भागलपुर: जिले में पुलिस के ढुलमुल रवैया की वजह से दुष्कर्म की कोशिश करने पर जेल में बंद आरोपी को बुधवार को रिहा कर दिया गया. बताया जा रहा है कि घटना 14 अप्रैल 2007 की है. जब एक युवक ने एक महिला के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की. महिला ने थाने में आवेदन देकर बताया था कि पड़ोस के रहने वाले युवक ने घर में घुसकर उसके साथ छेड़खानी की. इसके बाद महिला के शोर मचाने पर आरोपी मौके से फरार हो गया था.
आरोपी को सजा देने की लगाई थी गुहार
वहीं, घटना के अगले दिन महिला ने थाने में आवेदन देकर आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कराया. लेकिन पुलिस की लापरवाही की वजह से महिला की पहली गवाही कोर्ट में 23 अगस्त 2010 को हुई. पुलिस की वजह से उस समय क्रॉस एग्जामिनेशन नहीं हो सका था. जिसकी वजह से महिला को दोबारा कोर्ट 10 साल बाद लाया गया. वहीं, भागलपुर व्यवहार न्यायालय के एडीजे फर्स्ट शोभा कांत मिश्रा की बेंच में सुनवाई के दौरान महिला ने कहा कि वह घटना के बारे में कुछ नहीं जानती है. यही नहीं महिला ने आरोपी को भी पहचानने से इंकार कर दिया. जबकि 2010 में हुई पहली गवाही में महिला ने घटना के बारे में बारीकी से जानकारी दी थी और कोर्ट से आरोपी को सजा देने की गुहार लगाई थी.
13 साल बाद रिहा हुआ आरोपी
अपर लोक अभियोजक ओम प्रकाश तिवारी ने बताया कि घटना अप्रैल 2007 को घटी थी. पुलिस की ओर से कोर्ट में पहली गवाही 3 साल बाद कराई गई. उस दौरान महिला ने बारीकी से न्यायालय को घटना के बारे में जानकारी दी थी. इसके बाद पुलिस ने भी चार्जशीट दाखिल करने में काफी समय लगा दिया. जिसका फायदा आरोपी को मिला और बुधवार को आरोपी को एडीजे फर्स्ट शोभा कांत मिश्रा की बेंच ने आरोप से मुक्त कर दिया .