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आजादी के बाद पहली बार कालीगुड़ी घुटिया की दो दर्जन से अधिक छात्राओं ने प्रथम श्रेणी में मैट्रिक परीक्षा की उत्तीर्ण - मैट्रिक परीक्षा का रिजल्ट

बांका के कटोरिया प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत जयपुर की गिनती सबसे पिछड़े इलाकों में की जाती है. इस इलाके में शिक्षा की स्थिति बद से बदतर है. यहां की लड़कियां बमुश्किल मिडिल स्कूल तक की पढ़ाई कर पाती हैं. पिछड़े गांव में शुमार कालीगुड़ी घुटिया सहित आसपास के दो दर्जन से अधिक लड़कियों ने आजादी के बाद पहली बार मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उतीर्ण होकर मिसाल पेश की है.

कालीगुड़ी घुटिया की छात्रा
कालीगुड़ी घुटिया की छात्रा
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Published : Apr 9, 2021, 5:02 PM IST

बांका: मैट्रिक परीक्षा का रिजल्ट आ चुका है और जिले में 80 प्रतिशत से अधिक छात्र-छात्राओं ने इस बार बाजी मारी है. इन सबके बीच खास बात यह है कि पिछड़े इलाकों में भी शिक्षा का अलख अब जगने लगा है. जिले के कटोरिया प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत जयपुर की गिनती सबसे पिछड़े इलाकों में की जाती है. इस इलाके में शिक्षा की स्थिति बद से बदतर है और यहां की लड़कियां बमुश्किल मिडिल स्कूल तक की पढ़ाई कर पाती है. लेकिन मुख्यमंत्री के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और साइकिल योजना ने इस इलाके की तकदीर बदल डाली.

कालीगुड़ी घुटिया की छात्रा
कालीगुड़ी घुटिया की छात्रा

इलाके के पिछड़े गांव में शुमार कालीगुड़ी घुटिया सहित आस-पास के दो दर्जन से अधिक लड़कियों ने आजादी के बाद पहली बार मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होकर मिसाल पेश की.

यह भी पढ़ें- मधुबनी हत्याकांड: बेटी मांग रही इंसाफ, पत्नी के भी नहीं रुक रहे आंसू, अब आगे क्या?

10 किलोमीटर साइकिल चला कर जाती थी स्कूल
लक्ष्मी कुमारी और निशा कुमारी सहित अन्य लड़कियों ने बताया कि मुख्यमंत्री के साइकिल योजना से काफी फायदा हुआ. अपने हाई स्कूल की पढ़ाई करने के लिए 10 किलोमीटर दूर जमदाहा स्कूल रोजाना जाया करते थे. लेकिन पिछले वर्ष मार्च में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन हो गया.

पढ़ाई प्रभावित हो गई. हालांकि इस दौरान स्थानीय शिक्षकों की मदद से पढ़ाई जारी रखी. घर में रहकर मैट्रिक की तैयारी की. प्रथम श्रेणी में मैट्रिक पास कर सभी लड़कियां काफी खुश हैं. ग्रामीणों की मानें तो आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है.

देखें पूरी रिपोर्ट

लड़कियों की इस उपलब्धि से गौरवान्वित हैं
ग्रामीण नंदलाल यादव बताते हैं यह इलाका काफी पिछड़ा हुआ है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और साइकिल योजना की वजह से लड़कियों को शिक्षित करने की जागृति उत्पन्न हुई. इसके बाद से यहां की लड़कियां 10 किलोमीटर दूर हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के लिए जाने लगी. आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि गांव की दो दर्जन से अधिक बेटियां मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है. स्थानीय शिक्षक इंद्रदेव कुमार यादव की मानें तो यह काफी गौरवान्वित करने वाला पल है. लड़कियों ने अपनी मेहनत कर यह सफलता पाई है, इसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम होगी.

बांका: मैट्रिक परीक्षा का रिजल्ट आ चुका है और जिले में 80 प्रतिशत से अधिक छात्र-छात्राओं ने इस बार बाजी मारी है. इन सबके बीच खास बात यह है कि पिछड़े इलाकों में भी शिक्षा का अलख अब जगने लगा है. जिले के कटोरिया प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत जयपुर की गिनती सबसे पिछड़े इलाकों में की जाती है. इस इलाके में शिक्षा की स्थिति बद से बदतर है और यहां की लड़कियां बमुश्किल मिडिल स्कूल तक की पढ़ाई कर पाती है. लेकिन मुख्यमंत्री के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और साइकिल योजना ने इस इलाके की तकदीर बदल डाली.

कालीगुड़ी घुटिया की छात्रा
कालीगुड़ी घुटिया की छात्रा

इलाके के पिछड़े गांव में शुमार कालीगुड़ी घुटिया सहित आस-पास के दो दर्जन से अधिक लड़कियों ने आजादी के बाद पहली बार मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होकर मिसाल पेश की.

यह भी पढ़ें- मधुबनी हत्याकांड: बेटी मांग रही इंसाफ, पत्नी के भी नहीं रुक रहे आंसू, अब आगे क्या?

10 किलोमीटर साइकिल चला कर जाती थी स्कूल
लक्ष्मी कुमारी और निशा कुमारी सहित अन्य लड़कियों ने बताया कि मुख्यमंत्री के साइकिल योजना से काफी फायदा हुआ. अपने हाई स्कूल की पढ़ाई करने के लिए 10 किलोमीटर दूर जमदाहा स्कूल रोजाना जाया करते थे. लेकिन पिछले वर्ष मार्च में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन हो गया.

पढ़ाई प्रभावित हो गई. हालांकि इस दौरान स्थानीय शिक्षकों की मदद से पढ़ाई जारी रखी. घर में रहकर मैट्रिक की तैयारी की. प्रथम श्रेणी में मैट्रिक पास कर सभी लड़कियां काफी खुश हैं. ग्रामीणों की मानें तो आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है.

देखें पूरी रिपोर्ट

लड़कियों की इस उपलब्धि से गौरवान्वित हैं
ग्रामीण नंदलाल यादव बताते हैं यह इलाका काफी पिछड़ा हुआ है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और साइकिल योजना की वजह से लड़कियों को शिक्षित करने की जागृति उत्पन्न हुई. इसके बाद से यहां की लड़कियां 10 किलोमीटर दूर हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के लिए जाने लगी. आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि गांव की दो दर्जन से अधिक बेटियां मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है. स्थानीय शिक्षक इंद्रदेव कुमार यादव की मानें तो यह काफी गौरवान्वित करने वाला पल है. लड़कियों ने अपनी मेहनत कर यह सफलता पाई है, इसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम होगी.

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