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बेगूसराय: भीषण गर्मी से बर्बाद हो रही लीची की फसल, किसानों की बढ़ी चिंता

किसान नंदन सिंह ने बताया कि इस भीषण गर्मी के कारण लीची की खेती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. लीची की तैयार फसल पेड़ में ही सूखकर फट रहे हैं. मौसम की बेरूखी से हम सब परेशान हैं.

लीची की फसल
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Published : Jun 3, 2019, 12:34 PM IST

बेगूसराय: जिले में सैकड़ों एकड़ में लगी लीची की फसल इस भीषण गर्मी के कारण बर्बाद हो रही है. इस बार प्रचंड धूप और बरसात नहीं होने के कारण लीची के पैदावार पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. वहीं, किसानों का सपना चकनाचूर हो रहा है.

जिले के मटिहानी, सदर, बछवारा और बलिया प्रखंड में व्यापक पैमाने पर लीची की खेती होती है. वहीं, इस बार भीषण गर्मी में तैयार लीची की फसल पेड़ में ही बर्बाद हो रही है. लीची को खरीददार नहीं मिल रहा है. फसल पेड़ में ही पक कर फट रही है. इसे गाय के चारे के रूप में उपयोग में लाया जा रहा है. इस कारण से किसान काफी परेशान हैं.

किसानों में फसल बर्बाद होने से मायूसी

स्थानीय महिला किसान कामिनी देवी ने कहा कि अपने 4 एकड़ जमीन पर लीची की खेती की थी. उम्मीद थी कि इस बार अच्छा मुनाफा होगा. जिससे बेटी की शादी कर सकेंगी. लेकिन इस मौसम के कारण लीची की फसल बर्बाद हो गई है. अब चिंता इस बात की हो रही है कि महाजन से जो लिया था, उसे वापस कैसे करेंगे?

लीची की खराब पैदावार से परेशान किसान

लीची की खेती पर पड़ा है प्रतिकूल प्रभाव

लीची की फसल लगाने वाले किसान नंदन सिंह ने बताया कि इस भीषण गर्मी के कारण लीची की खेती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. हम लीची लेकर बाजार पहुंचते हैं, लेकिन खरीददार नहीं मिलने के कारण वापस घर लौट आते हैं. सालभर इसी लीची की खेती पर निर्भर रहते हैं. मगर इस बार तो लीची की तैयार फसल पेड़ में ही सूखकर फट रहे हैं. इस कारण से हमलोगों पर महाजन का कर्जा कैसे लौटाएंगे ये संकट मंडरा रहा है. यह समस्या यहां के रहने वाले सैकड़ों किसानों की है. सभी मौसम के इस मार से त्रस्त हैं.

बेगूसराय: जिले में सैकड़ों एकड़ में लगी लीची की फसल इस भीषण गर्मी के कारण बर्बाद हो रही है. इस बार प्रचंड धूप और बरसात नहीं होने के कारण लीची के पैदावार पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. वहीं, किसानों का सपना चकनाचूर हो रहा है.

जिले के मटिहानी, सदर, बछवारा और बलिया प्रखंड में व्यापक पैमाने पर लीची की खेती होती है. वहीं, इस बार भीषण गर्मी में तैयार लीची की फसल पेड़ में ही बर्बाद हो रही है. लीची को खरीददार नहीं मिल रहा है. फसल पेड़ में ही पक कर फट रही है. इसे गाय के चारे के रूप में उपयोग में लाया जा रहा है. इस कारण से किसान काफी परेशान हैं.

किसानों में फसल बर्बाद होने से मायूसी

स्थानीय महिला किसान कामिनी देवी ने कहा कि अपने 4 एकड़ जमीन पर लीची की खेती की थी. उम्मीद थी कि इस बार अच्छा मुनाफा होगा. जिससे बेटी की शादी कर सकेंगी. लेकिन इस मौसम के कारण लीची की फसल बर्बाद हो गई है. अब चिंता इस बात की हो रही है कि महाजन से जो लिया था, उसे वापस कैसे करेंगे?

लीची की खराब पैदावार से परेशान किसान

लीची की खेती पर पड़ा है प्रतिकूल प्रभाव

लीची की फसल लगाने वाले किसान नंदन सिंह ने बताया कि इस भीषण गर्मी के कारण लीची की खेती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. हम लीची लेकर बाजार पहुंचते हैं, लेकिन खरीददार नहीं मिलने के कारण वापस घर लौट आते हैं. सालभर इसी लीची की खेती पर निर्भर रहते हैं. मगर इस बार तो लीची की तैयार फसल पेड़ में ही सूखकर फट रहे हैं. इस कारण से हमलोगों पर महाजन का कर्जा कैसे लौटाएंगे ये संकट मंडरा रहा है. यह समस्या यहां के रहने वाले सैकड़ों किसानों की है. सभी मौसम के इस मार से त्रस्त हैं.

Intro: नोट-ये खबर 30 मई को भेजी गई है अभी तक नही लग पाई है जबकि डेस्क से इस तरह के खबर को प्रमुखता श्रेणी में रखा गया था ।कृपया देख लें खबर में कोई कमी हो तो जरूर बताएंगे। डे प्लान स्टोरी एक्सक्लुसिव एंकर- बेगूसराय के सैकड़ों किसान लीची की एक फसला खेती करते हैं और इसी खेती से साल भर वो अपने जीवन के हरेक साधन अर्जित करते है ,लेकिन इस वर्ष तपती धूप और वर्षा नहीं होने के कारण लीची के फसल पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा है। तैयार फसल पेड़ में ही बर्बाद हो चुके हैं हालात यह है कि अब खरीदार नहीं मिल रहे बर्बाद हो रहे लीची अब गाय के चारे के उपयोग में लाया जा रहा है।लीची की खेती पर अपने बेटी की शादी का सपना संजोए कई किसानों के सपने चूर चूर हो गए हैं अब दिक्कत यह है कि महाजन को पैसे कहां से चुकाएंगे । एक रिपोर्ट


Body:vo- बेगूसराय जिले के मटिहानी प्रखंड ,सदर प्रखंड ,बछवारा और बलिया प्रखंड में व्यापक पैमाने पर लीची की खेती होती है। किसान अपने खेतों में लीची के पेड़ लगाकर मुख्य रूप से इसका उत्पादन करते हैं ।लीची के पेड़ लगे होने के कारण 1 वर्ष में मात्र एक ही फसल का लाभ यहां के किसान उठा पाते हैं ।सैकड़ों एकड़ भू-भाग पर लीची की खेती ना सिर्फ बेगूसराय के लिए गौरव का प्रतीक है बल्कि देश-विदेश तक यहां के लीची का बड़ा ही नाम है ,लेकिन इसको तैयार करने वाले किसान और उनकी किस्मत मौसम और भगवान के रहमों करम पर टिकी होती है। मौसम ने साथ दिया तो लीची के किसान मालामाल हो जाते हैं, वही अगर मौसम ने बेरुखी दिखाई तो फिर सारे सपने चूर-चूर हो जाते हैं। इस् बार प्रचंड गर्मी धूप और बरसात नहीं होने के कारण लीची के पैदावार पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है ।लीची के तैयार फसल पेड़ में ही सूखकर फट रहे हैं ,जिस वजह से लीची कि खरीदार नहीं मिल रहे हैं। किसान खेत से लीची लादकर बाजार पहुंचते हैं और खरीददार नहीं मिलने के कारण वापस घर लौट आते हैं। लीची की खेती करने वाले बदलपुरा गांव का ईटीवी भारत की टीम ने दौरा किया तो स्थिति काफी भयावह दिखी। वहां कई किसानों से हमने बात की तो लीची की खेती के कारण उनके सारे सपने चूर हो गए थे बदल पुरा गांव की कामिनी देवी से विशेष बातचीत के दौरान पता चला की कामिनी देवी ने अपने 4 एकड़ जमीन पर लीची की खेती की थी और उसे उम्मीद थी कि इस बार इतना मुनाफा होगा जिससे पैसा जमा कर वह अपनी बेटी की शादी कर सकेंगी लेकिन मौसम ने कुछ इस तरह मुंह मोरा के कामिनी देवी के ख्वाब चकनाचूर हो गए। अब हालात यह है की महाजन से कर्ज लेकर खेती करने वाली कामिनी देवी इस चिंता में है कि महाजन को पैसे कहां से चुका पाएगी। वन टू वन विथ कामिनी देवी । vo-इसी तरह के हालात गांव के अन्य किसानों के भी हैं किसानों का मानना है 1 वर्ष में एक ही फसल तैयार करते हैं और इसी पर जीवन जीने के सारे सुख सुविधा केंद्रित है ऐसे में फसल बर्बाद होने के बाद हमलोग गाय भैंस को लीची खिला रहे हैं। बाइट-नंदन सिंह,किसान


Conclusion:fvo-मौसम की मार ने लीची किसानों की कमर तोड़ दी है ऐसे में सरकार को चाहिए कि बेगूसराय में लीची की खेती का विश्लेषण कर किसानों के दर्द पर महलम लगाने का प्रयाश करे।
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