अरवल : कोरोना काल में सबसे बड़ी समस्या प्रवासी श्रमिकों की है. बिहारी श्रमिक रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों में गए थे, लॉकडाउन से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण उन्हें घर लौटना पड़ा. अब इनके समक्ष सबसे बड़ी समस्या रोजगार की खड़ी हो गई है. हालांकि बिहार सरकार दावा कर रही है कि श्रमिकों को अपने ही राज्य में रोजगार दिया जाएगा. अरवल जिले में भी श्रमिकों को अलग-अलग योजनाओं के तहत कार्यों में लगाया जा रहा है. इस संबंध में डीएम रवि शंकर चौधरी ने ईटीवी भारत के संवाददाता से बातचीत की.
'4460 प्रवासी मजदूरों का किया गया मैपिंग'
डीएम रवि शंकर चौधरी ने बताया कि अभी तक अरवल जिले में 15,739 लोग बाहर से आए हैं. उन्होंने कहा कि रेड जोन से आने वाले प्रवासी की संख्या 12,312 है. ग्रीन जोन से आने वाले लोगों की संख्या 3427 है. डीएम ने बताया कि जिले में अभी तक 4460 प्रवासी मजदूरों की मैपिंग की गयी है, जिसमें से 236 लोगों को जॉब कार्ड निर्गत कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि जिले में चलाई जा रही अलग-अलग सरकारी योजनाओं के तहत श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जिला उद्योग केंद्र की देखरेख में कुछ प्रशिक्षित मजदूरों को पीएचईडी एवं अन्य विभागों में काम पर लगाया जा रहा है.
'जिला प्रशासन कराएगा रोजगार मुहैया'
डीएम रवि शंकर चौधरी ने कहा कि जिले में सभी श्रमिकों को जिला प्रशासन रोजगार मुहैया कराएगा. इसके लिए सारे विभागों की बैठक कर रोडमैप तैयार कर लिया गया है. डीएम ने बताया कि अभी तक 1291 श्रमिकों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत काम में लगा दिया गया है. डीएम ने बताया कि विभिन्न सरकारी योजनाओं में चलाए जा रहे कार्यक्रमों में स्थानीय मजदूरों को काम पर लगाने की सख्त हिदायत दी गई है.