक आश्रम है. उसे छोटका उन्नाव के नाम से जाना जाता है. इस गांव के रहने वाले लोगों की माने तो बसाव मठिया के महंत एवं कुछ राजनेताओं के द्वारा इस धार्मिक स्थल की पहचान मिटाकर, इस आश्रम को अंजना सरोवर पर स्थापित करने का षड्यंत्र किया जा रहा है. ग्रामीणों द्वारा लगाए गए इस आरोप को लेकर श्रद्धालुओ के जत्थे का नेतृत्व कर रहे गंगापुत्र लक्ष्मी नारायण जी महाराज से पूछा गया तो उन्होंने भी यह स्वीकार करते हुए कहा कि जहां उद्दालक सरोवर स्थित है. वहीं, भगवान राम अपने भ्राता लक्ष्मण एवं महर्षि विश्वामित्र के साथ पहुंचे थे. जिसका वर्णन वराह पुराण में है. जिसमें कहा गया है कि जब पूरे सृष्टि का विनाश होगा. उस समय भी 20 कोस में फैले इस सिद्धाश्रम का विनाश नहीं होगा. इस भूमि की वायु भी जिस प्राणी के शरीर को छुकर जाती है. उसके समस्त पापों का नाश हो जाता है.

बता दें कि विश्व प्रसिद्ध इस यात्रा को लेकर जिला प्रशासन की तैयारी नगण्य है. उद्दालक ऋषि सरोवर में चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. विश्व प्रसिद्ध इस सरोवर में न तो श्रद्धालुओं के स्नान करने के लिए कहीं घाट बनाया गया है और न ही साफ-सफाई की व्यवस्था है. चुनाव के समय सांसद, विधायक आकर बड़े-बड़े वादे करते हैं और भूल जाते हैं.

पूर्व मुखिया जेपी राम ने बताया कि यहां पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है. मुखिया फंड से हमने इसे बेहतर बनाने का प्रयास किया है, लेकिन वह ऊंट के मुह में जीरा के समान है. वहीं, ग्रामीणों ने बताया कि बसाओ मठिया के महंत के द्वारा साजिश के तहत इस आश्रम को कहीं और स्थापित करने की कोशिश की जा रही है. यहां पर साफ-सफाई की व्यवस्था नहीं है. जिससे श्रद्धालु खुद परेशान होकर यहां आना छोड़ दें. कई बार जिला अधिकारी से इस बात की लिखित शिकायत किया गया उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.

कागजों में राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन हरियाली में 61.11% अंक लाकर बक्सर पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है. जबकि सार्वजनिक जल संचयन संरचनाओं को चिह्निंत कर उसे अतिक्रमण मुक्त कराने में बक्सर के अधिकारी पूरे प्रदेश में दूसरे स्थान पर है, लेकिन हैरानी की बात है कि प्रशासनिक अधिकारियों के नाक के नीचे बाईपास नहर, से लेकर ठोरा नदी में खुद नगर परिषद के अधिकारी कूड़ा डंप करा रहे हैं. शहर के बीचोंबीच बसाव मठिया के पास सरकारी तालाब नहीं है. अंग्रेज कब्रिस्तान के पास सरकारी पोखरे पर विधायक एवं अन्य राजनेताओं ने बड़ी-बड़ी इमारत खड़ा कर लिया है. जिसे खाली कराना तो दूर प्रशासनिक अधिकारी नोटिस भेजने की हिम्मत भी नही जुटा पाते. इसके बाद यह दावा किया जा रहा है कि सरकार की शत प्रतिशत योजनाओं को जमीन पर उतार दिया गया है. यही कारण है कि दबंग धीरे-धीरे मठ मंदिर के जमीन पर कब्जा करते जा रहे हैं और प्रशासनिक अधिकारी गरीबों की झोपड़ी उजाड़कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं.

पंचकोसी परिक्रमा यात्रा को लेकर कहा जाता है कि त्रेता युग में भगवान राम (Lord Rama in Treta Yuga) अपने भ्राता लक्ष्मण और ऋषि विश्वामित्र के साथ बक्सर पधारे थे. उस समय बक्सर में ताड़का, सुबाहू, मारीच आदि राक्षसों का आतंक था. इन राक्षसों का वध कर भगवान राम ने ऋषि विश्वामित्र से यहां शिक्षा ग्रहण की थी. ताड़का राक्षसी का वध करने के बाद भगवान राम ने नारी हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए अपने भ्राता लक्ष्मण और ऋषि विश्वामित्र के साथ पंचकोसी की यात्रा प्रारम्भ की. वह पंचकोसी यात्रा के पहले पड़ाव में गौतम ऋषि के आश्रम अहिरौली पहुंचे. जहां पत्थर रूपी अहिल्या को अपने चरणों से स्पर्श कर उनका उद्धार किया और उत्तरायणी गंगा में स्नान कर पुआ पकवान खाया.

वहां से अपने इस यात्रा के दूसरे पड़ाव पड़ाव में नारद मुनि का आश्रम नदाव पहुंचे. जहां सरोवर में स्नान करने के बाद सत्तू और मूली का उन्होंने भोग लगाया. इसी तरह तीसरे पड़ाव में भार्गव ऋषि के आश्रम भभुअर, चौथे पड़ाव में उद्दालक ऋषि के आश्रम उनवास और यात्रा के पांचवे एवं अंतिम पड़ाव में चरित्र वन बक्सर में पहुंचकर उन्होंने लिट्टी चोखा का भोग लगाया. उस समय से ही लोग इस परंपरा का निर्वहन करते आए हैं. प्रत्येक साल अगहन महीने के पंचमी से इस यात्रा की शुरुआत होती है. जिसमें भाग लेने के लिए लाखों लोग बक्सर आते हैं.

ये भी पढ़ें- शीतकालीन सत्र में विपक्षी एकजुटता का दावा, बोली BJP- कांग्रेस बिहार में आरजेडी की पिछलग्गू बनने को तैयार

ऐसी ही विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.