भोजपुर: जिले में भगवान चित्रगुप्त की श्रद्धा भाव के साथ शूरू हुई. इस आवसर पर कायस्थ समाज के कुलदेवता कहे जाने वाले भगवान चित्रगुप्त की पूजा-अर्चना को लेकर कायस्थों में काफी उत्साह देखा गया. आरा के बाबू बाजार में अवस्थित शहर के सबसे प्राचीनतम चित्रगुप्त मंदिर में भी दिन भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा.
पीला अंग वस्त्र किया गया वितरित
इस अवसर पर शहर के चित्रगुप्त मंदिरों में काफी चहल-पहल थी. सुबह से ही भक्तों की भीड़ मंदिरों में उमड़नी शुरू हो गई थी. चित्रांश भक्तों के साथ-साथ समाज के सभी वर्ग के भक्तों ने भी चित्रगुप्त महाराज जी के सामने अपना शीश झुकाया. वहीं इस अवसर पर मंदिर में एक भजन संध्या कार्यक्रम भी किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन नगर निगम महापौर रूबी तिवारी ने किया. इस अवसर पर आरा विधायक अनवर आलम भी वहां उपस्थित थे. निगम महापौर ने मंदिर में आए सभी भक्तों को पीले रंग की वस्त्र देकर सम्मानित किया. मौके पर विधायक अनवर आलम ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन बुराईयों से तौबा करने का संकल्प लेने का दिन है.
गरीबों में सिलाई मशीन किया गया वितरित
बताया जाता है कि कायस्थ परिवार के लोगों को चित्रगुप्त के वंशज कहा जाता है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को चित्रगुप्त महाराज की पूजा किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस पूजा को करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. बाईपास रोड स्थित नविन विद्यालय में भी भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यहां कायस्त परिवारों नें गरीब बच्चियों के बीच सिलाई मशीन वितरित किया.
चित्रगुप्त पूजा की पौराणिक कथा
ज्योतिषविदों की मानें तो जब भगवान विष्णु अपनी योग माया से जब सृष्टि की रचना कर रहे थे. तब उनके नाभि से एक कमल फूल निकला और उस पर आसीन पुरुष ब्रह्मा कहलाए. भगवान ब्रह्मा ने समस्त प्राणियों, देवता-असुर, गंधर्व, अप्सरा और स्त्री-पुरूष बनाए. सृष्टि में जीवों के कर्मों के अनुसार उन्हें सजा देने की जिम्मेदारी देने के लिए धर्मराज यमराज का भी जन्म हुआ. इतनी बड़ी सृष्टि के प्राणियों की सजा का काम देखने के लिए एक सहायक की आवश्यकता हुई. इसलिए भगवान ब्रह्मा ने यमराज के सहायक के तौर पर न्यायाधीश, बुद्धिमान, लेखन कार्य में दक्ष, तपस्वी, ब्रह्मनिष्ठ और वेदों का ज्ञाता चित्रगुप्त को योगमाया से उत्पन्न किया. इसलिए इन्हें भगवान ब्रह्मा का मानस पुत्र भी कहा जाता है. भगवान चित्रगुप्त सभी प्राणियों के पाप और पुण्यकर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं. आदमी का भाग्य लिखने का काम यही करते है. हर साल पूरे उल्लास के साथ यह पर्व मनाया जाता है.