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पिता के सपनों को पूरा कर रही है जेनिफर, देश के लिए जीतना चाहती है गोल्ड मेडल

आंखों में जुनून और देश के लिए कुछ करने का जज्बा लिए 12 साल की जेनिफर प्रिया ने महज 7 साल की उम्र से बैडमिंटन को अपना साथी बना लिया है. पिता से प्रेरणा पाकर उनके सपनों को जीते हुए जेनिफर देश के लिए गोल्ड जीतना चाहती है.

जेनिफर प्रिया
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Published : Mar 7, 2019, 11:44 PM IST

भागलपुर: शहर की जेनिफर प्रिया 12 साल की उम्र में देश के लिए गोल्ड जीतने का सपना देख रही है. अपने पिता से प्रेरित होकर जेनिफर महज 7 साल की उम्र से खुद को बैडमिंटन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओलंपिक के लिए तैयार कर रही है.

पिता से मिली बैडमिंटन खेलने की प्रेरणा
इस सफर में मां प्रीति और पिता राकेश कुमार लगातार उसके साथ है. लगातार 5 सालों से अपने बेटी को टूर्नामेंट के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में लेकर जाते हैं. गौरवांवित मां कहती हैं कि अपने पिता से ही बेटी को प्रेरणा मिली है, और देश के लिए गोल्ड जीतना ही हम सभी का सपना बन गया है.

बैडमिंटन खेलती जेनिफर प्रिया

बेहतर खिलाड़ी बनाने के लिए लगातार कर रही मेहनत
कई प्रतियोगिताओं में अपने हुनर का लोहा मनवा चुकी जेनिफर कहती है कि बचपन में अपने पिता के साथ बैडमिंटन कोर्ट में जाया करती थी और उन्हें खेलते हुए देखती थी. तभी से इस खेल में उसकी दिलचस्पी हो गई. महज 7 साल की उम्र से ही जेनिफर ने बैडमिंटन को अपना साथी बना लिया. खुद को अब और बेहतर खिलाड़ी बनाने के लिए लगातार मेहनत कर रही है.

भागलपुर: शहर की जेनिफर प्रिया 12 साल की उम्र में देश के लिए गोल्ड जीतने का सपना देख रही है. अपने पिता से प्रेरित होकर जेनिफर महज 7 साल की उम्र से खुद को बैडमिंटन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओलंपिक के लिए तैयार कर रही है.

पिता से मिली बैडमिंटन खेलने की प्रेरणा
इस सफर में मां प्रीति और पिता राकेश कुमार लगातार उसके साथ है. लगातार 5 सालों से अपने बेटी को टूर्नामेंट के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में लेकर जाते हैं. गौरवांवित मां कहती हैं कि अपने पिता से ही बेटी को प्रेरणा मिली है, और देश के लिए गोल्ड जीतना ही हम सभी का सपना बन गया है.

बैडमिंटन खेलती जेनिफर प्रिया

बेहतर खिलाड़ी बनाने के लिए लगातार कर रही मेहनत
कई प्रतियोगिताओं में अपने हुनर का लोहा मनवा चुकी जेनिफर कहती है कि बचपन में अपने पिता के साथ बैडमिंटन कोर्ट में जाया करती थी और उन्हें खेलते हुए देखती थी. तभी से इस खेल में उसकी दिलचस्पी हो गई. महज 7 साल की उम्र से ही जेनिफर ने बैडमिंटन को अपना साथी बना लिया. खुद को अब और बेहतर खिलाड़ी बनाने के लिए लगातार मेहनत कर रही है.

Intro:WOMAN'S DAY SPECIAL FROM BHAGALPUR
SANTOSH SRIVASTAVA

जहां चाह वहां राह


आंखों में जुनून देश के लिए कुछ करने का जज्बा लिए महज 12 साल की बच्ची जेनिफर प्रिया है , महज 7 साल की उम्र से ही जेनिफर ने बैडमिंटन को अपना साथी बना लिया और देश के लिए कुछ करने का मकसद लिए लगातार 5 साल से अपने आप को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक के लिए तैयार कर रही है सपना है कि देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने का भागलपुर की एक छोटी सी बच्ची अपने पिता से प्रेरित होकर बैडमिंटन गेम को ही अपना मकसद और जिंदगी बना लिया है जेनिफर के पिता राकेश कुमार को बैडमिंटन खेल से काफी लगाव था और पारिवारिक जिंदगी की वजह से बैडमिंटन में कुछ अच्छा नहीं कर पाने से दिल में एक कसक सी राकेश के मन में हमेशा रहती थी। छोटी सी बच्ची जेनिफर अपने पिता के साथ बैडमिंटन कोर्ट में जाती थी और अपने पापा को खेलते हुए देखती थी ।


Body:जेनिफर को लगा की पारिवारिक जिम्मेदारी की वजह से ही शायद उसके पापा अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाए हैं इसलिए जेनिफर ने बैडमिंटन को ही अपना मकसद और जिंदगी बना लिया और कोर्ट में लगातार 5 साल से प्रयासरत हैं वैसे जेनिफर कई राष्ट्रीय स्तर के खेल में हिस्सेदारी ले चुकी है लेकिन मकसद है अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन टूर्नामेंट में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतने का जिसको लेकर रात दिन जेनिफर ने बैडमिंटन कोर्ट को ही अपनी ज़िंदगी बना लिया है जेनिफर के इस लक्ष्य को हासिल करने में जेनिफर का पूरा परिवार उसके साथ देश के हर एक हिस्से में जेनिफर को लेकर जाता रहता है और उसके साथ खड़ा रहता है ।


Conclusion:आजकल जहां देश में एक और सभी लोग अपने बच्चे को डॉक्टर इंजीनियर बनाना चाहते हैं वैसे में जेनिफर के माता पिता ने अपने बच्चे को इस देश के लिए न्योछावर कर दिया है 12 साल की सनी फल का एक ही सपना है किस देश में अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन टूर्नामेंट से अपने देश के लिए गोल्ड मेडल जीतकर लाना है जेनिफर प्रिया को अपनी इस सपने को पूरा करने के लिए एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है जेनिफर को अपने स्कूल भी बदलना पड़ रहा है ताकि उसकी पढ़ाई भी उसके मुकाम को हासिल करने में बाधा नहीं बने जेनिफर प्रिया से इस देश के माता पिता के साथ साथ बच्चों को भी सीखने की जरूरत है कि अगर कुछ करने का जज्बा हो तो पूरी कायनात उसे उस मंजिल तक पहुंचाने की साजिश में लग जाती है ईटीवी भारत जेनिफर प्रिया इस जज्बे को देखते हुए और अपने मकसद तक पहुंचने के लिए ढेरों शुभकामनाएं देता है ।
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