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औरंगाबादः जिले के किसान मछली पालन का उठाएं लाभ, मदद के लिए है कई सरकारी योजनाएं - औरंगाबाद में समेकित कृषि प्रणाली का विकास

जिले में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कई स्कीम वर्तमान में उपलब्ध है. जिसमें अति पिछड़ा और अनुसूचित जाति के लोग लाभ उठा सकते हैं. लेकिन जानकारी के अभाव में लोग इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं.

मछली पालन
मछली पालन
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Published : Jun 27, 2020, 10:24 AM IST

औरंगाबादः जिले में समेकित कृषि प्रणाली को विकसित करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इन्हीं में से एक योजना है मछली पालन. मछली पालन की योजनाओं का पूरा लाभ किसान नहीं ले पा रहे हैं. जिले में अभी भी कई ऐसी स्कीम है, जिसका फंड वापस लौट जाता है.

विभाग के पास हैं कई योजनाएं
केंद्र और बिहार सरकार मछली पालन करने वाले किसानों को अनुदान के अलावा अन्य कई सुविधाएं देती है. जिला मत्स्य पदाधिकारी शिव शंकर चौधरी ने बताया कि अभी विभाग के पास कई योजनाएं हैं, जिनमें से 4 हेक्टेयर तक नए तालाब की खुदाई की योजना है. जो कि अति पिछड़ा वर्ग के लिए है.

शिव शंकर चौधरी,
शिव शंकर चौधरी, जिला मत्स्य पदाधिकारी

इस योजना में अकेले या समूह में तालाब की खुदाई सरकारी स्तर पर कर सकते हैं. यह योजना सभी वर्ग के किसानों के लिए होती है. लेकिन फिलहाल जिले में अति पिछड़ा वर्ग के लिए ही योजना उपलब्ध है. जिसमें 4 हेक्टेयर तक की तलब खुदाई की योजना शामिल है.

मछली पालन के लिए खुदा गया तालाब
मछली पालन के लिए खोदा गया तालाब

ट्यूबवेल योजना में भी उठा सकते हैं लाभ
यह योजना भी अतिपिछड़ा वर्ग के लिए बची हुई है. अन्य वर्ग के लिए योजनाओं का लाभ किसान उठा चुके हैं. ट्यूबवेल योजना के तहत तीन ट्यूबवेल अभी भी बचा हुआ है. जिसका लाभ अतिपिछड़ा किसान ले सकते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

उन्नत इनपुट योजना भी है फायदेमंद
उन्नत इनपुट से संबंध तालाब में मछली पालन कर रहे किसानों से है. जो किसान अपने तालाब में मछली पालन कर रहे हैं, उनके लिए बीज, दवाएं और दाना पर सब्सिडी का प्रावधान होता है. जिसे उन्नत इनपुट के नाम से जाना जाता है. 8 हेक्टेयर तालाब के लिए यह योजना अभी बची हुई है. किसान पहले आओ पहले पाओ के आधार पर इसका लाभ ले सकते हैं.

ये भी पढ़ेंः यात्रियों और बसों की राह देख रहे करोड़ों की लागत से बने स्मार्ट बस स्टॉप, ठेले वालों की मौज

मिलता है वाहन लोन और 90% सब्सिडी
मछली पालकों के लिए मछली परिवहन करने के लिए वाहन खरीदने पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है. जिसमें तीन पहिया और चार पहिया वाहन उपलब्ध कराया जाता है. इसमें 90% तक की सब्सिडी दी जाती है. अभी विभाग के पास अतिपिछड़ा वर्ग के लिए चार वाहन उपलब्ध हैं. जिसमें 2 तीन पहिया और 2 चार पहिया वाहन आईस बैग के साथ उपलब्ध है. जिन पर 90 प्रतिशत सब्सिडी है.

मछली पालन ट्रेनिंग के लिए ऑनलाइन अप्लाई
मछली पालन करने के इच्छुक किसान या बेरोजगार युवक ट्रेनिंग के लिए भी विभाग से संपर्क कर सकते हैं. अभी 15 लोगों का बैच साल्टलेक सिटी, कोलकाता में ट्रेनिंग को जाएगा. इसके अलावा राज्य के अंदर अन्य बैचों की ट्रेनिंग कराई जाएगी. लोग विभाग की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं.

कराई जाएगी केसीसी उपलब्ध
जिला मत्स्य पदाधिकारी शिव शंकर चौधरी ने बताया कि जिले के किसानों को उनके मछली पालन इकाई को देखते हुए केसीसी की व्यवस्था भी कराई गई है. जिन्हें उचित दर निर्धारित करके केसीसी की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी. इसमें किसान अपने बैंक से इसका लाभ ले सकेंगे.

लोगों को नहीं होती योजनाओं की जानकारी
खेती में किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार ने कई योजनाएं लाई हैं. लेकिन वे योजनाएं धरातल पर नहीं पहुंच पाती हैं. इसका मुख्य कारण लोगों में जानकारी का अभाव होता है. इन्हीं समस्याओं को देखते हुए ईटीवी भारत समय समय पर आम लोगों तक ये जानकारी उपलब्ध कराते रहता है.

औरंगाबादः जिले में समेकित कृषि प्रणाली को विकसित करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इन्हीं में से एक योजना है मछली पालन. मछली पालन की योजनाओं का पूरा लाभ किसान नहीं ले पा रहे हैं. जिले में अभी भी कई ऐसी स्कीम है, जिसका फंड वापस लौट जाता है.

विभाग के पास हैं कई योजनाएं
केंद्र और बिहार सरकार मछली पालन करने वाले किसानों को अनुदान के अलावा अन्य कई सुविधाएं देती है. जिला मत्स्य पदाधिकारी शिव शंकर चौधरी ने बताया कि अभी विभाग के पास कई योजनाएं हैं, जिनमें से 4 हेक्टेयर तक नए तालाब की खुदाई की योजना है. जो कि अति पिछड़ा वर्ग के लिए है.

शिव शंकर चौधरी,
शिव शंकर चौधरी, जिला मत्स्य पदाधिकारी

इस योजना में अकेले या समूह में तालाब की खुदाई सरकारी स्तर पर कर सकते हैं. यह योजना सभी वर्ग के किसानों के लिए होती है. लेकिन फिलहाल जिले में अति पिछड़ा वर्ग के लिए ही योजना उपलब्ध है. जिसमें 4 हेक्टेयर तक की तलब खुदाई की योजना शामिल है.

मछली पालन के लिए खुदा गया तालाब
मछली पालन के लिए खोदा गया तालाब

ट्यूबवेल योजना में भी उठा सकते हैं लाभ
यह योजना भी अतिपिछड़ा वर्ग के लिए बची हुई है. अन्य वर्ग के लिए योजनाओं का लाभ किसान उठा चुके हैं. ट्यूबवेल योजना के तहत तीन ट्यूबवेल अभी भी बचा हुआ है. जिसका लाभ अतिपिछड़ा किसान ले सकते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

उन्नत इनपुट योजना भी है फायदेमंद
उन्नत इनपुट से संबंध तालाब में मछली पालन कर रहे किसानों से है. जो किसान अपने तालाब में मछली पालन कर रहे हैं, उनके लिए बीज, दवाएं और दाना पर सब्सिडी का प्रावधान होता है. जिसे उन्नत इनपुट के नाम से जाना जाता है. 8 हेक्टेयर तालाब के लिए यह योजना अभी बची हुई है. किसान पहले आओ पहले पाओ के आधार पर इसका लाभ ले सकते हैं.

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मिलता है वाहन लोन और 90% सब्सिडी
मछली पालकों के लिए मछली परिवहन करने के लिए वाहन खरीदने पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है. जिसमें तीन पहिया और चार पहिया वाहन उपलब्ध कराया जाता है. इसमें 90% तक की सब्सिडी दी जाती है. अभी विभाग के पास अतिपिछड़ा वर्ग के लिए चार वाहन उपलब्ध हैं. जिसमें 2 तीन पहिया और 2 चार पहिया वाहन आईस बैग के साथ उपलब्ध है. जिन पर 90 प्रतिशत सब्सिडी है.

मछली पालन ट्रेनिंग के लिए ऑनलाइन अप्लाई
मछली पालन करने के इच्छुक किसान या बेरोजगार युवक ट्रेनिंग के लिए भी विभाग से संपर्क कर सकते हैं. अभी 15 लोगों का बैच साल्टलेक सिटी, कोलकाता में ट्रेनिंग को जाएगा. इसके अलावा राज्य के अंदर अन्य बैचों की ट्रेनिंग कराई जाएगी. लोग विभाग की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं.

कराई जाएगी केसीसी उपलब्ध
जिला मत्स्य पदाधिकारी शिव शंकर चौधरी ने बताया कि जिले के किसानों को उनके मछली पालन इकाई को देखते हुए केसीसी की व्यवस्था भी कराई गई है. जिन्हें उचित दर निर्धारित करके केसीसी की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी. इसमें किसान अपने बैंक से इसका लाभ ले सकेंगे.

लोगों को नहीं होती योजनाओं की जानकारी
खेती में किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार ने कई योजनाएं लाई हैं. लेकिन वे योजनाएं धरातल पर नहीं पहुंच पाती हैं. इसका मुख्य कारण लोगों में जानकारी का अभाव होता है. इन्हीं समस्याओं को देखते हुए ईटीवी भारत समय समय पर आम लोगों तक ये जानकारी उपलब्ध कराते रहता है.

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