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लॉकडाउन के बाद जिले में प्रवासी मजदूरों के लिए 10 और क्लस्टर खुलेंगे - प्रवासीय मजदूर

बिहार में कोरोना के कारण वापस लौटे प्रवासी मजदूरों को बिहार में ही रोजगार देने की व्यवस्था की जा रही है. लॉकडाउन के बाद जिले में 10 और क्लस्टर बनाए जाएंगे. जिसके बाद गांव-गांव में मैपिंग किया जाएगा ताकि उनकी कार्यकुशलता का पता लगाया जा सके.

भागलपुर
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Published : May 19, 2021, 2:23 PM IST

भागलपुर: कोरोना के कारण बिहार लौटे प्रवासी मजदूरों को बिहार में ही रोजगार दिया जा सकेगा. इसको लेकर मजदूरों की कुशलता को देखते हुए उद्योग स्थापित करने के लिए लोन स्वरूप 10 लाख रुपये दिए जा रहे हैं. इसमें 5 लाख का अनुदान और बाकी रकम 84 किस्तों में लौटाना है. इसके अलावा मनरेगा में एक 100 दिनों की रोजगार गारंटी की सुविधा भी दी जाएगी.

बिहार लौटे प्रवासी श्रमिकों का डाटा तैयार किया जाएगा और जो लोग बिहार में काम करना चाहते हैं, उनको प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी. भागलपुर जिले में पहले से ही 5 क्लस्टर कार्यरत हैं. लॉकडाउन के बाद 10 और क्लस्टर शुरू किए जाने हैं. उसको लेकर 70 लाख रुपए की स्वीकृति भी मिल गई है.

ये भी पढ़ें : महाराष्ट्र से अपने घर को लौट रहे प्रवासी मजदूर, स्टेशन पर की गई कोरोना जांच की व्यवस्था

आवंटन मिलने के बाद किया जाएगा मैपिंग का काम
उद्योग विभाग के महाप्रबंधक रामशरण राम ने बताया कि भागलपुर जिले में पांच क्लस्टर पहले से ही चालू है. लॉकडाउन के बाद जिले में 10 और क्लस्टर बनाए जाने की स्वीकृति विभाग से मिल चुकी है. जिसके लिए 70 लाख रुपए की स्वीकृति मिली है. फिलहाल आवंटन नहीं मिला है. जैसे ही आवंटन मिलेगा, गांव-गांव में जाकर मैपिंग का काम शुरू किया जाएगा. मैपिंग के दौरान जिस स्किल के अधिक मजदूर मिलेंगे उसका एक ग्रुप बनाकर प्राथमिकता के आधार पर क्लस्टर बनाकर सरकारी मदद से काम शुरू करवाया जाएगा.

प्रवासी श्रमिक टोल फ्री नंबर पर ले सकते हैं जानकारी
आपको बता दें कि बिहार में कामगारों की पंचायत वार मैपिंग कराई जाएगी ताकि उनकी कार्यकुशलता का पता लगाया जा सके. वहीं, कुछ लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित भी किया जाएगा. इसे लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा भी विभिन्न विभागों को निर्देश दिए गए हैं. श्रम संसाधन विभाग पंचायत स्तर पर प्रवासी कामगारों की मैपिंग का काम कर उनकी क्षमता के हिसाब से संबंधित क्षेत्र में स्वरोजगार की व्यवस्था करेगा.

भागलपुर: कोरोना के कारण बिहार लौटे प्रवासी मजदूरों को बिहार में ही रोजगार दिया जा सकेगा. इसको लेकर मजदूरों की कुशलता को देखते हुए उद्योग स्थापित करने के लिए लोन स्वरूप 10 लाख रुपये दिए जा रहे हैं. इसमें 5 लाख का अनुदान और बाकी रकम 84 किस्तों में लौटाना है. इसके अलावा मनरेगा में एक 100 दिनों की रोजगार गारंटी की सुविधा भी दी जाएगी.

बिहार लौटे प्रवासी श्रमिकों का डाटा तैयार किया जाएगा और जो लोग बिहार में काम करना चाहते हैं, उनको प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी. भागलपुर जिले में पहले से ही 5 क्लस्टर कार्यरत हैं. लॉकडाउन के बाद 10 और क्लस्टर शुरू किए जाने हैं. उसको लेकर 70 लाख रुपए की स्वीकृति भी मिल गई है.

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आवंटन मिलने के बाद किया जाएगा मैपिंग का काम
उद्योग विभाग के महाप्रबंधक रामशरण राम ने बताया कि भागलपुर जिले में पांच क्लस्टर पहले से ही चालू है. लॉकडाउन के बाद जिले में 10 और क्लस्टर बनाए जाने की स्वीकृति विभाग से मिल चुकी है. जिसके लिए 70 लाख रुपए की स्वीकृति मिली है. फिलहाल आवंटन नहीं मिला है. जैसे ही आवंटन मिलेगा, गांव-गांव में जाकर मैपिंग का काम शुरू किया जाएगा. मैपिंग के दौरान जिस स्किल के अधिक मजदूर मिलेंगे उसका एक ग्रुप बनाकर प्राथमिकता के आधार पर क्लस्टर बनाकर सरकारी मदद से काम शुरू करवाया जाएगा.

प्रवासी श्रमिक टोल फ्री नंबर पर ले सकते हैं जानकारी
आपको बता दें कि बिहार में कामगारों की पंचायत वार मैपिंग कराई जाएगी ताकि उनकी कार्यकुशलता का पता लगाया जा सके. वहीं, कुछ लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित भी किया जाएगा. इसे लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा भी विभिन्न विभागों को निर्देश दिए गए हैं. श्रम संसाधन विभाग पंचायत स्तर पर प्रवासी कामगारों की मैपिंग का काम कर उनकी क्षमता के हिसाब से संबंधित क्षेत्र में स्वरोजगार की व्यवस्था करेगा.

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