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पशुपालन मंत्री के संसदीय क्षेत्र में पशुओं का हाल-बेहाल, नहीं मिल रही समुचित स्वास्थ्य व्यवस्था

पशुपालन विभाग के चिकित्सा व्यवस्था बदतर है. ग्रामीण स्तर और प्रखंड स्तर पर जो भी पशु स्वास्थ्य केंद्र हैं वे ज्यादातर समय बंद रहते हैं. जिससे पशुपालक परेशान हैं.

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Published : Jan 22, 2020, 6:22 PM IST

बेगूसराय: प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था का दंश केवल आम लोग ही नहीं, बल्कि मवेशी भी भुगतने को मजबूर हैं. दरअसल, केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह के संसदीय क्षेत्र में पशुपालन विभाग का हाल बेहाल है. 12 लाख पशुओं की देखभाल के लिए जिले में मात्र 20 पशु चिकित्सक हैं. वैसे में कई प्रखंड स्तरीय पशु अस्पताल बंद रहते हैं, जिससे पशुपालक परेशान हैं.

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विभाग के अंदर बदहाली

वर्ष 2012 की जनगणना के मुताबिक जिले में गाय ,भैंस, बकरी, घोड़ा ,भेड़ जैसे पशु मिलाकर 8 लाख पशुधन उपलब्ध थे. जिसकी संख्या वर्ष 2017 की जनगणना में बढ़कर 12 लाख के आसपास हो गई. वैसे ये आंकड़ा विभाग की ओर से जारी नहीं किया गया है. लेकिन, अनुमान के मुताबिक यह संख्या 12 लाख के आसपास है.

देखें पूरी रिपोर्ट

शिकायत के बावजूद नहीं लिया जा रहा संज्ञान
अगर बात पशुपालन विभाग के चिकित्सा व्यवस्था की करें तो ग्रामीण स्तर पर और प्रखंड स्तर पर जो भी पशु स्वास्थ्य केंद्र हैं वे ज्यादातर समय बंद रहते हैं. लोगों ने इसकी शिकायत कई बार जिलाधिकारी से लेकर सरकार तक की है. बावजूद इसके कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है. इसके अलावा पशुपालन विभाग के डॉक्टर और कर्मियों की मनमानी और लापरवाही की भी शिकायत मिलती है.

begusarai
पशुपालन अधिकारी ने दी जानकारी

पशुपालन अधिकारी ने बताई परेशानी
बता दें कि विभाग के डॉक्टर, अधिकारी और कर्मी लगातार कार्यालय बंद कर फरार रहते हैं. जिससे लोग परेशान होते हैं और पशुओं को समुचित सरकारी स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती है. इस बाबत जिले के पशुपालन अधिकारी बताते हैं कि हमारे पास सीमित संसाधन हैं. जिस वजह से कुछ जगहों की शिकायतें मिल रही हैं. जल्द समाधान निकाला जाएगा.

बेगूसराय: प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था का दंश केवल आम लोग ही नहीं, बल्कि मवेशी भी भुगतने को मजबूर हैं. दरअसल, केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह के संसदीय क्षेत्र में पशुपालन विभाग का हाल बेहाल है. 12 लाख पशुओं की देखभाल के लिए जिले में मात्र 20 पशु चिकित्सक हैं. वैसे में कई प्रखंड स्तरीय पशु अस्पताल बंद रहते हैं, जिससे पशुपालक परेशान हैं.

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विभाग के अंदर बदहाली

वर्ष 2012 की जनगणना के मुताबिक जिले में गाय ,भैंस, बकरी, घोड़ा ,भेड़ जैसे पशु मिलाकर 8 लाख पशुधन उपलब्ध थे. जिसकी संख्या वर्ष 2017 की जनगणना में बढ़कर 12 लाख के आसपास हो गई. वैसे ये आंकड़ा विभाग की ओर से जारी नहीं किया गया है. लेकिन, अनुमान के मुताबिक यह संख्या 12 लाख के आसपास है.

देखें पूरी रिपोर्ट

शिकायत के बावजूद नहीं लिया जा रहा संज्ञान
अगर बात पशुपालन विभाग के चिकित्सा व्यवस्था की करें तो ग्रामीण स्तर पर और प्रखंड स्तर पर जो भी पशु स्वास्थ्य केंद्र हैं वे ज्यादातर समय बंद रहते हैं. लोगों ने इसकी शिकायत कई बार जिलाधिकारी से लेकर सरकार तक की है. बावजूद इसके कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है. इसके अलावा पशुपालन विभाग के डॉक्टर और कर्मियों की मनमानी और लापरवाही की भी शिकायत मिलती है.

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पशुपालन अधिकारी ने दी जानकारी

पशुपालन अधिकारी ने बताई परेशानी
बता दें कि विभाग के डॉक्टर, अधिकारी और कर्मी लगातार कार्यालय बंद कर फरार रहते हैं. जिससे लोग परेशान होते हैं और पशुओं को समुचित सरकारी स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती है. इस बाबत जिले के पशुपालन अधिकारी बताते हैं कि हमारे पास सीमित संसाधन हैं. जिस वजह से कुछ जगहों की शिकायतें मिल रही हैं. जल्द समाधान निकाला जाएगा.

Intro:एंकर- केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह के संसदीय क्षेत्र बेगूसराय में पशुपालन विभाग का हाल बेहाल है। 12 लाख पशुओं की देखभाल के लिए जिले में मात्र 20 पशु चिकित्सक हैं, वैसे में कई प्रखंड स्तरीय पशु अस्पताल बंद रहते हैं जिससे पशुपालक परेशान हैं।


Body:vo- वर्ष 2012 की जनगणना के मुताबिक जिले में गाय ,भैंस, बकरी, घोड़ा ,भेड़ आदि मिलाकर 8 लाख पशुधन उपलब्ध थे। जिसकी संख्या वर्ष 2017 की जनगणना में बढ़कर 12 लाख के आसपास हो गई है। वैसे ये आंकड़ा विभाग के द्वारा अभी अद्यतन कर जारी नहीं किया गया है लेकिन अनुमान के मुताबिक यह संख्या 12 लाख के आसपास है ।
बात पशुपालन विभाग के चिकित्सा व्यवस्था की करें तो ग्रामीण स्तर पर और प्रखंड स्तर पर जो भी पशु स्वास्थ्य केंद्र हैं उसके बंद रहने की शिकायत लगातार लोग जिलाधिकारी से लेकर सरकार तक करते आए हैं।
- जिला मुख्यालय का पशुपालन अस्पताल हो या प्रखंड स्तर के स्वास्थ्य केंद्र हर जगह पशुपालन विभाग के डॉक्टर और कर्मियों की मनमानी और लापरवाही स्पष्ट उजागर होती है।
विभाग के चिकित्सक अधिकारी और कर्मी लगातार कार्यालय बंद कर फरार रहते हैं जिससे लोग परेशान होते हैं और पशुओं को समुचित सरकारी स्वास्थ सुविधा नहीं मिल पाती है।
इस बाबत जिले के पशुपालन अधिकारी बताते हैं कि हमारे पास सीमित संसाधन है जिस वजह से कुछ जगहों की शिकायतें मिल रही हैं ।मानक के अनुरूप 5000 पशुओं की देखभाल के लिए एक चिकित्सक होना चाहिए लेकिन यहां 12 लाख पशुओं के लिए मात्र 20 चिकित्सक हैं ऐसे में कुव्यवस्था तो है ही ।
जिसके बारे में लगातार विभाग को अवगत कराया गया है।
बाइट- कमलेश कुमार सिंह ,जिला पशुपालन अधिकारी, बेगूसराय



Conclusion:fvo बहरहाल जो भी हो इतना तय है की पशुपालन विभाग की बदइन्तजामी और व्यवस्था से परेशान लोग अब अपने स्थानीय सांसद व केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि वह तारणहार बनकर उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे। देखने वाली बात यह होगी कि केंद्रीय मंत्री और बिहार सरकार इनके उम्मीदों पर कितने खड़े उतर पाते हैं।
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