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औरंगाबाद: सहजन की खेती करने पर सरकार करेगी मदद, मिलेगा अनुदान - Bihar

एनएचआरडीएफ पटना की ओर से बीज 15 सौ रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जाता है. वहीं, उधान विभाग किसानों को बीज सिर्फ डेढ़ सौ रूपए प्रति किलो के हिसाब से उपलब्ध कराएगी. साथ ही किसानों को प्रति हेक्टेयर खेती के लिए 27500 की दर से अनुदान की राशि भी दी जाएगी.

औरंगाबाद
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Published : Mar 22, 2020, 6:02 AM IST

औरंगाबाद: किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए जिला उद्यान विभाग ने नकदी फसल के रूप में सहजन की खेती की योजना लाई है. इस योजना का नाम सहजन विकास योजना है. मामले में जिला उद्यान पदाधिकारी ज्ञानचंद ने बताया कि सहजन विकास योजना इसी वर्ष आई है. एनएचआरडीएफ पटना की ओर से बीज 15 सौ रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जाता है. वहीं, उधान विभाग किसानों को बीज सिर्फ डेढ़ सौ रूपए प्रति किलो के हिसाब से उपलब्ध कराएगी. साथ ही किसानों को प्रति हेक्टेयर खेती के लिए 27500 की दर से अनुदान की राशि भी दी जाएगी.

औरंगाबाद
सहजन की बागवानी

'दो किस्तों में मिलेगी अनुदान राशि'
जिला उद्यान पदाधिकारी ने कहा कि अनुदान राशि दो किस्तों में मिलेगी. पहली किस्त में 27,780 रुपए और दूसरी किस्त में 9250 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से भुगतान किया जाएगा. दूसरी किस्त की राशि 90 प्रतिशत सहजन का पौधा जीवित रहने पर ही दिया जाएगा. उन्होंने सहजन की विशेषता बताते हुए इसे बहुपयोगी पौधा कहा. इसके सभी भागों का उपयोग भोजन, दवा और औषधीय निर्माण के लिए किया जाता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'औषधीय गुणों से भरपूर है सहजन'
ज्ञानचंद ने बताया कि सेंजन, मुनगा और सहजन के नामों से जाना जाने वाला सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है. इसके पेड़ के अलग-अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों से रोकथाम दिलाने के गुण मौजूद हैं. इसमें 92 तरह के मल्टीविटामिन्स, 46 तरह के एंटी आक्सीडेंट, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के अमीनो एसिड मिलते हैं. चारे के रूप में इसकी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुना और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि होती है.

औरंगाबाद: किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए जिला उद्यान विभाग ने नकदी फसल के रूप में सहजन की खेती की योजना लाई है. इस योजना का नाम सहजन विकास योजना है. मामले में जिला उद्यान पदाधिकारी ज्ञानचंद ने बताया कि सहजन विकास योजना इसी वर्ष आई है. एनएचआरडीएफ पटना की ओर से बीज 15 सौ रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जाता है. वहीं, उधान विभाग किसानों को बीज सिर्फ डेढ़ सौ रूपए प्रति किलो के हिसाब से उपलब्ध कराएगी. साथ ही किसानों को प्रति हेक्टेयर खेती के लिए 27500 की दर से अनुदान की राशि भी दी जाएगी.

औरंगाबाद
सहजन की बागवानी

'दो किस्तों में मिलेगी अनुदान राशि'
जिला उद्यान पदाधिकारी ने कहा कि अनुदान राशि दो किस्तों में मिलेगी. पहली किस्त में 27,780 रुपए और दूसरी किस्त में 9250 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से भुगतान किया जाएगा. दूसरी किस्त की राशि 90 प्रतिशत सहजन का पौधा जीवित रहने पर ही दिया जाएगा. उन्होंने सहजन की विशेषता बताते हुए इसे बहुपयोगी पौधा कहा. इसके सभी भागों का उपयोग भोजन, दवा और औषधीय निर्माण के लिए किया जाता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'औषधीय गुणों से भरपूर है सहजन'
ज्ञानचंद ने बताया कि सेंजन, मुनगा और सहजन के नामों से जाना जाने वाला सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है. इसके पेड़ के अलग-अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों से रोकथाम दिलाने के गुण मौजूद हैं. इसमें 92 तरह के मल्टीविटामिन्स, 46 तरह के एंटी आक्सीडेंट, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के अमीनो एसिड मिलते हैं. चारे के रूप में इसकी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुना और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि होती है.

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