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गंगा किनारे है राधा-कृष्ण की यह प्राचीन मंदिर, बदहाली के कारण खो रहा पहचान - प्राचीन मंदिर

मंदिर के पुजारी सदानंद का कहना है कि जो इसके केयरटेकर हैं, वह दूसरे को जीर्णोद्धार की इजाजत नहीं देते है.

गंगा तट पर बसा मंदिर
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Published : May 25, 2019, 2:20 PM IST

भागलपुरः गंगा किनारे बसे बिहार का प्राचीन शहर भागलपुर अंग प्रदेश के नाम से भी जाना जाता था. अंग प्रदेश की पूरे देश में एक अलग पहचान रही है. भागलपुर के गंगा तट के पास बसा राधा कृष्ण का प्राचीन मंदिर भी है. जो काफी वर्षों पूर्व बाबू ब्रजमोहन ठाकुर के द्वारा निर्माण कराया गया था. वर्तमान में इस मंदिर का रखरखाव नहीं होने की वजह से यह जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गई है. कई सालों से उपेक्षा की मार झेल रहे राधा कृष्ण का प्राचीन मंदिर अनूठी कलाकृति की मिसाल भी है.

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गंगा तट पर बसा मंदिर

राधा कृष्ण को देखने उमड़ती है भीड़
काफी दिनों से मंदिर की देख-रेख कर रहे सदानंद का कहना है जिन का मंदिर वह किसी और इससे मदद नहीं लेना चाहते. और ना ही खुद मंदिर का जीर्णोद्धार कर रहे हैं. मंदिर तकरीबन 200 वर्षों से ज्यादा पुराना है और हर पूर्णिमा में श्रद्धालुओं की भीड़ राधा कृष्ण को देखने के लिए उमड़ पड़ती है. विगत 2 वर्षों से पूजा कर रहे लोगों का कहना है इतनी अनूठी कलाकृति से सुसज्जित राधा और कृष्ण का मंदिर आस-पास में कहीं भी नहीं है. इसलिए यहां पर गंगा स्नान के बाद लोग राधा-कृष्ण की पूजा करते हैं और अदभुत कलाकृति का दर्शन भी करते हैं.

बदहाल पड़ा राधा कृष्ण का प्राचीन मंदिर और जानकारी देते पुजारी

केयरटेकर जीर्णोद्धार की नहीं देते इजाजत
पुजारी सदानंद का कहना है कि जो इसके केयरटेकर हैं, वह दूसरे को जीर्णोद्धार की इजाजत नहीं देते है. उनका कहना है जब मुझे किसी और के सहयोग की आवश्यकता नहीं है. आसपास के लोग इस मंदिर की अवस्था को लेकर काफी चिंतित हैं कि ऐसी अनूठी कलाकृति से निर्मित मंदिर का जीर्णोद्धार की काफी जरूरत है. इसे भागलपुर की एक विरासत के तौर पर सहेज के रखा जा सकता है.

भागलपुरः गंगा किनारे बसे बिहार का प्राचीन शहर भागलपुर अंग प्रदेश के नाम से भी जाना जाता था. अंग प्रदेश की पूरे देश में एक अलग पहचान रही है. भागलपुर के गंगा तट के पास बसा राधा कृष्ण का प्राचीन मंदिर भी है. जो काफी वर्षों पूर्व बाबू ब्रजमोहन ठाकुर के द्वारा निर्माण कराया गया था. वर्तमान में इस मंदिर का रखरखाव नहीं होने की वजह से यह जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गई है. कई सालों से उपेक्षा की मार झेल रहे राधा कृष्ण का प्राचीन मंदिर अनूठी कलाकृति की मिसाल भी है.

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गंगा तट पर बसा मंदिर

राधा कृष्ण को देखने उमड़ती है भीड़
काफी दिनों से मंदिर की देख-रेख कर रहे सदानंद का कहना है जिन का मंदिर वह किसी और इससे मदद नहीं लेना चाहते. और ना ही खुद मंदिर का जीर्णोद्धार कर रहे हैं. मंदिर तकरीबन 200 वर्षों से ज्यादा पुराना है और हर पूर्णिमा में श्रद्धालुओं की भीड़ राधा कृष्ण को देखने के लिए उमड़ पड़ती है. विगत 2 वर्षों से पूजा कर रहे लोगों का कहना है इतनी अनूठी कलाकृति से सुसज्जित राधा और कृष्ण का मंदिर आस-पास में कहीं भी नहीं है. इसलिए यहां पर गंगा स्नान के बाद लोग राधा-कृष्ण की पूजा करते हैं और अदभुत कलाकृति का दर्शन भी करते हैं.

बदहाल पड़ा राधा कृष्ण का प्राचीन मंदिर और जानकारी देते पुजारी

केयरटेकर जीर्णोद्धार की नहीं देते इजाजत
पुजारी सदानंद का कहना है कि जो इसके केयरटेकर हैं, वह दूसरे को जीर्णोद्धार की इजाजत नहीं देते है. उनका कहना है जब मुझे किसी और के सहयोग की आवश्यकता नहीं है. आसपास के लोग इस मंदिर की अवस्था को लेकर काफी चिंतित हैं कि ऐसी अनूठी कलाकृति से निर्मित मंदिर का जीर्णोद्धार की काफी जरूरत है. इसे भागलपुर की एक विरासत के तौर पर सहेज के रखा जा सकता है.

Intro:KAAFI ADBHUT RAMNIK AUR PRACHIN KALAKRITI KA UDAHARAN HAI GANGA KINARE BASA RADHA KRISHNA KA PRACHIN MANDIR गंगा किनारे बसा बिहार का प्राचीन शहर भागलपुर अंग प्रदेश के नाम से भी जाना जाता था , आंध्र प्रदेश की पूरे देश में शुरुआती दौर से ही एक अलग पहचान रही है जहां एक तरफ भागलपुर के पूर्वी क्षेत्र में बसा प्राचीन शिक्षा का केंद्र विक्रमशिला है वहीं दूसरी ओर प्रसिद्ध लोक गाथा बिहुला विषहरी की मशहूर चित्र गाथा अंगिका भी समाहित है इसी क्रम में भागलपुर की गंगा तट के पास बसा एक प्राचीन राधा कृष्ण का मंदिर भी है जो काफी वर्षों पूर्व बाबू ब्रजमोहन ठाकुर के द्वारा निर्माण कराया गया था लेकिन वर्तमान में इस मंदिर का रखरखाव नहीं होने की वजह से यह जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच गया है कई दिनों से उपेक्षा की मार चल रहा प्राचीन राधा कृष्ण का मंदिर अनूठी कलाकृति की मिसाल भी है ।


Body:काफी दिनों से मंदिर की देखरेख कर रहे सदानंद का कहना है चीन का मंदिर वह किसी और इससे मदद नहीं लेना चाहते और ना ही खुद मंदिर का जीर्णोद्धार कर रहे हैं मंदिर करीबन 200 वर्षो से ज्यादा पुराना है और हर पूर्णिमा में श्रद्धालुओं की भीड़ राधा कृष्ण को देखने के लिए उमड़ पड़ती है विगत 2 वर्षों से पूजा कर रहे सारण का कहना है इतनी अनूठी कलाकृति से सुसज्जित मंदिर खासकर राधा और कृष्ण का आसपास कहीं भी नहीं है इसलिए यहां पर गंगा स्नान के बाद राधा-कृष्ण की पूजा करते हैं और अदभुत कलाकृति दर्शन भी करते हैं।


Conclusion:पुजारी के तौर पर जा कर रहे हैं सदानंद का कहना है कि जो इनके केयरटेकर है वह दूसरे को जीर्णोद्धार की इजाजत नहीं देते है उनका कहना है जब मुझे किसी और के सहयोग की आवश्यकता नहीं है आसपास के लोग मंदिर के इस सिर्फ सिर्फ अवस्था को लेकर काफी चिंतित हैं कि ऐसी अनूठी कलाकृति से निर्मित मंदिर का जीर्णोद्धार की काफी जरूरत है और इसे भागलपुर की एक विरासत के तौर पर सहेज के रखा जा सकता है । बाईट:शिव शंकर सिंह पारिजात, इतिहासकार बाइट: सदानंद साह, पुजारी ,राधा कृष्ण मंदिर, सीढ़ी घाट
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